Holi 2023: सिखों की होली में गुलाल संग दिखता है शौर्य का भी रंग, जानें कैसे हुई होला मोहल्ला की शुरुआत

Holi 2023: सिखों की होली में गुलाल संग दिखता है शौर्य का भी रंग, जानें कैसे हुई होला मोहल्ला की शुरुआत

Hola Mohalla 2023: देश के हर हिस्से की तरह आनंदपुर साहिब में मनाई जाने वाली होली भी अपना एक खास रंग लिए होती है. गुरु गोविंद सिंह द्वारा शुरु किए गए होला मोहल्ला के इतिहास और उससे जुड़ी खास बातों को जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

फाल्गुन मास आते ही होली के रंगों की बयार बहने लगती है. खुशी और उमंग लिए होली का पर्व पूरे देश भर में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. पंजाब के आनंदपुर साहिब में यह पर्व होली की बजाय होला मोहल्ला के नाम से जाना जाता है, जिसकी शुरुआत गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखी कौम में वीरता का रस भरने के लिए किया था. होला शब्द होली से और मोहल्ला शब्द मय और हल्ला शब्द से बना है, जिसमें मय का अर्थ बनावटी और हल्ला का अर्थ हमला होता है. इस तरह गुरु साहिब ने होली के पर्व पर दो टोली बनाकर सिखों में वीरता के जज्बे को बढ़ाने के लिए इसकी शुरुआत की थी.

कब मनाया जाएगा होला मोहल्ला

सिख धर्म के बड़े पर्वों में से एक होला मोहल्ला इस साल 03 मार्च 2023 से 08 मार्च 2023 तक मनाया जाएगा. छह दिनों तक चलने वाला यह पर्व तीन दिनों तक कीरतपुर साहिब में तो वहीं तीन दिन आनंदपुरसाहिब में मनाया जाता है. इस महापर्व में देश-विदेश से श्रद्धालु आनंदपुर साहिब पहुंचते हैं.

कैसे मनाया जाता है होला मोहल्ला

होला मोहल्ला उत्सव को मनाने के लिए पूरे आनंदपुर साहिब को खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है. जिस होली को गुरु गोविंद साहिब ने पौरुष के प्रतीक पर्व में तब्दील कर दिया, उसमें छह साल के बच्चे से लेकर साठ साल के बुजुर्ग तक घुड़सवारी, तलवारबाजी और गतका चलाते हुए दिख जाएंगे. खुशी और उमंग के इस पर्व में आपको खुशी, अध्यात्म और शौर्य का संगम देखने को मिलेगा. होला मोहल्ला में निहंगों की वीरता और शूरता को देखकर लोग दांतों तले अंगुलियां दबा लेते हैं. होला मोहल्ला के मौके पर आपको जगह-जगह पर लंगर लगे हुए दिख जाएंगे, जिससे जुड़े लोग आपको प्रसाद खाने के लिए बड़े आदर के साथ अनुरोध करते नजर आएंगे. होला मोहल्ला का यह पावन पर्व हिमाचल प्रदेश के बार्डर से लगी एक छोटी नदी चरण गंगा के तट पर जाकर पूरा होता है.

तब निहंग करते हैं अपनी शक्ति प्रदर्शन

जिस होला मोहल्ला की शुरुआत करके गुरुगोविंद सिंह जी ने समाज के कमजोर वर्ग में साहस और वीरता का रस घोलने का काम किया था, उसमें आज भी इस पावन पर्व पर वीरता से जुड़ी कविता का पाठ होता है. होला मोहल्ला के पावन पर्व पर आनंदपुर साहिब में विशेष रूप से गुरुवाणी का पाठ होता है. होला मोहल्ला में आपको जहां गुरु साहिबान के पुराने शस्त्रों के दर्शन करने को मिलते हैं तो वहीं आप निहंगों को नए और पुराने दोनों शस्त्रों के साथ देख सकते हैं. गुरु गोबिंद सिंह की लाडली सेना कहे जाने वाले निहंग जब अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं तो लोग दातों तले अपनी अंगुलियां दबा लेते हैं.