कॉन्वेंट स्कूल से तालीम, LLB में एडमिशन और एक गोलीकांड… पंजाब का सतविंदर कैसे बन गया गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई?

कॉन्वेंट स्कूल से तालीम, LLB में एडमिशन और एक गोलीकांड… पंजाब का सतविंदर कैसे बन गया गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई?

लॉरेंस बिश्नोई गैंग का पिछले कुछ सालों में देश भर में खौफ बढ़ता जा रहा है. बिश्नोई गैंग की गूंज पंजाब से लेकर बॉलीवुड तक सुनाई देती है. बिश्नोई गुजरात की साबरमति जेल में बंद है, लेकिन इसके बावजूद वो कई लोगों की हत्या करवा चुका है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे लॉरेंस आईपीएस अधिकारी और वकील की जगह गैंगस्टर बन गया.

महाराष्ट्र के मंत्री बाबा सिद्दीकी ( Baba Siddique) की हत्या के बाद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) का नाम एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. बाबा सिद्दीकी की हत्या की जिम्मेदारी बिश्नोई ने ही ली और इसकी वजह सलमान खान संग दोस्ती बताई गई थी. हालांकि, ये पहला मामला नहीं है जब लॉरेंस का नाम इतना चर्चा में आया हो.

पंजाब पुलिस के एक कॉन्स्टेबल के बेटे ने पिछले 10-12 साल में देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में वो दहशत फैलाई कि आज की तारीख में उसके नाम से हर कोई कांपता है. बिश्नोई के पास 700 से ज्यादा शूटरों की एक फौज है, जिन्हें वो जेल के अंदर से बैठ के ऑपरेट कर रहा है. ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं कि लॉरेंस बिश्नोई गैंग का दायरा दिनों दिन कैसे बढ़ता गया और आखिर कैसे एक अच्छे परिवार से आने के बावजूद वो अपराध की दुनिया में इतना सर्किय हो गया.

कैसे सतविंदर सिंह बना लॉरेंस?

पंजाब( Punjab) के फाजिल्का में लविंद्र कुमार बतौर कांस्टेबल तैनात थे. इसी फाजिल्का के अबोहर में लविंद्र कुमार के घर में फरवरी 1993 को एक बेटे का जन्म हुआ. बेटे के जन्म से पूरा घर खुशी से झूम उठा. बच्चा इतना गोरा और सुंदर था कि उसकी मां ने लॉरेंस बुलाना शुरू कर दिया. ईसाई धर्म में इस नाम का अर्थ “उज्ज्वल व्यक्ति” या “चमकता हुआ व्यक्ति” होता है. हालांकि लॉरेंस का कागजी नाम सतविंदर सिंह है. लॉरेंस के पिता चाहते थे उनका बेटा आईएएस-आईपीएस जैसा बड़ा अधिकारी बने. इस कारण उन्होंने उसकी शुरुआती पढ़ाई अबोहर के मंहगे स्कूल में करवाई और बाद अच्छी तालीम के लिए उन्हें चंडीगढ़ डीएवी भेज दिया.

कब अपराध की दुनिया में लॉरेंस ने रखा कदम?

लॉरेंस ने 2011 में चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज (DAV College) में एडमिशन लिया. कॉलेज में ही उसकी दोस्ती गोल्डी बराड़ (Goldy Brar) से हुई. देखते देखते दोनों की दोस्ती इतनी बढ़ गई कि पूरे कॉलेज में दोनों की दोस्ती की मिसाल दी जाने लगी. दोनों ने एलएलबी की पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति में हाथ आजमाने के लिए एक सोपू नाम का संगठन बनाया. सोपू का मतलब स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी था. इस संगठन से लॉरेंस बिश्नोई ने छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा.

लॉरेंस ने इस चुनाव को जीतने के लिए बहुत खूब प्रयास किए, लेकिन वह चुनाव हार गया. बिश्नोई के विपक्ष में दो ग्रुप थे उदय सह और डग का ग्रुप. ऐसे में अपनी हार का बदला लेने के लिए उसने रिवाल्वर खरीद ली. जिस लॉरेंस बिश्नोई के पिता का सपना था कि उसका बेटा पढ़-लिखकर आईपीएस अफसर बनेगा, लेकिन एक हार की वजह उसकी जिंदगी ने अलग दिशा ले ली और उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया.

हार से बौखलाए लॉरेंस ने अपनी विपक्षी छात्र नेता पर गोली चला दी, जिसके बाद पहली बार उस पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज हुआ. ऐसे में उसकी पहली बार गिरफ्तारी भी हुई, लेकिन वो जमानत पर रिहा हो गया. लॉरेंस और गोल्डी बराड़ दोनों इसके बाद अपराध की दुनिया में उतर गए और दोनों मिलकर चंडीगढ़ और आसपास के इलाकों में अपराध की वारदातों को अंजाम देने लगे. लॉरेंस उदय सह-डग ग्रुप से हुई मुठभेड़ के बाद पुलिस वालों के निशाने पर आ गया था. मामले के कुछ दिन बाद ही वह एक बार फिर अवैध हथियार के साथ गिरफ्तार हुआ, लेकिन फिर से जमानत हो गई. जमानत पर बाहर आने के बाद लॉरेंस रुका नहीं, वह हत्या, लूट और डकैती करता रहा, जिसके चलते वह जेल जाता रहा और जमानत पर बाहर भी आता रहा.

कैसे गैंगस्टर बना लॉरेंस बिश्नोई?

लॉरेंस के मामा के दो बेटों की दिसंबर 2014 में हत्या हो गई. दोनों की हत्या हरियाणा जेल में बंद बठिंडा के हरगोबिंद सिंह और गैंगस्टर रम्मी मशाना ने करवाई थी. लॉरेंस अपने दोनों भाइयों से बहुत करीब था, इस वजह से वो दोनों गैंगस्टर की हत्या करना चाहता था. हालांकि वह इस दौरान जेल में बंद था. ऐसे में पंजाब की खरड़ पुलिस 17 जनवरी 2015 को जब उसे कोर्ट में पेशी के लिए लेकर जा रही थी, तभी वह पुलिस को चकमा देकर भाग गया. लॉरेंस दिल्ली से होते हुए नेपाल गया, जहां उसने बदला लेने के लिए 60 लाख रुपये के विदेशी हथियार और बुलेटप्रूफ जैकेट तक खरीद ली.

लॉरेंस इसके बाद गैंगस्टर रम्मी मशाना की हत्या करने के लिए पंजाब-हरियाणा में तलाश करने लगा, लेकिन मार्च 2015 में फाजिल्का पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. लॉरेंस ने इसके बाद जेल में ही अपनी फौज बनानी शुरू कर दी. इस बात का खुलासा तब हुआ जब पुलिस को फरीदकोट जेल में उसके पास फोन और तकरीबन 40 सिम कार्ड बरामद हुए .

जेल में होने के बावजूद वह कॉन्ट्रैक्ट किलिंग की सुपारी भी लेने लगा. राजस्थान के जोधपुर के डॉक्टर चांडक और एक ट्रैवलर को मारने के लिए लॉरेंस ने फरीदकोट जेल से ही मार्च 2017 में सुपारी ली थी. इसके बाद उसने फोन के जरिए ही डॉक्टर की बीएमडब्ल्यू कार में आग लगवा दी. ये मामला जोधपुर में दर्ज हुआ, इस वजह से उसे जोधपुर जेल ले जाया गया, लेकिन वहां की जेल में भी लॉरेंस का नेटवर्क चलता ही रहा.

आनंदपाल के भाई से हुई लॉरेंस की मुलाकात

लॉरेंस से परेशान होकर राजस्थान पुलिस ने उसे 23 जून 2017 को अजमेर की घुघरा घाटी हाई सिक्योरिटी जेल में भेज दिया. इस जेल में राजस्थान के कुख्यात आनंदपाल के गैंग के भी शूटर थे. जेल में लॉरेंस की मुलाकात आनंदपाल के भाई से हुई. आनंदपाल के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उसका गुट कमजोर पड़ गया था. ऐसे में लॉरेंस ने गुट को अपनी ताकत दी. अजमेर की इस जेल में भी लॉरेंस का दबदबा चलने लगा, यहां भी उसे फोन मिलने लगे. लॉरेंस ने फोन से ही आनंदपाल के सियासी विरोधी रहे सीकर के पूर्व सरपंच सरदार राव की हत्या करवा दी. इसके बाद आनंदपाल गैंग के लोग भी अपना लॉरेंस को सरगना मानने लगे. लॉरेंस ने नए लोगों को अपने गुट में इकट्ठा कर लिए. ऐसे में जो भी जेल से जमानत पर जाता वो लॉरेंस के लिए काम करने लग जाता था.

सिद्धू की हत्या के बाद बढ़ानी शुरू कर दी दहशत

छात्र संगठन सोपू के विक्की मिद्दुखेड़ा लॉरेंस के बहुत करीब था, लेकिन जब 2021 में जब विक्की की हत्या हुआ तब लॉरेंस ने इस हत्या में शामिल लोगों को ठिकाने लगाने की साजिश शुरू की थी. इसके लिए उसने लंबी लिस्ट बनाई, जिसमें उनके नाम शामिल थे, जिन्होंने विक्की के कातिलों की मदद की थी. इसी लिस्ट में सिद्धू मूसेवाला का नाम भी था. लॉरेंस ने अक्टूबर 2021 में तीन शूटर्स शाहरुख, डैनी और अमन को सिद्धू मुसेवाला के कत्ल के लिए उनके गांव भेजा था, लेकिन किसी वजह से वह उसे नहीं मार पाए. ऐसे में मौका मिलते ही शूटर्स ने 29 मई 2022 को सिद्धू मूसेवाला को मौत के घाट उतार दिया. सिद्धू मूसेवाला की मौत की जिम्मेदारी भी लॉरेंस ने ली थी. सिद्धू की हत्या के बाद लॉरेंस ने अपने नाम की दहशत धीरे-धीरे बढ़ने शुरू कर दी. लॉरेंस बिश्नोई ने करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की दिसंबर 2023 में जयपुर में सरेआम गोली मारकर हत्या करवा दी. इसके अलावा उसने सलमान खान के घर गैलेक्सी अपार्टमेंट के बाहर फायरिंग करवाई. साथ ही इस साल उसने सलमान खान के दोस्त गिप्पी ग्रेवाल के घर भी फायरिंग करवाई.

किस जेल में बंद है लॉरेंस?

लॉरेंस इस वक्त गुजरात की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक साबरमती जेल में बंद है. हालांकि उसका नेटवर्क हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार,हिमाचल प्रदेश, पंजाब राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र तक फैल गया है. इसके अलावा विदेश कनाडा, अमेरिका, पाकिस्तान और दुबई उसकी गैंग के आदमी मौजूद है, जो उसके एक इशारे पर किसी की भी हत्या कर देते हैं. लॉरेंस पर 50 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन उसे सजा किसी भी केस में नहीं हुई है. लॉरेंस जमानत के लिए अपील भी नहीं करता है न ही उसका कोई वकील है न ही वो अदालत में पेश होता है क्यों कि उसका मानना है कि जेल में रहकर वह ज्यादा अच्छे से गैंग को ऑपरेट कर पाएगा.