टीकमगढ़ लोकसभा सीट: अस्तित्व में आने के बाद से ही सिर्फ बीजेपी का बोलबाला
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर पड़ने वाली टीकमगढ़ लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की राजनीति में बेहद अहम है. पूरे देश की छोटी अयोध्या नाम से फेमस ओरछा इसी लोकसभा में स्थित है जहां भगवान श्री राम का मंदिर है और यहां उन्हें राजा के रूप में पूजा जाता है.
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की टीकमगढ़ लोकसभा सीट प्रदेश की राजनीति में इसलिए भी अहम है क्योंकि यह सीट पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से सटी हुई है. यहां पर बॉर्डर इलाका होने की वजह से पड़ोसी राज्य की राजनीति का भी यहां मिला जुला असर दिखाई देता है. यह लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रखी गई है. इस लोकसभा सीट में टीकमगढ़ और निवारी पूरा जिला शामिल हैं जबकि छतरपुर जिले के कुछ हिस्सों को भी इसमें रखा गया है. इस लोकसभा का निर्वाचन 2008 के परिसीमन के बाद किया गया था.
टीकमगढ़ लोकसभा सीट 2008 में ही असतित्व में आई थी, इसके पहले इस लोकसभा सीट का ज्यादातर हिस्सा खजुराहो लोकसभा में आता था. टीकमगढ़ लोकसभा को भी 8 विधानसभाओं से मिलाकर बनाया गया है. जिसमें टीकमगढ़ जिले की टीकमगढ़, जतारा और खरगापुर, निवारी जिले की पृथ्वीपुर और निवारी, छतरपुर जिले की महाराजपुर, बिजावर और छतरपुर शामिल हैं. इन सभी आठ विधानसभाओं में से 3 पर कांग्रेस का कब्जा है जबकि 5 पर बीजेपी काबिज है.
टीकमगढ़ लोकसभा सीट के दर्शनीय स्थलों की बात की जाए तो यहां पूरे मध्य प्रदेश में विख्यात श्री रामराजा का मंदिर है. यह मंदिर अति प्रचीन है और यहां पर भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है. यह टीकमगढ़ जिले के ओरछा में है स्थित है. यह बेतवा नदी के किनारे बसा हुआ छोटा सा कस्बा है. यहां पर बुंदेली राजाओं का शासन था उस दौर के यहां आज भी मंदिर और किले देखने को मिलते हैं. यहां पर विख्यात बुंदेली राजा हरदौल की समाधि भी बनी है जिस पर लोगों को विशेष आस्था है. यहां बिजावर में जटाशंकर मंदिर स्थानीय लोगों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है.
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वीरेंद्र खटीक का गढ़
मध्य प्रदेश की राजनीति में वीरेंद्र खटीक लगातार पिछले 7 लोकसभा चुनावों से जीत रहे हैं. वीरेंद्र खटीक इस लोकसभा सीट के निर्वाचन से पहले सागर लोकसभा से चुनाव लड़ रहे थे. सागर से लगातार 4 बार जीत दर्ज करने के बाद वीरेंद्र खटीक को आरक्षित होने की वजह से टीकमगढ़ लोकसभा सीट पर भेजा गया. यहां से भी उन्होंने शानदार जीत दर्ज की. वीरेंद्र खटीक इस लोकसभा सीट से भी 2009, 2014 और 2019 का चुनाव जीत चुके हैं. इससे पहले वीरेंद्र सागर लोकसभा से 1996, 1998, 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज कर चुके हैं.
पिछले चुनाव में क्या हुआ?
इस लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी का भी वोट बैंक मौजूद है. हालांकि यह वोटबैंक निर्णायक स्थिति में नहीं है लेकिन प्रतिशत के लिहाज से यह 4 से 6 प्रतिशत के बीच है. 2019 के चुनाव की बात करें तो इस लोकसभा सीट से बीजेपी ने वीरेंद्र खटीक को ही चुनावी मैदान में उतारा था. वहीं कांग्रेस ने किरण अहिरवार को टिकट दिया था. इन चुनाव में बीजेपी के वीरेंद्र खटीक को 6.72 लाख वोट मिले थे जबकि कांग्रेस की किरण अहिरवार को 3.24 लाख वोट मिले थे. वहीं समाजवादी पार्टी के आरडी प्रजापति को 42 हजार वोटों से ही संतोष करना पड़ा था. इस चुनाव में वीरेंद्र खटीक ने किरण अहिरवार को करीब साढ़े तीन लाख वोटों के भारी-भरकम अंतर से हराया था.