कभी यहां मां पार्वती ने शिवजी के लिए की थी तपस्या, आज दो अलग-अलग रंग में बहती हैं नदियां
प्राचीन काल में मां पार्वती ने कुछ समय के लिए भगवान शिव के साथ तपस्या की थी. श्रवण भी जब अपने माता पिता को तीर्थ लेकर गए थे तब एक रात उन्होंने भी इसी जगह पर विश्राम किया था. तब से ही यहां मां पार्वती के तीनों स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है.
मध्य प्रदेश में कई प्रसिद्ध माता मंदिर हैं और इनका इतिहास भी बहुत ही अचंभित करने वाला है. जहां शाजापुर जिले के कालापीपल में मां पार्वती का अति प्राचीन मंदिर है. जिसमें श्रद्धालु दूर-दूर से माता के दर्शन करने के लिए आते हैं. उन लोगों का मानना है कि माता के दर्शन पाकर उनको बड़ा ही सुख मिलता है. उनकी मनोकामनाएं पूरी होती है. इस जगह को दोहरीघाट के नाम से जाना जाता है. जोकि सीहोर और शाजापुर दोनों की सरहदों के बीच स्थित है. जहां मां पार्वती और अजनाल नदी का अनोखा संगम है.
दरअसल, शाजापुर जिले में मंदिर है तो वहीं, मंदिर की सीढ़ियां सीहोर जिले में स्थित है. जहां मंदिर के पीछे माता पार्वती नदी बहती है. वहीं, मंदिर के सामने बह रही अजनाल नदी माता के चरण छूती है. मंदिर के उत्तर दिशा में दोनों नदियों का संगम होता है, जिसे देहरीघाट संगम स्थल के नाम से जाना जाता है.
मां पार्वती ने भगवान शिव के साथ की थी तपस्या
कहा जाता है कि प्राचीन काल में मां पार्वती ने कुछ समय के लिए भगवान शिव के साथ तपस्या की थी. श्रवण भी जब अपने माता पिता को तीर्थ लेकर गए थे तब एक रात उन्होंने भी इसी जगह पर विश्राम किया था. तब से ही यहां मां पार्वती के तीनों स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है.माता पार्वती के इस अलौकिक मंदिर में मां भगवती स्वरूपा मां पार्वती, सिंहवाहिनी दुर्गा एवं भगवती स्वरूपा लक्ष्मी त्रिदेवी विराजमान हैं.
क्या है पौराणिक महत्व?
वहीं, पार्वती नदी और अजनाल नदी का संगम देखकर लोग दंग रह जाते हैं. माना जाता है कि जिस तरह प्रयाग में स्नान करने का महत्व होता है. उसी तरह मां पार्वती एवं अजनाल नदी संगम पर स्नान करने का महत्व है. जो भी श्रद्धालु आता है कभी इस जगह से खाली हाथ नहीं जाता है. मंदिर की पौराणिक मान्यता है कि, पार्वती ने शिव को पाने के लिए तपस्या की थी. इस वाक्य का गरुड़ पुराण में भी उल्लेख किया गया है. इसलिए यहां पर हर साल पंचकोशी यात्रा उज्जैन की तरह होती है. जहां भारी संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
लोगों की मनोकामना पूरी होने पर 9 दिन करते हैं मां की सेवा
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या एवं पूर्णिमा पर हजारों की तादाद में श्रद्धालु पार्वती एवं अजनाल नदी के तट पर स्नान कर मां भगवती के दर्शन करते है, जिससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.नवरात्रि में मां भगवती के दर्शन के लिए सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालु का आना जाना होता है. जिन लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती है. वह लोग 9 दिन मां की सेवा में रहकर सेवा करते हैं. इसके साथ ही मां भगवती की शरण में कन्या भोज का भव्य आयोजन हर साल नवरात्रि में किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु कन्याओं के पैर धोकर मां भगवती की आराधना करते हैं.