मोदी सरकार के नये टैक्स रिजीम से Bond Market को लगेगा झटका, ये है मामला

मोदी सरकार के नये टैक्स रिजीम से Bond Market को लगेगा झटका, ये है मामला

मोदी सरकार ने इस साल के बजट में एक नए टैक्स का प्रस्ताव किया है. इससे देश के डेरिवेटिव मार्केट पर दबाव बन गया है. यानी जो लोग बॉन्ड में निवेश करते हैं, उन पर इस टैक्स का असर पड़ सकता है. जानें क्या है पूरा मामला...

सुरक्षित निवेश के लिए लोग डेरिवेटिव या बॉन्ड मार्केट (Bond Market) पर काफी भरोसा करते हैं. बीते कुछ सालों में डेरिवेटिव्स में होने वाले ट्रेड ने भारत में सॉवरेन यानी सरकारी बॉन्ड (Sovereign Bond) की डिमांड काफी बढ़ाई है. पर अब इस मार्केट पर संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं. सरकार ने बजट में जिस एक टैक्स का प्रस्ताव किया है, उससे डेरिवेटिव मार्केट पर दबाव बढ़ता जा रहा है.

मोदी सरकार ने बजट में हाई-वैल्यू वाली बीमा पॉलिसी पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बाजार में बीमा की डिमांड कम होगी. वहीं नई आयकर प्रणाली में भी बचत को प्रोत्साहित करने पर जोर नहीं दिया गया है. इससे भी बीमा की मांग घट सकती है.

बीमा कंपनियों की स्ट्रैटजी में आएगा बदलाव

विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बीमा कंपनियों को बॉन्ड में निवेश करने की अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है. वो इस सेगमेंट में अपना निवेश कम कर सकते हैं. बीते दो सालों में डेब्ट या बॉन्ड मार्केट में बैंकों ने अपना निवेश बढ़ाया है. उन्होंने इसके लिए बीमा कंपनियों को ब्याज-दी की अदला-बदली का ऑप्शन भी दिया है.

बैंकों की इस पेशकश से बीमा कंपनियों को अपनी बैलेंस शीट में ज्यादा बदलाव किए बिना ही बॉन्ड पर मिलने वाले लाभ (Future Yields) के लिए निवेश करने का मौका दिया. एक अनुमान के मुताबिक बैंकों ने करीब 19 अरब डॉलर मूल्य के सरकारी बांड खरीदे हैं.

अगर बैंकों या बीमा कंपनियों की ओर से ये निवेश कम होता है, तो बांड खरीदने का दबाव भारतीय रिजर्व बैंक पर बढ़ेगा. इसकी एक वजह ये है कि बाजार को समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेब्ट सेल्स को बढ़ाने पर जोर दिया है.

गिरेगा सरकारी डेब्ट परचेज

अब टैक्स नियमों में बदलाव या न्यू टैक्स सिस्टम को डिफॉल्ट टैक्स सिस्टम बनाने से बॉन्ड मार्केट में ट्रेड 15 से 20 प्रतिशत गिर सकता है. इससे बाजार में सरकारी डेब्ट परचेज गिर सकता है. हाल फिलहाल में देश पर कर्ज का बोझ बढ़ा है.