20 साल से जिस पिंजरे में जंजीरों से बांध रखी थी बेटी, उसी के सामने शराब पीती मिली मां..!
रिहाई के वक्त लड़की ऐसी मालूम पड़ रही थी कि उसके साथ जो कुछ भी पुलिस कर रही थी वो सब उसे दिखाई तो दे रहा था. मगर पुलिस क्या कर रही थी, यह सोचने समझने की ताकत सदमे के चलते वह खो सी चुकी थी.
जिस संतान को मां 8-9 महीने गर्भ में पाल-पोसकर बड़ा करती है क्या, ऐसे में कोई मां नौजवान बेटी को, 20 साल तक बेड़ियों-जंजीरों में बांधकर रख सकती है. वो भी लोहे के एक उस पिंजरे के भीतर जहां, रोशनी के वास्ते एक छोटा सा रोशनदान भर मौजूद हो. इतना ही नहीं जब मां को गिरफ्तार किया गया तो वो उसी पिंजरे के सामने बैठी शराब पी रही थी, जिस पिंजरे में उसने 20 साल से बेटी को जानवरों से बदतर हालत में बंधक बनाकर रखा था.
फिलहाल मरणासन्न हालत में पिंजरे के भीतर से दो दशक बाद रिहा कराई जा सकी. लड़की की हालत इस वक्त बेहद नाजुक है. डॉक्टर्स उसकी जिंदगी बचाने की जद्दोजहद से जूझ रहे हैं. इंसानियत के नाते तो इस बदनसीब लड़की की जिंदगी बचाना जरूरी है ही. पुलिस की चिंता यह भी है कि लड़की के बयान पर ही उसकी मां को कठोरतम सजा भी मुकर्रर कराया जाना संभव हो सकेगा.
रिश्तों को कलंकित करती सच्ची कहानी
यह डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक हमारी आपकी ही इस इंसानी दुनिया में यह दिल दहलाली और मां-बेटी के रिश्तों को कलंकित करती सच्ची कहानी है, एस्पिरिटो सैंटो, ब्राजील( Espírito Santo, Brazil) की. बदकिस्मत कहें या फिर अब किस्मत वाली लड़की का नाम है रोसिनालवा दा सिल्वा (39,Rosinalva da Silva). रोसिनालवा दा सिल्वा को जब उनकी बदनसीबी ने मां के हाथों ही लोहे के पिंजरे में कैद करवाया था, तब उनकी उम्र महज 20 साल की थी. आज वे 20 साल हथकड़ी बेडियों में जकड़े रहकर 20 साल लोहे के पिंजरे में बिता चुकने के बाद अब 39 साल की महिला हो चुकी हैं. इन तमाम तथ्यों की पुष्टि करते हुए सिविल पुलिस प्रमुख कार्लोस ब्रागा (Civil Police Chief Carlos Braga) काफी कुछ बताते हैं.
लोहे के पिंजरे में बंद करके रखा
रोसिनालवा को इन्हीं सिविल पुलिस प्रमुख कार्लोस ब्रागा की टीम ने, मां के पिंजरे और हथकड़ी-बेड़ियों के बंधन से दो दशक बाद मुक्ति दिलवाई है. पुलिस के मुताबिक जिस घर में लड़की को 20 साल से लोहे के पिंजरे में बंद करके रखा गया था. वो अब इस मामले में एक अन्य व्यक्ति से साथ गिरफ्तार लड़की की मां का ही घर है. पुलिस ने जब मकान पर छापा मारा तो लड़की, अंधेरे कमरे में मौजूद लोहे के पिंजरे में बंद पड़ी थी. उसके कमरे में धुप अंधेरा था. रोशनी के लिए एक छोटा सा रोशनदान भर था. जब पुलिस टीम ने कमरे में छापा मारा तो कमरे के सामने ही एक महिला शराब पीती मिली.
मां के साथ एक और शख्स गिरफ्तार
पुलिस ने उसका परिचय पूछा तो वो बदकिस्मत लड़की की वही मां निकली, जिसने सगी बेटी को बीते 20 साल से लोहे के पिंजरे में हथकड़ी-बेड़ियों में जकड़ कर जानवर की मानिंद बंद कर रखा था. पुलिस ने क्रूर मां के साथ मौके से एक अन्य शख्स को भी गिरफ्तार किया है. कानूनी अड़चनों के चलते पुलिस ने मां और उसके साथ गिरफ्तार दूसरे आरोपी के नाम का खुलासा करने से इनकार कर दिया. पुलिस ने लड़की को बीते गुरुवार यानी 9 फरवरी 2023 को ही रिहा कराया था. जब पुलिस लड़की के पिंजरे वाले कमरे में पहुंची तो उसके अंधेरे के चलते वहां पिंजरा पहली नजर में दिखाई ही नहीं दिया.
भूखी प्यासी मरणासन्न मिली लड़की
टार्च की रोशनी में जब पिंजरा देखा तो उसके अंदर बंधक लड़की नीम-बेहोशी ही हालत में पड़ी मिली. पिंजरे के इर्द-गिर्द आहट सुनकर वो चौंककर चीखने सी लगी. पुलिस ने उसे जब अपने बारे में बताया तो लड़की और ज्यादा जोर से चीख पड़ी. लिहाजा पुलिस को लड़की को शांत करके हर बात समझाने और मकान में छापे की वजह बतानी पड़ी. मगर कई दिन की भूखी प्यासी मरणासन्न हाल में पड़ी लड़की कुछ भी नहीं समझ सकी. वो पुलिस की मौजूदगी का विरोध तो जताना चाह रही थी, मगर उसके बदन में इतनी ताकत नहीं थी कि वो, हाथों की बेड़ियों और पांव में पड़ी जंजीर को भी इधर से उधर खिसका सके.
पुलिस ने अस्पताल में कराया भर्ती
20 साल से मां द्वारा ही जानवरों के से पिंजरे में बंद करके रखी गई लड़की को रिहा कराते ही, अस्पताल में दाखिल कराया गया. जहां के डॉक्टर्स के सलाह पर उसे तुरंत बड़े अस्पताल में दाखिल कर दिया गया. क्योंकि ऐसी क्रूर मां को सजा मुकर्रर कराने के लिए और इंसानियत के नाते भी पीड़ित लड़की की जिंदगी महफूज करना जरूरी था. जोकि लड़की की मरणासन्न हालत के चलते किसी छोटे अस्पताल में संभव नहीं था.
बदन से सड़े हुए जानवर की बदबू
रिहाई के वक्त देखने से लड़की ऐसी मालूम पड़ रही थी कि उसके साथ जो कुछ भी पुलिस कर रही थी वो सब उसे दिखाई तो दे रहा था. मगर पुलिस क्या कर रही थी? यह सोचने समझने की ताकत लड़की सदमे के चलते खो सी चुकी थी. वो सब कुछ अपनी आंखों से होता हुआ देखकर हक्की-बक्की सी थी. स्थानीय पुलिस के मुताबिक, लड़की को छुड़ाये जाने वाली जगह और लड़की के बदन से किसी सड़े हुए जानवर की सी बदबू आ रही थी. जो असहनीय थी. इसीलिए छापे के दौरान पुलिस टीम को चेहरे पर मास्क तक इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ गई.
20 साल से पिंजरे में बंद
इस बारे में छापा मारे वाली पुलिस टीम ने गिरफ्तार मां से पूछताछ की. उसने बताया कि अब से करीब दो दशक पहले उसकी बेटी की दो संतानों की मौत हो गई थी. जिसके बाद से बेटी सदमे में पहुंच गई. उस सदमे के चलते बेटी ने जानवरों की सी हरकतें और मारपीट शुरु कर दी. इसीलिए उसे काबू रखने के लिए 20 साल से मां पिंजरे में बंद करके रखे हुए थे. हालांकि मां के इन तमाम खुलासों पर पुलिस अभी विश्वास नहीं कर रही है. जब तक कि क्रूर समझी जा रही मां के चंगुल से रिहा कराई गई बेटी की हालत ठीक होने पर उससे विस्तृत पूछताछ न हो जाए.