‘कोहिनूर भारत को लौटाओ’- TV डिबेट में भारतीय मूल की पत्रकार ने ब्रिटेन को दिखाया आईना- Video
ब्रिटेन में कोहिनूर हीरे पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है. एक टीवी शो के दौरान भारतीय मूल की पत्रकार नरिंदर कौर ने ब्रिटिश एंकर को खरी खोटी सुना दी.
ब्रिटेन के राजा चार्ल्स के राज्याभिषेक के लिए उनकी पत्नी रानी कैमिला ने कथित तौर पर कोहिनूर हीरे से जड़ा महारानी एलिजाबेथ का मुकुट पहनने से इनकार कर दिया है. रानी कैमिला के इस फैसले ने ब्रिटेन में एक बार फिर इस बहस को हवा दे ही है कि कोहिनूर हीरे को भारत को वापस कर देना चाहिए या नहीं. एक टीवी डिबेट का वीडियो अब तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें भारतीय मूल की महिला पत्रकार ब्रिटिश एंकर से कहती है कि कोहिनूर हीरे को भारत को वापस दे देना चाहिए.
दरअसल ब्रिटेन के मशहूर टीवी शो में लेखक और जीबी न्यूज की एंकर एम्मा वेब बहस के दौरान कहती है कि कोहिनूर हीरे के मालिकाना हक को लेकर विवाद हो सकता है. इस पर भारतीय मूल की महिला पत्रकार नरिंदर कौर ने कहती हैं, ”आप इतिहास नहीं जानतीं.” इसके बाद एम्मा वेब कहती है कि अंग्रेजों ने जिस राजा से कोहिनूर हीरा हासिल किया था, वो लाहौर का एक शासक था. जबकि लाहौर के राजा ने इस हीरे को फारसी साम्राज्य से छीना था, इसलिए ये हीरा विवादित है. ऐसे में क्या पाकिस्तान भी उस पर दावा कर सकता है?
The kohinoor diamond was founded in Indian soil. It represents to the British their dark brutal colonial history. They have NO BUSINESS in continuing to benefit from colonisation. The UN recognises the right of a country to reclaim its treasures. https://t.co/uL3FfoqvzC
— Narinder Kaur (@narindertweets) February 16, 2023
कोहिनूर देखने के लिए ब्रिटेन क्यों आए भारतीय? नरिंदर कौर
बहस के दौरान नरिंदर कौर एंकर को जवाब देते हुए कहती हैं, ”आपको इतिहास नहीं पता. यह विचार उपनिवेशवाद और खूनखराबे का प्रतिनिधित्व करता है. इस कोहिनूर हीरे को भारत को वापस दे दिया जाना चाहिए.” नरिंदर कौर आगे कहती है, ”मुझे समझ नहीं आता कि भारत के एक बच्चे को इसे देखने के लिए पैसे खर्च करके ब्रिटेन तक की यात्रा क्यों करनी पड़ती है.”
भारत की मिट्टी में पाया गया था कोहिनूर- नरिंदर कौर
डिबटे के वीडियो को रिट्वीट करते हुए नरिंद्र कौर लिखती है, ”कोहिनूर हीरा भारत की मिट्टी में पाया गया था. ये हीरा अंग्रेजों के काले क्रूर औपनिवेशिक इतिहास का प्रतिनिधित्व करता है. उनके पास उपनिवेशीकरण से हासिल इस हीरे को रखने का कोई अधिकार नहीं है. संयुक्त राष्ट्र अपने खोए खजाने पर फिर से हासिल करने के लिए किसी भी देश के अधिकार को मान्यता देता है.”