अमेरिका: खरोंच से शरीर में घुसा मांस खाने वाला बैक्टीरिया, मेधावी बच्चे की दर्दनाक मौत
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एलन क्रॉस के मुताबिक यह बैक्टीरिया बेहद खतरनाक होता है. उन्होंने कहा कि इसका संक्रमण बच्चों और वयस्क दोनों में खरोंच से लेकर बड़े घावों तक से हो सकता है.
अक्सर हम अपने शरीर में लगने वाले खरोंच को हल्के में ले लेते हैं. कभी क्रीम लगा लेते है, तो कभी कोई दवा खा लेते हैं, कई बार तो ऐसे ही छोड़ देते हैं. लेकिन ये जानकर आपको हैरानी होगी कि ये छोटी सी खरोंच भी जानलेवा हो सकती है. ऐसी ही लापरवाही ने अमेरिका में 11 साल के एक बच्चे जेसी ब्राउन की जान ले ली. उसके शरीर में एक ऐसा बैक्टीरिया घुस गया था, जिसने पूरे शरीर को ही कुतरना शुरु कर दिया और अंत में उसने बच्चे की जान ले ली.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जेसी ब्राउन के चचेरे भाई ने बताया कि एक्सरसाइज के दौरान वह गिर गया था, जिससे उसके टखने में खरोंच लग गई थी. उन्होंने बताया कि चोट वाली जगह पहले डार्क ब्राउन, फिर बैगनी और लाल निशान आ गया. जब उसे डॉक्टर को दिखाया गया तो जांच में पता चला कि उसे एक संक्रमण हो गया है. बाद में यह मांस खाने वाले बैक्टीरिया में बदल गया और जेसी के ब्रेन में सूजन आ गई, जिससे उसकी मौत हो गई. जेसी के भाई ने बताया कि वह इतना मेधावी था कि उसने बीएमएक्स और मोटोक्रॉस जैसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था.
कोलकाता में भी एक शख्स की हुई थी मौत
कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (आरजीकेएमसीएच) में भी एक 44 वर्षीय व्यक्ति की ऐसे ही संक्रमण से मौत हो चुकी है. डॉक्टरों के मुताबिक, मृण्मय रॉय की मौत मांस खाने वाले बैक्टीरिया की वजह से हुई है. मेडिकल की भाषा में इसे नेक्रोटाइज़िंग फ़ासिसाइटिस कहा जाता है.
ट्रेन हादसे का हुआ था शिकार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मृण्मय रॉय ट्रेन से गिरकर घायल हो गए थे. इस घटना में लोहे की रॉड से रॉय के कूल्हे का निचला हिस्सा कट गया था. इसके बाद उनका काफी इलाज किया गया, लेकिन जब कोई फायदा नहीं हुआ तो उन्हें आरजीकेएमसीएच में भर्ती कराया गया. जहां उनकी मौत हो गई.
शरीर में खून की आपूर्ति करता है बंद
डॉक्टरों ने बताया कि नेक्रोटाइज़िंग फासिसाइटिस रक्त वाहिकाओं पर सीधा हमला करता है और यह शरीर में खून की आपूर्ति को पूरी तरह से काट देते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में हर साल औसतन 600 से 700 नेक्रोटाइज़िंग फासिसाइटिस मामलों का उपचार किया जाता है, जिसमें से 25 से 30 फीसदी केस में मरीज की मौत हो जाती है.
घाव को ठीक से करें साफ
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एलन क्रॉस ने कहा कि यह बैक्टीरिया बेहद खतरनाक होता है. उन्होंने कहा कि यह इन्फैक्शन बच्चों और वयस्क दोनों में खरोंच से लेकर बड़े घावों तक से बन सकते हैं. डॉक्टर ने कहा कि इससे बचाव के लिए पहले घाव को ठीक से साफ करना चाहिए और फिर सही इलाज कराना चाहिए. कभी भी घाव को यूं ही नहीं छोड़ देना चाहिए.