लाशें, बिखरा खून, खंडहर इमारतें… रूस-यूक्रेन जंग की सबसे भयावह 20 तस्वीरें
रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे होने वाले हैं. आपको याद होगी वो मासूम बच्ची की एक तस्वीर जो खंडहर में अपनों को खोज रही थी. वो तस्वीर जिसमे एक फौजी अपने साथी की लाश थामें बैठा था. वो तस्वीर जहां हर तरफ सिर्फ तबाही, तबाही और तबाही...
लाशों के ढेर के पास खड़ा ये यूक्रेनी सैनिक शायद यही सोच रहा होगा कि ये सब कब बंद होगा. कब इन लाशों से यूक्रेन को मुक्ति मिलेगी. रूसी मिसाइलों ने पूरा खंडहर बना दिया है.
रूस-यूक्रेन जंग को एक साल होने वाले हैं. हकीकत में इन तस्वीरों को देखकर बस दिल एक ही सवाल कर रहा है आखिर क्यों हो रहा ये सब? इनका क्या कसूर है?
हर घंटे यूक्रेन के शहर तबाह हो रहे हैं. 24 फरवरी को इसकी शुरूआत डोनबास से हुई थी. इसके बाद रूसी सेना ने हर शहर को खंडहर में तब्दील कर दिया.
रूस यूक्रेन जंग को एक साल होने वाला है. राष्ट्रपति पुतिन का एक भाषण और उसके बाद तबाही ही तबाही. रूसी फाइटर जेट्स ने गोले बरसाते शुरू कर दिए. लाशें बिछने लगीं. बच्चे अनाथ होने लगे. एक मिसाइल गिरती और न जाने कितनी लाशें गिर जातीं.
आसमान की ओर हाथ जोड़े ये महिला शायद ऊपर वाले से एक ही चीज मांग रही होगी. बस बहुत हुआ. अब ये सब बंद होना चाहिए. कब तक लाशों के ढेर यूं ही लगते रहेंगे.
युद्ध खौफनाक होता है. दशकों तक इस धधक को लोग महसूस करते हैं. इन तस्वीरों में देखिए टूटी इमारतों को. इन्हीं इमारतों के नीचे बच्चे, बूढ़े लोग दबे हुए है. एक साल बाद भी हालात कुछ नहीं बदले. युद्ध निरंतर जारी है.
ये मासूम बच्चे. जिनको अभी तक ये भी नहीं पता होगा कि युद्ध होता क्या है. हजारों बच्चों के सिर से मां-बाप का साया उठ गया. वो अनाथ हो गया. युद्ध के बीच ही ये बच्चे बाहर निकलकर मुस्कराने लगे.
एक फौजी की ये तस्वीर शायद इतिहास ने नहीं देखी होगी. कहीं भी जंग हो फौजी की आक्रोशित तस्वीरें खूब देखीं होंगी मगर मायूस बैठा ये सिपाही क्या सोच रहा होगा?
Russia Ukraine 10
चारो तरफ खाक ही खाक. कुछ नहीं बचा बचाने को. फिर जंग जारी है. न तो रूस रुक रहा है और न ही यूक्रेन. इन दोनों के बीच पिस रहें हैं तो सिर्फ लोग.
साथी हाथ बढ़ाना रे... अपने जख्मी साथी को बचाने के लिए दूसरा साथी उसको सुरक्षित स्थान ले जा रहा है.
एक और फौजी साथी अपने साथी को मौत से बाहर खीच रहा है. दोनों तरफ के सैनिक मारे जा रहे हैं. फिर भी ये युद्ध शांत नहीं हो रहा. यूक्रेन हार मानेगा नही और रूस झुकेगा नहीं...बस ये युद्ध यूं ही चलता रहेगा.
गोला, बारूद कुछ वक्त के लिए थमा होगा उसी वक्त फौजी ने अपनों से बात करने के लिए फोन निकाला. क्योंकि पता नहीं अगला पल जीवन है या मौत. उसी वक्त एक बेजुबान भी उसके पास आकर चूमने लगता है.
मां, हम कहां जा रहे हैं. पापा, ये सब क्या हो रहा है. ये बिल्डिंग सब क्यों गिरी पड़ी हैं. पापा, ये युद्ध क्या होता है...सवाल इतने सारे, जवाब है ही नहीं...
लोगों को न तो नाटो से कुछ मतलब था, न रूस से. वो आराम से अपनी जिंदगी बिता रहे थे. काम के बाद घर लौटते थे, अपनों के साथ वक्त बिताते. खुशहाल जिंदगी का गुनहगार पता नहीं किसको कहें.
ये आंसू उनके लिए जो गुजर गए इस महाविनाशक युद्ध में. लोगों ने उनको श्रद्धांजलि दी.
यूक्रेन का एक फौजी बैठा है अपने साथी के शव के पास. वो रो नहीं रहा. उसके आंसू सूख गए हैं. कुछ नहीं बचा. ये कोई ऐसा युद्ध भी नहीं था जिसको लड़ने में गर्व महसूस हो. बस एक जिद ने सब कुछ तबाह कर दिया.
है इंतिज़ार मुझे जंग ख़त्म होने का लहू की क़ैद से बाहर कोई बुलाता है- आशुफ़्ता चंगेज़ी
क्षतिग्रस्त इमारतों से एक-एक जिंदगी को बचाते यूक्रेन के बचाव कर्मी.