चीन से आयात घटाने पर फोकस की जरूरत, व्यापार घाटे पर न दें ध्यान, एक्सपर्ट ने बताई वजह

चीन से आयात घटाने पर फोकस की जरूरत, व्यापार घाटे पर न दें ध्यान, एक्सपर्ट ने बताई वजह

भारत का ध्यान चीन के साथ कुल व्यापार घाटे पर नहीं होना चाहिए, बल्कि कुछ अहम चीजों के आयात पर निर्भरता कम करने पर होना चाहिए. नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने रविवार को यह बात कही है.

भारत का ध्यान चीन के साथ कुल व्यापार घाटे पर नहीं होना चाहिए, बल्कि कुछ अहम चीजों के आयात पर निर्भरता कम करने पर होना चाहिए. नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने रविवार को यह बात कही है. बेरी के मुताबिक, सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए सप्लाई चैन सहित अहम कच्चे माल की आपूर्ति के लिए अन्य स्रोतों में विविधता लाने की जरूरत है. चीन एपीआई का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है और कई भारतीय कंपनियां विभिन्न दवाओं के उत्पादन के लिए सामग्री के आयात पर निर्भर हैं.

भारत और चीन के बीच व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर रहा

बेरी ने कहा कि भारत का ध्यान चीन के साथ व्यापार घाटे पर नहीं होना चाहिए. इसकी जगह कुछ अहम चीजों के लिए चीन पर हमारी निर्भरता कम करने पर होना चाहिए. उनसे पूछा गया था कि चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को कम करने के लिए भारत को क्या उपाय करने चाहिए.

बेरी ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले सात सालों में अमेरिका और चीन जैसी बड़ी शक्तियों ने व्यापार में परस्पर निर्भरता को हथियार के रूप में चुना. आंकड़ों के मुताबिक, भारत और चीन के बीच व्यापार 2022 में 135.98 अरब डॉलर के सर्वकालिक ऊंचे स्तर को छू गया. इस दौरान चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा पहली बार 100 अरब डॉलर को पार कर गया. उन्होंने कहा कि चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करने के लिए भारत को क्षेत्रवार रणनीति तैयार करनी चाहिए.

आंकड़े दिखाते हैं कि चीन ने भारत को 118.5 अरब डॉलर का सामान एक्सपोर्ट किया. ये 2021 के मुकाबले 21.7 प्रतिशत अधिक है. वहीं चीन ने भारत से महज 17.48 अरब डॉलर का सामान ही इम्पोर्ट किया. ये 2021 के मुकाबले 37.9 प्रतिशत कम है. इस तरह चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 101.02 अरब डॉलर हो गया है. जबकि 2021 में ये 69.38 अरब डॉलर था.

ये पहली बार है जब चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 100 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया है. भारत के लिए ये स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को लेकर भारत कई बार अपनी परेशानी व्यक्त कर चुका है.

(भाषा इनपुट के साथ)