ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेब्यू और शतक, वेस्टइंडीज से अकेले लड़ा, टीम इंडिया का ‘जादूगर’
भारत के इस बल्लेबाज ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला और पहले ही मैच में शतक जमा बता दिया कि वह आने वाले कल का सितारा है.
भारत ने विश्व क्रिकेट को एक से एक दिग्गज बल्लेबाज दिए.ऐसे बल्लेबाज जिनकी क्लास बल्लेबाजी देख हैरानी होती है.सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस.लक्ष्मण ये कुछ नाम हैं जिन्होंने अपनी तकनीक के दम पर खूब वाहवाही बटोरी. इन लोगों की बल्लेबाज आंखों के लिए सुकून साबित होती थी, लेकिन कहा जाता है कि इन बल्लेबाजों से भी काफी ऊपर एक और बल्लेबाज था जिसकी क्लास बल्लेबाजी का कोई सानी नहीं. इस बल्लेबाज का नाम है गुंडप्पा विश्वनाथ.आज विश्वनाथ का जन्मदिन है. विश्वनाथ का जन्म 12 फरवरी 1949 को मैसूर में हुआ था.
भारत में जब कलाई के जादूगरों की बात की जाती है तो हैदराबाद के मोहम्मद अजरुद्दीन और लक्ष्मण का नाम आता है लेकिन इन दोनों से भी आगे थे विश्वनाथ. जो तेज रफ्तार ऑफ स्टंप के बाहर जाती गेंद को अपनी कलाई के जरिए मिडविकेट पर खेलने का दम रखते थे. इसलिए उन्हें कलाई का जादूगर कहते थे. विश्वनाथ ने अपनी बल्लेबाजी से कई शानदार पारियां खेली जो टीम के लिए संकटमोचक साबित हुईं.
डेब्यू में शतक
विश्वनाथ ने अपना पहला टेस्ट कानपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था. इस मैच में उन्होंने शतक जमाया था. इस मैच की पहली पारी में वह हालांकि जल्दी आउट हो गए थे और खाता भी नहीं खोल पाए थे लेकिन दूसरी पारी में उनका बल्ला चला और उससे शतक निकला. इस मैच में विश्वनाथ ने 137 रनों की पारी खेली. इस पारी के दम पर भारत ने मजबूत स्कोर खड़ा किया था. भारत ने अपनी दूसरी पारी सात विकेट के नुकसान पर 312 रनों पर घोषित की थी. अपनी इस पारी में विश्वनाथ ने 25 चौके लगाए थे. ऑस्ट्रेलिया ने हालांकि ये मैच ड्रॉ करा लिया था लेकिन विश्वनाथ ने ऐलान कर दिया था कि वह आने वाले समय में भारतीय बल्लेबाजी का बड़ा और महान नाम बनने वाले हैं.
चेन्नई में अकेले लड़ी लड़ाई
विश्वनाथ ने भारत के लिए 91 टेस्ट मैच खेले और 14 शतक लगाए. उन्होंने कई पारियां खेलीं जिनकी मिसाल आज भी दी जाती है. ऐसी ही एक पारी उन्होंने मद्रास जो अब चेन्नई है वहां खेली थी. चेपॉक में भारत का सामना उस समय की सबसे खतरनाक टीमों में से एक वेस्टइंडीज से था. वो वेस्टइंडीज जिसके पास एक से एक गेंदबाज थे. एलवीन कालीचरण की कप्तानी वाली वेस्टइंडीज शानदार खेल दिखा रही थी और तीन मैचों की टेस्ट सीरीज के बाद स्कोर लाइन 0-0 थी. चौथा टेस्ट मैच चेन्नई में था. वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 228 रन बनाए थे. कालीचरण ने 98 रनों की पारी खेली थी और बाकी बल्लेबाज धराशायी हो गए थे.
इसके बाद भारत ने अपनी पारी शुरू की लेकिन बल्लेबाज विकेट पर पैर नहीं जमा पाए. लेकिन विश्वनाथ ने अकेले लड़ाई लड़ी और शतक जमाया. जिस विकेट पर सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर जैसे जल्दी लौट लिए थे वहीं विश्वनाथ ने खूंटा गाड़ा और शतक जमाया. विश्वनाथ ने 124 रनों की पारी खेली जिसमें 17 चौके मारे.दूसरी पारी में विश्वनाथ ने 31 रन बनाए. भारत ने पहली पारी में 255 रन बनाए और वेस्टइंडीज को दूसरी पारी में 151 रनों पर ढेर कर दिया. भारत को 125 रन बनाने थे जो उसने सात विकेट खोकर हासिल कर लिया.