Ujjain: बाबा महाकाल की पालकी उठाने वाले कहार को पैरालिसिस अटैक, अस्पताल में भर्ती- Video
उज्जैन में सावन महीने के दूसरे सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी को धूमधाम से निकाला गया. हालांकि इस दौरान बाबा महाकाल की पालकी को उठाने वाले एक कहार को पैरालिसिस अटैक आ गया. आनन-फानन में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है.
उज्जैन में बाबा महाकाल की सवारी सोमवार को महाकाल मंदिर क्षेत्र में भ्रमण पर निकली. शाम के समय अचानक महाकाल की पालकी को कंधा दे रहे कहार की तबीयत खराब हो गई. सवारी में शामिल लोग एंबुलेंस से कहार को तुरंत अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों की जांच-पड़ताल में पता चला कि उसे पैरालिसिस अटैक आया है. फिलहाल कहार का इलाज जारी है और हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है.
धार्मिक नगरी उज्जैन में सावन के महीने में बाबा महाकाल की सवारी प्रति सोमवार को निकाली जाती है. आज भी महाकाल की दूसरी सवारी नगर भ्रमण पर निकाली गई थी, लेकिन सभा मंडप से जैसे ही यह सवारी जय श्री महाकाल के उद्घोष के साथ आगे बड़ी, वैसे ही श्री सिद्धिविनायक गणेश मंदिर के पास पालकी को कंधा दे रहे कहार दीपक (26) निवासी नर्सिंह घाट की अचानक तबीयत खराब हो गई.
जब लोगों ने दीपक को गिरते हुए देखा तो पहले तो वह कुछ समझ नहीं पाए, लेकिन बाद में उन्होंने दीपक को सवारी में शामिल एंबुलेंस में लिटाया और तुरंत नानाखेड़ा क्षेत्र स्थित एक निजी अस्पताल में ले गए. बताया जाता है कि दीपक को पैरालिसिस अटैक आया था, जिसके कारण ही उसकी तबीयत बिगड़ गई थी.
सूचना मिलते ही अस्पताल पहुंच गए परिजन
दीपक की तबीयत खराब होने की सूचना मिलते ही तुरंत उसके परिजन अस्पताल पहुंच गए. परिजनों का कहना था कि दीपक हर बार की तरह इस बार भी बाबा महाकाल की पालकी को कंधा देने के लिए सवारी में गया था, लेकिन इस दौरान उसकी तबीयत खराब हो गई. अब बाबा महाकाल की उसकी रक्षा करेंगे.
दीपक गिरा तो उठाने के लिए पहुंच गए थे लोग
सोमवार को सिद्धिविनायक गणेश मंदिर के पास जैसे ही बाबा महाकाल की यह सवारी पहुंची, वैसे ही दीपक अचानक नीचे गिर गया. उसके साथियों ने जब उसे सवारी के दौरान नीचे गिरा हुआ देखा तो तुरंत उसे संभाला और अस्पताल पहुंचा दिया.
बाबा महाकाल को मानते हैं राजा, इसीलिए पालकी में होते हैं सवार
बताया जाता है कि बाबा महाकाल को उज्जैन की जनता यहां का राजा मानती है. यही कारण है कि राजाधिराज बाबा महाकाल सावन भादो मास में निकलने वाली प्रत्येक सवारी में पालकी में विराजमान होते हैं और प्रजा का हाल जानते हैं. प्रतिवर्ष ही लगभग 50 से अधिक कहार बाबा महाकाल की सवारी को कंधा देते हैं.
यह सवारी शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए रामघाट पहुंचती है और रामघाट से होते हुए पुनः महाकाल मंदिर पहुंचती है. बाबा महाकाल को पालकी में निकाली जाने की परंपरा काफी पुरानी है, जिसका निर्वहन आज भी श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के द्वारा किया जा रहा है. बताया जाता है कि बाबा महाकाल की अभी पांच सवारियां निकलना और भी शेष हैं, जिसमें भी बाबा महाकाल पालकी में सवार होकर ही अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलेंगे.