Thane Lok Sabha Seat: खूबसूरत झीलों के शहर ठाणे पर है शिवसेना का कब्जा, अब करना होगा कई चुनौतियों का सामना

Thane Lok Sabha Seat: खूबसूरत झीलों के शहर ठाणे पर है शिवसेना का कब्जा, अब करना होगा कई चुनौतियों का सामना

ठाणे लोकसभा सीट पर सात बार शिवसेना का कब्जा रहा है. पिछले 10 साल से यहां शिवसेना के राजन विचारे सांसद हैं. इस बार परिस्थितियां अलग हैं. उद्वव ठाकरे वाली शिवसेना अब एकनाथ शिंदे के पास चली गई है. इस बार कई चुनौतियों का सामना शिवसेना को करना होगा.

महाराष्ट्र की ठाणे लोकसभा सीट राज्य की सबसे ज्यादा मतदाताओं वाली सीट में शुमार है. यह राज्य की महत्तवपूर्ण सीट में गिनी जाती है. मुंबई के पूर्वी हिस्से में स्थित ठाणे में 35 खूबसूरत झीलें मौजूद हैं. यह झीलों के शहर के रूप में भी जाना जाता है. चारों ओर पहाड़ियों से घिरे इस शहर का इतिहास काफी रोचक रहा है. यहां पुर्तगालियों, मराठा और ब्रिटिशों का अधिकार रह चुका है. सबसे रोचक बात यह है कि यह शहर मध्य, पश्चिम, हार्बर और ट्रांस हार्बर चारों रेल लाइन से जुड़ा हुआ है.

कारोबारी मामले में भी ठाणे की अपनी अलग पहचान है. यहां कपड़े का बड़ा कारोबार है और यह इसका औद्योगिक केंद्र बन गया है. इसके अलावा यहां के प्राचीन मंदिरों, किले, चर्च, बड़े-बड़े पार्क और हरी-भरी पहाड़ियां आपको रोमांचित कर देंगी. राजनितिक दृष्टि से ठाणे लोकसभा सीट काफी महत्त्वपूर्ण है. इसमें 6 विधानसभा सीटें मीरा भयंदर, ठाणे, बेलापुर, ऐरोली, कोपरी पाचपाखड़ी और ओवला माजिवाड़ा आती हैं.

नहीं रहा किसी एक पार्टी का दबदबा

ठाणे लोकसभा सीट पहले कोलाबा लोकसभा क्षेत्र में आती थी. इस लोकसभा सीट पर दो सदस्य चुने जाते थे. 1952 और 1957 में ठाणे क्षेत्र ने लोकसभा में दो सदस्यों का योगदान दिया था. बाद में यह स्वतंत्र संसदीय क्षेत्र बना. इस सीट की खासियत रही कि यहां कभी लंबे समय तक किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा. शरुआती दौर में यहां समाजवादियों का कब्जा रहा. यहां से दो बार जनता पार्टी से चुनाव लड़े रामचंद्र विजयी रहे.

कांग्रेस-बीजेपी की रही लड़ाई

1982 के उपचुनाव में यह सीट बीजेपी के पास चली गई. भाजपा से जगन्नाथ पाटिल ने जीत दर्ज की.साल 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के देहांत के बाद यह सीट कांग्रेस के खाते में पहुंच गई और यहां से शांताराम घोलप ने जीत हासिल की. साल 1989 के चुनाव में यह सीट फिर से बीजेपी के खाते में पहुंच गई. भाजपा उम्मीदवार राम कापसे चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. 1991 के चुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी राम कापसे लगातार दूसरी बार चुने गए.

शिवसेना ने किया कब्जा

इसके बाद यह सीट शिवसेना का गढ़ बन गई. यहां से साल 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में शिवसेना के प्रकाश परांजपे लगातार चार बार विजयी हुए. उनके निधन के बाद यहां साल 2008 में उपचुनाव हुआ जिसमें उनके बेटे आनंद परांजपे ने शिवसेना के टिकिट पर चुनाव जीता था. उसके बाद साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी संजीव नायक ने जीत दर्ज की. साल 2014 में इस सीट से शिवसेना के राजन विचारे चुनाव जीते. राजन ने यहां से लगातार दो बार 2014 और 2019 का चुनाव जीता.

राज्य में सबसे ज्यादा मतदाता वाली सीट

ठाणे लोकसभा सीट मतदाताओं की संख्या के लिहाज से राज्य का सबसे बड़ा मतदान वाली सीट है. चुनाव आयोग ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 23 लाख 70 हजार 903 मतदाता दर्ज किए गए. इनमें पुरुष मतदाता 12 लाख 94 हजार 255 और महिला मतदाता 10 लाख 76 हजार 584 हैं. साल 2014 के चुनाव की तुलना में यहां करीब 2 लाख 35 हजार मतदाता बढ़े हैं. इस मतदान क्षेत्र में आबादी तेजी से बढ़ रही है.

सड़क, रेल और हवाई मार्ग से जुड़ा है ठाणे

ठाणे सड़क, रेल और हवाई मार्ग से आसानी जाया जा सकता है. यह देश के हर शहरों से जुड़ा हुआ है. यहां बसों के माध्यम से आसानी से जाया जा सकता है. ठाणे में एक केंद्रीय बस स्टेशन है जो पूरे देश के सभी शहरों से कनेक्ट है. आप देश के किसी भी शहर से रेल मार्ग से यहां आ सकते हैं. यहां का रेलवे स्टेशन मुंबई उपनगरीय नेटवर्क का सबसे व्यस्त स्टेशन है. इस स्टेशन से किसी भी शहर के लिए रेल सेवा उपलब्ध है. बात करें हवाई मार्ग की तो ठाणे में कोई हवाई अड्डा नहीं है. शहर से 16 किलोमीटर दूर मुंबई का छत्रपति शिवाजी हवाई अड्डा है जो देश के प्रमुख हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है.