World Boxing Championship के लिए नेशनल चैंपियन का नहीं हुआ चयन, इंसाफ के लिए पहुंची कोर्ट

World Boxing Championship के लिए नेशनल चैंपियन का नहीं हुआ चयन, इंसाफ के लिए पहुंची कोर्ट

वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के लिए हुए चयन से कुछ बॉक्सर खुश नहीं है. इसी वजह से उन्होंने कोर्ट जाने का फैसला किया है

नई दिल्ली. भारत इस बार महिला बॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप की मेजबानी करने वाला है. इस चैंपियनशिप को लेकर पहले ही काफी विवाद हो चुके हैं अब इसमें एक और विवाद शामिल हो गया है. वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में नहीं चुने जाने वाली मौजूदा राष्ट्रीय चैंपियन मंजू रानी, शिक्षा नरवाल और पूनम पूनिया ने सोमवार को नेशनल फेडरेशन पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी रिट याचिका को स्वीकार कर लिया है और मंगलवार को मामले की सुनवाई करेगा. इस रिट याचिका में तीनों मुक्केबाजों ने तर्क दिया कि उन्हें छोड़कर दिसंबर 2022 में भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय चैंपियनशिप में सभी स्वर्ण पदक विजेताओं को भारतीय टीम में जगह दी गयी है.

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कोर्ट पहुंचे बॉक्सर

इसके मुताबिक, याचिकाकर्ताओं ने महिला विश्व चैंपियनशिप में चयन के लिए उनके नाम पर विचार करने के लिए संबंधित अधिकारियों से अनुरोध किया है, लेकिन उन्हें कोई सार्थक परिणाम नहीं मिला. विश्व चैंपियनशिप (2019) की सिल्वर मेडल विजेता मंजू ने पीटीआई-भाषा से कहा, जब नौ अन्य मुक्केबाजों (जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर जीत हासिल की) का सीधा चयन हो गया तो रेलवे की टीम से जुड़े हम तीनों को क्यों नहीं चुना गया.

उन्होंने कहा, हमने इस बार में बीएफआई (भारतीय मुक्केबाजी महासंघ) को लिखा और अभी तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला है. बीएफआई ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीतना टीम चुनने का मानदंड नहीं था. बीएफआई के अनुसार उसने पुरुषों और महिलाओं की विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों के लिए नयी चयन नीति का पालन किया. इसमें मंजू (48 किग्रा), शिक्षा (54 किग्रा) तथा पूनम (60 किग्रा) 12 सदस्यीय टीम में जगह नहीं बना सकीं.

नई नीति से हुआ खिलाड़ियों का चयन

हाई परफार्मेंस निदेशक (एचपीडी) बर्नार्ड डन के परामर्श से तैयार की गई नयी नीति में मुक्केबाजों को तीन सप्ताह तक एक मूल्यांकन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इसमें उन्हें विभिन्न मानदंडों पर परखा जाता है. एचपीडी, भास्कर भट्ट और सीए कुट्टपा (महिला और पुरुष टीमों के मुख्य कोच) ने इसमें मुक्केबाजों का आकलन कर एक रैंकिंग सूची बनाई गई जिसमें 12 राष्ट्रीय चैंपियनों में से नौ पहले स्थान पर रहे. राष्ट्रमंडल खेलों की चैंपियन नीतू घंगस (634), प्रीति (623) और राष्ट्रमंडल खेलों की कांस्य पदक विजेता जैस्मिन लम्बोरिया (612) ने इस मूल्यांकन परीक्षा में क्रमश: मंजू (564), शिक्षा (573) और पूनम (567) से आगे रहते हुए टीम में जगह बनायी.

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