कैश के बदले सवाल: मानहानि मामले में महुआ मोइत्रा ने मीडिया घरानों के खिलाफ केस वापस लिया, अगली सुनवाई 5 दिसंबर को
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने यह भी आरोप लगाया कि हीरानंदानी का हलफनामा प्रधानमंत्री कार्यालय में कुछ आधे-अधूरे लोगों द्वारा तैयार किया गया है, जो बीजेपी के आईटी सेल में एक क्रिएटिव लेखक के रूप में काम करते हैं. मोइत्रा ने उन दावों को भी खारिज कर दिया कि हीरानंदानी ने उनकी मांगें मान लीं क्योंकि वह उनसे नाराज होने से डरते थे.
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने ‘कैश फॉर क्वेरी’ (कैश के बदले सवाल) विवाद मामले में मीडिया घरानों के खिलाफ मानहानि का मामला ले लिया है. मोइत्रा ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया कि वह ‘कैश फॉर क्वेरी’ विवाद से संबंधित उनके द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में मीडिया घरानों के खिलाफ राहत के लिए दबाव नहीं डालेंगी.
जस्टिस सचिन दत्ता को महुआ मोइत्रा के वकील ने जानकारी देते हुए कहा कि वह केवल भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राई के खिलाफ राहत के लिए कोर्ट से आग्रह करेंगी. वहीं, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के वकील अभिमन्यु भंडारी ने कोर्ट को बताया किया कि महुआ मोइत्रा ने एक इंटरव्यू दिया है जहां उन्होंने स्वीकार किया है कि उन्होंने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी को अपनी संसदीय लॉगिन ID और पासवर्ड दिया था और इसलिए, अपने मुकदमे में अन्यथा दावा करके झूठी गवाही दी.
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समाचार एजेंसी ( ANI ) की ओर से पेश वकील सिद्धांत कुमार ने कहा कि चूंकि मोइत्रा मीडिया घरानों के खिलाफ राहत की मांग नहीं कर रही थीं, इसलिए उन्हें अपने मुकदमे में संशोधन करना चाहिए क्योंकि मुकदमे में मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ आरोप थे. जिसके बाद कोर्ट ने महुआ मोइत्रा के वकील समुद्र सारंगी से संबंधित पक्षों के मेमो में संशोधन करने को कहा और मामले को स्थगित कर दिया. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 5 दिसंबर की तारीख तय की है.
दिल्ली हाई कोर्ट पहुंची हैं महुआ मोइत्रा
आपको बता दें कि महुआ मोइत्रा ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया प्लेटफार्मों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है और उन्हें उन कथित मानहानिकारक आरोपों को हटाने के लिए निर्देश देने की मांग की है कि उन्होंने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से नकदी के बदले में अदानी समूह के खिलाफ संसद में सवाल पूछने का दावा किया था.
याचिका में कुल 15 मीडिया घरानों को पक्षकार बनाया गया है. महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर), गूगल और यूट्यूब के खिलाफ इन प्लेटफार्मों से उनके खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक सामग्री को हटाने के लिए राहत की भी मांग की है.
महुआ पर क्या है आरोप?
निशिकांत दुबे और देहाद्राई ने आरोप लगाया है कि मोइत्रा ने संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत ली. बीजेपी सांसद ने रविवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि महुआ मोइत्रा नकदी और उपहारों के बदले बिजनेस टाइकून दर्शन हीरानंदानी की ओर से संसद में सवाल उठाने के लिए सहमत हुई थी.
निशिकांत दुबे ने देहाद्राई द्वारा CBI को जांच के लिए लिखी चिट्ठी के आधार पर यह शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि ‘इस बात के अकाट्य सबूत हैं कि महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी से रिश्वत ली थी.’ महुआ मोइत्रा ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद और मानहानिकारक बताया है और निषेधाज्ञा के अलावा हर्जाना भी मांगा है.
महुआ का दावा उनकी प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचा है
पश्चिम बंगाल से सांसद महुआ ने कहा कि निशिकांत दुबे, देहादराय और दूसरे के कृत्यों से उनकी गरिमा, प्रतिष्ठा, सम्मान और सद्भावना को गंभीर नुकसान पहुंचा है. उन्होंने देहाद्राई, नाशिक दुबे और मीडिया को कानूनी नोटिस भेजकर आरोप वापस लेने को कहा बाद में दिल्ली हाई कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया.
हालांकि इसी बीच, हीरानंदानी का बयान हाल ही में मीडिया में सामने आया जिसमें उन्होंने देहाद्राई के दावों की पुष्टि की और यह भी कहा कि उन्होंने अदानी समूह को टारगेट करने वाले संसद में प्रश्नों का मसौदा तैयार करने और पोस्ट करने के लिए मोइत्रा के संसदीय लॉगिन का इस्तेमाल किया.
‘मोइत्रा को नाराज नहीं करना चाहते थे’
बयान में दावा किया गया है कि वह महुआ मोइत्रा को नाराज नहीं करना चाहते थे और उन्होंने उनके लिए कई उपकार किए जिनमें उन्हें महंगी लग्जरी वस्तुएं उपहार में देना और दिल्ली में उनके आधिकारिक बंगले के रेनोवेशन में सहायता प्रदान करना शामिल था. इसके जवाब में मोइत्रा ने भी एक बयान जारी कर सवाल उठाया कि बिना किसी लेटरहेड के श्वेत पत्र पर हस्ताक्षरित हलफनामा कैसे जारी किया गया.
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