अधिकारी जानकारी देने के बदले मांग रहा था 2 हजार की रिश्वत, रंगे हाथों पकड़ा गया
लोकायुक्त डीएसपी सुनील कुमार ने बताया कि आरोपी रघुवंशी का 30 अप्रेल को रिटायरमेंट होने वाला है. आरोपी ने अपने कार्यालय के बाहर दलालों से बचने के लिए एक पोस्टर लगा रखा था, जिसमे लिखा है दलालों से सावधान.
उज्जैन- मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में लोकायुक्त पुलिस ने गुरुवार को उज्जैन नगर निगम के झोन क्रमांक 5 में तैनता सहायक संपत्ति कर अधिकारी को 2000 रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है.इस दौरान आरोपी ने पीड़ित पक्ष से नामंत्रण की नकल निकालने के एवज में 2000 हजार रुपए की रिश्वत लेने की मांग की थी, जिसकी शिकायत पर लोकायुक्त ने उन्हें ट्रैप किया है. बता दें कि, आरोपी आगामी 30 अप्रैल को सेवानिवृत्ति होने वाले थे.
दरअसल, जानकारी के मुताबिक, एडवोकेट आशिफ हुसैन ने 27 फरवरी को लोकायुक्त से शिकायत की थी, जिसमें आवेदक ने बताया था कि नगर निगम के जोन क्रमांक 5 में उसने नामांतरण केस की नकल के लिए आवेदन किया था. प्रतिलिपि के लिए 2 महीने से निगम कार्यालय के चक्कर काट रहा था. इसे देने के एवज में सहायक संपत्तिकर अधिकारी रमेशचंद्र रघुवंशी 2000 हजार रुपए की रिश्वत मांग की.
पोस्टर लगा रखा था, जिसमें लिखा था दलालों से सावधान
वहीं, जब लोकायुक्त टीम ने एडवोकेट की शिकायत का वैरिफिकेशन कराया. जांच में रिश्वत की मांग सही पाई गई. सहायक संपत्तिकर अधिकारी ने एडवोकेट को रुपए लेकर कार्यालय बुलाया था. सहायक संपत्तिकर अधिकारी ने जैसे ही एडवोकेट से रुपए लेकर टेबल की दराज में रखे, तभी लोकायुक्त ने उसे दबोच लिया.
इस दौरान लोकायुक्त डीएसपी सुनील कुमार ने बताया कि आरोपी रघुवंशी का 30 अप्रेल को रिटायरमेंट होने वाला है. आरोपी ने अपने कार्यालय के बाहर दलालो से बचने के लिए एक पोस्टर लगा रखा था, जिसमे लिखा है दलालों से सावधान.
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रिटायरमेंट में बचे थे 1 से 2 महीनें
इस मामले में लोकायुक्त पुलिस ने बताया कि 2012 में भी रघुवंशी पर लोकायुक्त का कोई केस दर्ज हुआ था. वहीं, रघुवंशी के रिटायरमेंट में 1 से 2 महीने बाकी थे, जिसके पहले ही वे लोकायुक्त के हत्थे चढ़ गए.
नामांतरण की नकल निकालने के लिए मांगी थी रिश्वत
लोकायुक्त उज्जैन संभाग के पुलिस अधीक्षक अनिल विश्वकर्मा ने बताया कि आशिफ हुसैन खान एडवोकेट ने कुछ समय पहले आवेदन प्रस्तुत कर नगर निगम जोन क्रमांक 5 मे सूचना के अधिकार के तहत नामांतरण केस क्रमांक 1544/2022 की नकल हेतु आवेदन दिया तो रमेशचंद रघुवंशी संपत्ति कर अधिकारी द्वारा 2000 की रिश्वत के रूप में मांग की गई.
उन्होंने बताया कि आसिफ इस मामले में रिश्वत देना नहीं चाहता था. इसीलिए वह हमारे पास आया और रिश्वत मांगने वाले अधिकारी को रंगे हाथ और टाइप करवाने की बात कही थी, जिसके बाद ट्रैप दल का गठन किया. तब जाकर नगर निगम जोन 5 के तहत अपने कार्यालय में रमेश चंद्र रघुवंशी को 2000 लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया.
कैसे काम करता है लोकायुक्त?
बता दें कि, लोकायुक्त भारत के राज्यों द्वारा गठित भ्रष्टाचाररोधी संस्था है. इसका गठन स्कैंडिनेवियन देशों में प्रचित ‘अंबुड्समैन’ की तर्ज पर किया गया था. लोकायुक्त का कार्यकाल 5 साल का होता है. लोकायुक्त संस्था का सृजन जन साधारण को स्वच्छ प्रशासन प्रदान करने के उद्देश्य से लोक सेवको के खिलाफ भ्रष्टाचार एवं पद के दुरूपयोग सम्बन्धी शिकायतों पर स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से जांच एवं अन्वेषण करने हेतु राजस्थान लोकायुक्त और उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1973 के तहत हुआ है.
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