UP: नमाज पढ़ना गुनाह है तो सरकारी ऑफिस में नहीं होने चाहिए धार्मिक निशान- असदुद्दीन ओवैसी
मामला 3 जून का है. यूपी रोडवेज की जनरथ बस बरेली से कौशांबी आ रही थी. इसी बीच रास्ते में दो मुसलमान युवकों ने नमाज पढ़ने के लिए ड्राइवर से बस रोकने की अपील की. उनकी अपील पर ड्राइवर ने रोड के किनारे बस को दो मिनट के लिए लगा दिया.
उत्तर प्रदेश राडवेज की बस को रोककर नमाज पढ़वाने के बाद ड्राइवर और कंडेक्टर के खिलाफ हुई कार्रवाई का मामला तेजी से गरमा रहा है. इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने आपत्ति जताई है कि अगर नमाज पढ़ ली गई तो कौन सी कयामत आ गई है. अगर ऐसा ही है तो सरकारी दफ्तरों से किसी के धार्मिक निशान नहीं होने चाहिए.
हैदराबाद के सांसद औवैसी ने एक रैली को संबोधित करते हुए इस घटना का जिक्र किया. उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश के बरेली से बस जा रही थी. बस रास्ते में रुकी तो किसी मुसलमान ने कहा कि भाई तीन मिनट रूक जाओ. हम नमाज पढ़ लेते हैं. सिर्फ दो मुसलमान नमाज पढ़े थे, तो कृष्णपाल सिंह ड्राइवर को सस्पेंड कर दिया और मोहित यादव को बर्खास्त कर दिया. इन्होंने सिर्फ दो मिनट की नमाज पढ़ी.
असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा, ‘अगर नमाज पढ़े तो क्या कयामत आ गई? अगर नमाज पढ़ना गुनाह है तो पूरे सरकारी दफ्तरों में किसी के धार्मिक निशान नहीं होने चाहिए. किसी भी कलेक्टर के दफ्तर का उद्धाटन हो.. सचिवालय हो, कोई भी मजहबी त्योहार नहीं होना चाहिए. दो मिनट के लिए बस रुकी तो आपने बस के ड्राइवर को सस्पेंड और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी कंडक्टर मोहित यादव को बर्खास्त कर दिया. आप सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास की बात करते हैं.’
नमाज पढ़ने का क्या था मामला?
बताया जा रहा है कि मामला 3 जून का है. यूपी रोडवेज की जनरथ बस बरेली से कौशांबी आ रही थी. इसी बीच रास्ते में दो मुसलमान युवकों ने नमाज पढ़ने के लिए ड्राइवर से बस रोकने की अपील की. उनकी अपील पर ड्राइवर ने रोड के किनारे बस को दो मिनट के लिए लगा दिया. दोनों युवकों ने नमाज पढ़ी, लेकिन बस में मौजूद कुछ यात्रियों के ये बात नागवार गुजरी और उन्होंने आपत्ति जताई. इसी बीच कुछ यात्रियों ने पूरे मामले का वीडियो बना लिया और वायरल कर दिया. मामला रोडवेज अधिकारियों के पास पहुंचा तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए ड्राइवर को सस्पेंड कर दिया, जबकि संविदा पर नौकरी कर कंडेक्टर को बर्खास्त कर दिया.