राज्यपाल की प्रधान सचिव को क्यों हटाया गया? ममता सरकार ने जताया ऐतराज

राज्यपाल की प्रधान सचिव को क्यों हटाया गया? ममता सरकार ने जताया ऐतराज

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस की प्रधान सचिव नंदिनी चक्रवर्ती को हटाये जाने को लेकर राजभवन और राज्य सचिवालय नबान्न आमने-सामने आ गया है.

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के सीवी आनंद बोस की प्रधान सचिव के तबादले को लेकर राज्य सरकार और राजभवन में तनातनी है. रविवार की रात को सीवी आनंद बोस की ने प्रधान सचिव नंदिनी चक्रवर्ती को हटाने का निर्देश दिया था. राजभवन सूत्रों के अनुसार सोमवार को राजभवन ने नंदिनी चक्रवर्ती को सचिव पद से बर्खास्त कर दिया है. इस बीच ममता बनर्जी सरकार ने राज्यपाल के फैसले पर आपत्ति जताई है. राज्य सचिवालय नबान्न सूत्रों के अनुसार, नंदिनी चक्रवर्ती को नबान्न द्वारा स्थानांतरित नहीं किया जा रहा है.

राज्य सचिवालय की आपत्ति के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या नबान्न और राजभवन के बीच फिर से टकराव शुरू हो गया है? हालांकि अभी तक राज्यपाल सीवी आनंद बोस और सीएम ममता बनर्जी के रिश्ते काफी अच्छे हैं.

ममता और राज्यपाल की नजदीकी पर विपक्ष का सवाल

विपक्ष राज्यपाल और सीएम ममता बनर्जी की नजदीकी पर सवाल उठा चुका है. विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सार्वजनिक रूप से कहा, राज्यपाल एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं. मैं उनके बारे में कुछ नहीं कहूंगा. जब भी मैंने उनके बारे में बात की है, मैंने हमेशा कहा है कि उनकी सचिव नंदिनी चक्रवर्ती गलत बयान दे रही हैं.” इसी माहौल में रविवार की रात अचानक सुना गया कि नंदिनी चक्रवर्ती को उनके पद से हटा दिया गया है.

राजभवन ने नंदिनी चक्रवर्ती को प्रधान सचिव के पद से हटाया

प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक राजभवन ने नंदिनी चक्रवर्ती को तो हटा दिया है, लेकिन सचिव पद पर राज्य सरकार किसी को नहीं भेज रही है. इस बीच, राज्य सरकार के नियमों के अनुसार, यह नबान्न से तय होगा कि राजभवन में सचिव कौन होगा. हालांकि, कई बार राजभवन व्यक्तिगत राय व्यक्त कर सकता है. हालांकि, राजभवन के निर्देश के बाद अगर नबान्न नंदिनी चक्रवर्ती को नहीं हटाता है, तो सवाल उठता है कि क्या नबान्न का इस राज्यपाल के साथ संघर्ष शुरू हो गया है?

प्रधान सचिव को लेकर शुरू हुई राजनीतिक बयानबाजी

तृणमूल सांसद शांतनु सेन ने कहा, “यह एक प्रशासनिक फैसला है. मुझे इस पर कोई राय देने का अधिकार नहीं है और न ही मुझे होगा, लेकिन विपक्षी शासित राज्य राज्यपाल को अपनी पार्टी के प्रवक्ता के रूप में, राजभवन को अपने पार्टी मुख्यालय के रूप में इस्तेमाल करने के आदी हैं.” वहीं सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “क्या यह अचानक हुआ या शुभेंदु अधिकारी के कहने के बाद हुआ? जिस तरह से यह तबादला किया जा रहा है वह अलोकतांत्रिक है.” हालांकि, बीजेपी नेता शमिक भट्टाचार्य ने कहा, “एक स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रशासनिक प्रमुख और संवैधानिक प्रमुख के बीच कोई भी टकराव वांछनीय नहीं है. हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल अच्छी परिस्थितियों में मिलकर काम करें, लेकिन तृणमूल राजभवन को तृणमूल का वास्तविक कार्यालय बनाना चाहती है. हम कोई संघर्ष नहीं चाहते, राज्यपाल को व्यक्तिगत रूप से अपना कर्तव्य निभाना चाहिए, ताकि संविधान की रक्षा हो सके. “