शादी के सात वचन कौन कौन से हैं, वर-वधू को ये वचन क्यों दिलाए जाते हैं !

शादी के सात वचन कौन कौन से हैं, वर-वधू को ये वचन क्यों दिलाए जाते हैं !

हिंदू धर्म में विवाह के फेरे लेते समय वर और वधू को सात वचन दिलाए जाते हैं. इसके बाद ही दो अजनबी लोग जीवनभर की यात्रा के साथी बन जाते हैं. जानिए ये वचन क्या हैं और इनका म​हत्व क्या है !

Marriage

शादी (Marriage) जीवन का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है. शादी के बाद एक लड़की अपना सब कुछ छोड़कर एक नए परिवार में जाती है और वहां के नियमों, संस्कारों को अपनाती है. नए परिवार में लड़की को सम्मानजनक जगह दिलाने और नव विवाहित वर वधू को उनकी नई जिंदगी के कर्तव्यों का बोध कराने के लिए अग्नि के फेरे लेते समय सात वचन दिलाए जाते हैं. ये वचन कन्या अपने वर से मांगती है. शादी के ये सात वचन (Seven Vachan of Marriage) वर और वधू दोनों को एक दूसरे के अधिकारों, कर्तव्य और अहमियत के बारे में बताते हैं. शादी के तीन फेरों में कन्या वर से आगे रहती है और चार फेरों में वो वर के पीछे चलते हुए वचन मांगती है. इसके बाद ही ये रिश्ता बनता है और दो लोग एक दूसरे के सुख दुख के साथी बन जाते हैं. आइए जानते हैं वो सात वचन कौन कौन से हैं.

1. पहला वचन

पहले फेरे में दुल्हन आगे चलती है और अपने होने वाले जीवनसाथी से ये वचन मांगती है कि जब भी आप जीवन में कोई तीर्थयात्रा, हवन, पूजा या अन्य कोई धर्म कार्य करेंगे तो वो आप मुझे अपने साथ रखेंगे. तो मैं आपके वामांग में आना चाहूंगी.

2. दूसरा वचन

दूल्हे से दूसरा वचन दुल्हन लेती है कि मैं जिस तरह से अपने माता पिता का सम्मान करती आयी हूं, उसी तरह से आपके माता पिता और परिजनों का सम्मान करूंगी. घर की मर्यादा का ध्यान रखूंगी. लेकिन मेरी ही तरह आप भी मेरे माता-पिता का सम्मान करेंगे और घर परिवार को अपना मानेंगे, तो मैं आपके बाएं यानि वामांग आना पसंद करूंगी.

3. तीसरा वचन

तीसरे फेरे में दुल्हन दूल्हे से ये वचन लेती है कि मैं जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था) में आपका साथ निभाउंगी, अगर आप भी मुझे ऐसा वचन देते हैं, तो मैं आपके वामांग आना चाहूंगी.

4. चौथा वचन

शादी के तीन वचन पति से लेने के बाद चौथे वचन में दूल्हा आगे आता है, इसके बाद दुल्हन पति से वचन मांगते हुए कहती है कि अब तक आप घर-परिवार की चिंता से मुक्त थे. विवाह के बाद परिवार की जरूरतों को पूरा करने का दायित्व आप पर होगा, अगर आप इसे निभाने को तैयार हैं, तो मैं आपके वामांग में आना चाहूंगी.

5. पांचवां वचन

पांचवे वचन में कन्या अपने अधिकारों की बात करते हुए दूल्हे से वचन मांगती है कि घर के कार्यों में, विवाह आदि, लेन-देन और किसी अन्य चीज पर खर्चा करते समय अगर आप मेरी भी राय लिया करेंगे, तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.

6. छठा वचन

शादी के छठे फेरे में दुल्हन दूल्हे से ये वचन मांगती है कि अगर मैं अपनी सखियों, परिवार या अन्य लोगों के बीच बैठी हूं, तो आप कभी मेरा सामाजिक रूप से अपमान नहीं करेंगे. साथ ही जुआ आदि किसी भी बुरी आदतों में नहीं फंसेंगे. अगर आप मुझे ये वचन दें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.

7. सातवां वचन

शादी के आखिरी यानी सातवें फेरे में दुल्हन कहती है कि आप पति-पत्नी के आपसी प्रेम का भागीदार किसी अन्य को नहीं बनाएंगे और अन्य स्त्रियों को माता की भांति सम्मानजनक दृष्टि से देखेंगे, अगर आप ये वचन दें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करूंगी.