हिटलर से बचा, सट्टेबाजी से कूटी चांदी! मोदी को कोसने वाले का कच्चा चिट्ठा
जॉर्ज सोरोस को भारत में विवादित माना जाता है और उनपर भारतीय लोकतंत्र को तोड़ने के आरोप लगते रहे हैं. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर आलोचक हैं. पढ़ें आखिर सोरोस है कौन और क्यों करता है पीएम मोदी की आलोचना है?
जॉर्ज सोरोस, हंगरी-अमेरिकी मूल के मशहूर बिलियनेअर उद्योगपति भारत में एक बार फिर विवादों में हैं. सोरोस फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बयानबाजी करके घिर गए हैं. अपने अबतक के करियर में उन्होंने कई विवाद खड़े किए और पिछले कुछ सालों से खासतौर पर वह पीएम मोदी के आलोचक रहे हैं. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उनके हालिया बयान पर जवाब दिया और कहा कि ‘जिसने बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद कर दिया, और जिसपर इकोनॉमिक वॉर क्रिमिनल का ठप्पा लगा हो, वो अब भारतीय लोकतंत्र को तोड़ने की मंशा रखता है.’ आइए जानते हैं कि आखिर जॉर्ज सोरोस है कौन और पीएम मोदी पर उंगली उठाने वाला होता कौन है?
जॉर्ज सोरोस, 1930 में हंगरी में पैदा हुए, जिन्हें नाजियों की ज्यादती का सामना करना पड़ा, जहां हिटलर ने 500,000 से ज्यादा यहूदियों की हत्याएं की. सोरोस और उनके परिवार के बारे में बताया जाता है कि उन्होंने फर्जी आईडी प्रूफ दिखाकर नाजियों की चंगुल से बच निकलने में कामयाब रहे. कहा जाता है कि इन्हीं वजहों से वह एक ऐसा इंसान बनना चाहते थे, जो दुनियाभर में जरूरतमंदों की मदद करे. युद्ध के बाद जब हंगरी में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी तो वह अपने परिवार के साथ लंदन चले गए, जहां उन्होंने रेलवे स्टेशन पर पोर्टर का काम किया. बाद में 1956 में वह अमेरिका चले गए, जहां आज भी वह रहे हैं.
अपने फायदे के लिए राजनीतिक फंडिंग!
जॉर्ज सोरोस, हंगरी मूल का अमेरिका नागरिक है, जो अमेरिका और दुनिया के कई देशों में लिबरल और प्रोग्रेसिव नेताओं को पॉलिटिकल फंडिंग देता है. इसके लिए वह कंजर्वेटिव सरकारों के निशाने पर रहे हैं और उनपर एक ‘बाहरी’ होकर आंतरिक मुद्दों पर दखलांदाजी के आरोप लगते रहे हैं.
करेंसी मैनिपुलेशन का आरोप
जॉर्ज सोरोस को करेंसी मैनिपुलेटर माना जाता है, जिसने अपने फायदे के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड को बड़ा नुकसान पहुंचाया. उसने 1990 में पाउंड के खिलाफ सट्टेबाजी की और मोटा मुनाफा कमाया और अमीरों की लिस्ट में शामिल हो गए. ब्रिटेन में एक्सपर्ट सोरोस के इस कारनामे की आलोचना करते हैं, और करेंसी मैनिपुलेशन की तरह देखते हैं. सोरोस पर करेंसी मार्केट में सट्टेबाजी करके अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने का आरोप लगाया जाता है.
ओपन सोसायटी फाउंडेशन के फाउंडर
जॉर्ज सोरोस एक एनजीओ ‘ओपन सोसायटी फाउंडेशन’ के फाउंडर हैं, जो दुनियाभर में खासतौर पर लोकतंत्र, मानवाधिकार और ओपन सोसायटीज को बरकरार रखने के लिए फंडिंग देता है. सोरोस के दुनियाभर में आलोचक हैं, और इसलिए उनका एनजीओ भी विवादों से परे नहीं है. आलोचक कहते हैं कि ओपन सोसायटी फाउंडेशन अन्य देशों की राजनीति में दखल कर, वहां की राजनीति को अस्थिर करने की कोशिश करता है. एनजीओ की वेबसाइट पर बताया गया है कि ‘ओपन सोसायटी फाउंडेशन’ दुनियाभर में फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन की लड़ाई, सरकार को अकाउंटेबल बनाने की कोशिश और उन सोसायटी को प्रमोट करने का काम करता है जो न्याय और बराबरी की बात करते हैं.
यहूदी-विरोधी का शिकार
जॉर्ज सोरोस, एक ज्यूज यानी यहूदी हैं, जो लंबे समय से दक्षिणपंथी समूहों के निशाने पर रहे हैं, जो उनपर अपने फायदे के लिए दुनिया को मैनिपुलेट करने का आरोप लगाते हैं. वह सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही आलोचना नहीं करते, बल्की वह कंजर्वेटिव नेताओं के बड़े आलोचक हैं. सोरोस अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भी मुखर आलोचक रहे हैं. उनपर यह भी आरोप लगते हैं कि वह अपने वेल्थ का पॉलिटिकल इन्फ्लुएंस के लिए इस्तेमाल करते हैं. उनकी प्रोग्रेसिव और लिबरल नीतियों की वजह से वह ओपन सोसायटी और डेमोक्रेटिक सरकार के चहेते भी हैं.
ब्लैक लाइव्स मैटर को किया फंड
जॉर्ज सोरोस, जो कि मानवाधिकार के भी बड़े समर्थक हैं, कथित रूप से ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन को भी फंडिंग दे चुके हैं. कहा जाता है कि आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने मोटी फंडिंग दी और कथित रूप से लोगों को उकसाने का काम किया था. यह मुद्दा अमेरिका में बड़े विवादों का कारण बना. कंजर्वेटिव नेताओं ने सोरोस पर एक एंटी-पुलिस और हिंसा को बढ़ावा देने वाले आंदोलन को समर्थन देने के आरोप लगाए. हालांकि उनके समर्थक यह दावा करते हैं कि वह कानूनी निदेशालयों में सिस्टमेटिक रेसिज्म के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे. आखिरी में, अगर कहा जाए तो सोरोस उस विवादित किंग की तरह हैं, जो न सिर्फ दबे-कुचले लोगों के मसीहा माने जाते हैं, बल्की विवादों के बावजूद एक शांतिपूर्ण सोसायटी की कामना करते हैं.