इश्क, शादी और फिर सुसाइड… कैप्टन रेनू और लेफ्टिनेंट दीनदयाल की 2 साल की लव स्टोरी का दुखद अंत

इश्क, शादी और फिर सुसाइड… कैप्टन रेनू और लेफ्टिनेंट दीनदयाल की 2 साल की लव स्टोरी का दुखद अंत

आगरा में लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप और उनकी पत्नी कैप्टन रेनू तंवर की मौत से हर कोई हैरान है. दोनों ने दो साल पहले ही शादी की थी. एक दूसरे से बेइंतहा प्यार भी करते थे. अचानक पति के सुसाइड करने के बाद पत्नी ने भी सुसाइड कर लिया, लेकिन उनकी अंतिम इच्छा अधूरी रह गई.

उत्तर प्रदेश के आगरा में तैनात फ्लाइट लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप और उनकी पत्नी कैप्टन रेनू तंवर की प्रेम कहानी का इतना दुखद अंत ऐसा होगा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था. दोनों ही एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे. दो साल पहले ही शादी की थी. दीनदयाल, आगरा के वायु सेना स्टेशन में फ्लाइट लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात थे और कैप्टन रेनू तंवर सैन्य अस्पताल आगरा में एमएनएस में काम कर रहीं थीं. दोनों शाहगंज के खेरिया मोड़ स्थित एयरफोर्स के सरकारी आवास में साथ में रहते थे.

15 अक्टूबर को एक ऐसा दिन था जब लेफ्टिनेंट का शव मिला. उनका शव वायुसेना परिसर में मिला, जहां से दीनदयाल की लाश मिली, उन्होंने गले में फंदा लगाकर आत्महत्या कर लिया था. अभी, उनकी आत्महत्या के कारणों पर जांच चल रही थी, कि 14 अक्टूबर को वो अपनी मां कौशल्या का इलाज कराने के लिए भाई के साथ एम्स दिल्ली गईं थीं. मां एम्स में भर्ती थीं और भाई उनके साथ था और कैप्टन रेनू तंवर आफिसर्स गेस्ट हाउस में ठहरी हुईं थी. जैसे ही उनको अपने पति के आत्महत्या की सूचना मिली, तो उन्होंने आगरा आने के बजाय खुद भी सुसाइड कर लिया. सुसाइड करने से पहले उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा एक नोट में लिखी थी कि उनका अंतिम संस्कार पति के साथ ही किया जाए.

हाथ पर हाथ रखकर किया जाए अंतिम संस्कार

उनके हाथ को पति के हाथ पर रख दिया जाए, लेकिन आगरा के ताजगंज मोक्षधाम में फ्लाइंग लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. वायु सेवा के जवानों ने उन्हें पूरे राज्य की गरिमा के साथ विदाई दी, लेकिन इस अंतिम यात्रा का एक दर्दनाक पहलू यह था की उनकी पत्नी, कैप्टन रेनू तंवर के अंतिम इच्छा को पूरा नहीं किया जा सका, जिससे एक अधूरी प्रेम कहानी का अंत हो गया.

कैप्टन रेनू तंवर ने अपनी अंतिम इच्छा अपने सुसाइड नोट में लिखी थी. उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा था कि वह चाहती थीं कि उनका अंतिम संस्कार उनके पति फ्लाइंग लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप के साथ एक ही चिता पर किया जाए और उनके हाथ को उनके पति के हाथ पर रखा जाए. यह उनकी आखिरी ख्वाहिश थी, जिसे वो पूरा होते हुए देखना चाहती थीं, लेकिन, दुर्भाग्यवश, ऐसा हो नहीं सका.

यह कहानी सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि यह जीवन की अनिश्चितताओं और मुश्किलों को भी उजागर करती है. यह सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ होगा, जिससे एक मजबूत महिला को इस तरह का कदम उठाना पड़ा? फ्लाइंग लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप और कैप्टन रेनू तंवर की अधूरी प्रेम कहानी ने हर किसी के दिल को छू लिया है. उनका यह दर्दभरा अंत आज भी कई दिलों में सवाल और दुख छोड़ गया है, लेकिन इस अधूरे अंत ने यह साबित कर दिया कि कभी-कभी जिंदगी की कहानियों का अंत वैसा नहीं होता, जैसा हम सोचते हैं.