कैबिनेट मंत्री बनते ही एक्शन में नजर आए अनिल विज, जानें अफसरों से क्यों कहा कहा लीव द रूम

कैबिनेट मंत्री बनते ही एक्शन में नजर आए अनिल विज, जानें अफसरों से क्यों कहा कहा लीव द रूम

कैबिनेट मंत्री पद की शपथ लेने के बाद अनिल विज ने अंबाला में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की एक बैठक बुलाई. विज की इस बैठक में कई सीनियर अधिकारी नदारद थे, जिससे वे नाराज हो गए. इस दौरान उन्होंने जूनियर अधिकारियों को बाहर जाने का आदेश दिया, साथ ही विज ने कहा कि वो पहली बार मंत्री नहीं बने हैं.

हरियाणा की राजनीति में गब्बर के नाम से मशहूर अनिल विज कैबिनेट मंत्री बनते ही एक बार फिर से एक्शन में नजर आए.कैबिनेट मंत्री की शपथ लेने के तुरंत बाद मंत्री अनिल विज ने गुरुवार शाम 6 बजे अपने गृह जिले अंबाला के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक बुलाई थी. अनिल विज शपथ लेने के तुरंत बाद अंबाला पहुंचे. लेकिन इस बैठक में कई सीनियर अधिकारी नदारद थें. जिसके बाद अनिल विज मीटिंग में मौजूद अन्य जूनियर अधिकारियों पर नाराज हो गए और उन्हें मीटिंग से बाहर जाने को कह दिया.

इस दौरान अनिल विज वहां मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से उन्होंने ये भी कहा कि मैं कोई पहली बार मंत्री नहीं बना हूं और जब 2 बजे इस मीटिंग के लिए सभी अधिकारियों को बता दिया गया था फिर शाम 6 बजे की इ, मीटिंग में कई सीनियर अधिकारी क्यों नही हैं? इस बैठक में कई विभागों के अधिकारी भी मौजूद नहीं थे.

कैबिनेट मंत्री की ली शपथ

हरियाणा के अंबाला कैंट से विधायक अनिल विज ने बृहस्पतिवार को ही कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली. पंचकूला में आयोजित इस शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने विज को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इस दौरान एक दिलचस्प वाकया भी हुआ जब अनिल विज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गर्मजोशी से हाथ मिलाया.

पीएम मोदी से हुई बातचीत

मंत्री पद की शपथ लेने के बाद जब विज अपनी सीट की ओर लौट रहे थे, तो उन्होंने मंच पर मौजूद नेताओं का अभिवादन किया. प्रधानमंत्री मोदी के पास पहुंचते ही विज ने उनसे हाथ मिलाया और दोनों के बीच हल्की बातचीत भी हुई. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी मुस्कुराते हुए नजर आए, और विज अपनी सीट की ओर बढ़ गए.

मुख्यमंत्री पद का दावा कर रहे थे विज

अनिल विज का मुख्यमंत्री पद को लेकर दावा भी चर्चा में रहा है. चुनाव के समय से ही विज ने मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा ठोक रखा था. उन्होंने कहा था कि यदि पार्टी विधानसभा चुनाव जीतती है तो वह अपनी वरिष्ठता के आधार पर मुख्यमंत्री पद के लिए दावा करेंगे. इसके लिए उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी. हालांकि, पार्टी नेतृत्व ने उनकी दावेदारी को दरकिनार कर दिया और अंत में उन्हें कैबिनेट मंत्री पद से संतोष करना पड़ा.

शपथ ग्रहण से पहले ही अनिल विज के सुर बदल गए थे. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर पार्टी उन्हें चौकीदार बना देती है, तो वह पूरी निष्ठा के साथ यह काम करेंगे. इससे पहले बीजेपी विधायक दल की बैठक में भी विज ने स्पष्ट किया था कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं और उन्होंने कभी कोई पद नहीं मांगा. विज ने कहा था कि पार्टी का जो भी फैसला होगा, वह उसे स्वीकार करेंगे.

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