RBI Repo Rate:महंगाई की गर्मी हुई ‘कूल’, रिजर्व बैंक कर सकता है ब्याज दर में कटौती
भारतीय रिजर्व बैंक की लगातार कोशिशों के चलते महंगाई अब काबू में आती दिखने लगी है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. हालांकि ये देखना होगा कि जून में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में इसे लेकर कोई फैसला होता है या नहीं.
भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते साल मई से ब्याज दरों में जो बढ़ोतरी शुरू की उसका असर अब महंगाई दर में नरमी के तौर पर दिखने लगा है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती शुरू कर सकता है. केंद्रीय बैंक ने बीते साल ब्याज दरों (रेपो रेट) में 2.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की जो अभी 6.5 प्रतिशत के स्तर पर है. वहीं चालू वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल में आई पहली मौद्रिक नीति में ब्याज दरों को लेकर कोई बदलाव नहीं किया गया.
केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक जून में होनी है. क्या 6 से 8 जून तक चलने वाली इस बैठक में ही ब्याज दरों में कटौती का ऐलान कर दिया जाएगा. इसे लेकर इकोनॉमिस्ट के बीच अलग-अलग मत हैं, हालांकि अधिकतर एक्सपर्ट चालू वित्त वर्ष के दौरान ब्याज दरों में 0.5 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद रखते हैं.
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आरबीआई कब घटाएगा ब्याज दर?
पब्लिक सेक्टर के बैंक ऑफ बड़ौदा ने इस बाबत एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक चालू वित्त वर्ष के दौरान रेपो रेट को 6 प्रतिशत के स्तर पर ला सकता है, क्योंकि महंगाई में निरंतर नरमी देखी जा रही है.
बैंक ऑफ बड़ौदा में चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस का कहना है कि केंद्रीय बैंक चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही यानी अक्टूबर से मार्च के बीच दो बार ब्याज दर घटा सकता है. दोनों बार में मिलाकर ये कटौती 0.5 प्रतिशत की हो सकती है. हालांकि केंद्रीय बैंक रेपो रेट में इस कटौती से पहले अपने रुख में बदलाव कर सकता है. संभव है कि आरबीआई ब्याज दर को लेकर अपने उदार रुख को बदल दे.
5.5 प्रतिशत पर आ सकती है महंगाई दर
अपने आकलन में मदन सबनवीस ने कहा है कि ब्याज दरों में कटौती की संभावना भारत की महंगाई दर में नरमी देखने के बाद जताई गई है. चालू वित्त वर्ष में देश के अंदर रिटेल इंफ्लेशन 5.5 प्रतिशत रह सकती है, जो 2022-23 में 6.7 प्रतिशत के स्तर पर रही है.
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वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा की अन्य इकोनॉमिस्ट अदिति गुप्ता का मानना है कि महंगाई दर के नरम रुख को लेकर कुछ जोखिम भी है. अभी महंगाई दर के नीचे होने की वजह वैश्विक स्तर पर एनर्जी प्राइसेस का नीचा रहना है. इसके बने रहने पर महंगाई नियंत्रित बनी रहेगी. वहीं अगर मौसमी हालत को देखें तो ‘अल-नीनो’ की वजह से रबी की फसल चौपट हो सकती है. इसका असर महंगाई पर पड़ेगा.
बैंक ऑफ बड़ौदा के आकलन में 2023-24 में भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ 6 से 6.5 प्रतिशत की दर से होने की उम्मीद जताई गई है. जबकि आईएमएफ का आकलन 5.9 प्रतिशत और एसबीआई इकोरैप का 7.1 प्रतिशत है.