अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने 7,000 ट्रक ड्राइवरों को दी राहत, रोजगार छिनने से ऐसे बचाया
अडानी ग्रुप बड़े संकट में फंसा है. अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद से गौतम अडानी और उनकी कंपनियों के लिए मुश्किल दौर चल रहा है. लेकिन अडानी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से करीब 7,000 ट्रक ड्राइवरों को राहत मिली है.
अडानी ग्रुप बड़े संकट में फंसा है. अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद से गौतम अडानी और उनकी कंपनियों के लिए मुश्किल दौर चल रहा है. लेकिन अडानी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से करीब 7,000 ट्रक ड्राइवरों को राहत मिली है. इसने उन्हें बेरोजगार होने से बचा लिया. आइए समझ लेते हैं कैसे. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में करीब सात हजार ट्रक मालिकों और ड्राइवरों ने अडानी के 15 दिसंबर को दो सीमेंट प्लांट को बंद करने के फैसले के बाद प्रदर्शन शुरू कर दिया था. दरअसल, ये लड़ाई भाड़े को लेकर थी.
क्या है पूरा मामला?
अडानी ग्रुप का कहना था कि प्लांट में ट्रकों को दिए जाने वाला भाड़ा सही नहीं है और उसे आधा किया जाना चाहिए. सोमवार को, गौतम अडानी के नेतृत्व वाले समूह ने कहा कि उसने दरों में 10 से 12 फीसदी की कटौती के साथ मामले को सुलझा लिया है. इससे ट्रक ड्राइवरों में खुशी की लहर है. यूनियन लीडर ने संबोधन में इसे अडानी के साथ देर रात हुई बातचीत के बाद जीत के तौर पर बताया है.
इस सेटलमेंट से चार हफ्ते पहले अमेरिका में आधारित हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर शेयर बाजार में हेरफेर और टैक्स हैवन्स के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया था. हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को निराधार बता दिया था. 24 जनवरी को आई रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में 140 अरब डॉलर का नुकसान देखने को मिला है. इसके बाद रेगुलेटरी जांच भी शुरू हुई. अरबपति गौतम अडानी फोर्ब्स की दुनिया के अमीर लोगों की सूची में तीसरे पायदान से खिसककर 26वें नंबर पर पहुंच गए हैं.
ड्राइवरों और ट्रक मालिकों के लिए बड़ी जीत
जहां ट्रक ड्राइवरों के सेटलमेंट का अडानी के कुल साम्राज्य पर केवल थोड़ा ही असर पड़ेगा. वहीं, ये ड्राइवरों और ट्रक मालिकों के लिए बड़ी जीत है. रॉयटर्स के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में उनकी आय बेहद कम हो पाती है और वे बड़ी मुश्किल से अपना गुजारा कर पाते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शन कर रहे ट्रक ड्राइवरों की ओर से एक प्रतिनिधि राम कृष्ण शर्मा ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने भारत के सबसे बड़े उद्योग समूह के खिलाफ हमारी लड़ाई में अहम भूमिका निभाई और ट्रक ड्राइवरों को इकट्ठा करने और राजनितिक समर्थन हासिल करने में मदद की.