अनिल अग्रवाल के ड्रीम प्रोजेक्ट को नहीं मिलेगा इंसेंटिव, सरकार रिजेक्ट करेगी एप्लीकेशन

अनिल अग्रवाल के ड्रीम प्रोजेक्ट को नहीं मिलेगा इंसेंटिव, सरकार रिजेक्ट करेगी एप्लीकेशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में चिपमेकर्स को लुभाने के लिए 10 अरब डॉलर देने का वादा किया है. साथ ही यह भी वादा किया है कि उनकी सरकार सभी सेमीकंडक्टर साइट्स को स्थापित करने की आधी लागत वहन करेगा.

जिस तरह से अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी अपने रुके हुए प्रोजेक्ट्स को दोबारा से शुरू करने के लिए पैसों की तंगी के दौर गुजर रहे हैं वैसा ही हाल मौजूदा समय में अनिल अग्रवाल का भी दिख रहा है. अब जो उन्हें झटका लगा है वो और भी बड़ा है. सरकार ने अनिल अग्रवाल के चिप बिजनेस के लिए पैसा देने से इनकार कर दिया है. जिसे अनिल अग्रवाल के 19 बिलियन डॉलर के सेमीकंडक्टर चिप प्रोजेक्ट के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.

सरकार के क्राइटेरिया में खरी नहीं

मामले से वाकिफ लोगों ने कहा कि सरकार अग्रवाल के वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड और ताइवान की होन हाई प्रिसिजन इंडस्ट्री कंपनी के वेंचर को जानकारी देगी कि उसे 28-नैनोमीटर चिप बनाने के लिए इंसेंटिव नहीं दिया जाएगा. दोनों कंपनियों के ज्वाइंट वेंचर की ओर से इंसेंटिव के लिए तो अप्लाई किया है, लेकिन सरकार की ओर से सेट किए गए ​क्राइटेरिया को पूरा नहीं कर पा रही है. जबकि वेदांता और होन हाई फिर से आवेदन कर सकते हैं. अगर फिर से रिजेक्शन का सामना करना पड़ता है तो अग्रवाल को भारत की पहली प्रमुख चिपमेकिंग ऑपरेशन स्थापित करने के ड्रीम को पूरा करने के थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. आपको बता दें कि वेदांता ग्रुप की मेटल और माइनिंग कंपनी पर भारी कर्ज है और दोनों इसे कम करने का प्रयास कर रहे हैं.

नहीं मिल सका पार्टनर

जानकारों की मानें तो अग्रवाल ने भारत की “अपनी सिलिकॉन वैली” बनाने के लिए चिप पार्टनरशिप की घोषणा की थी. लेकिन 9 महीने बीत जाने के बाद भी 28 एनएम चिप्स के लिए ना तो टेक पार्टनर मिल सका है और ना लाइसेंस मैन्युफैक्चरिंग-ग्रेड टेक्नोलॉजी नहीं मिल पाया है. वेंचर को सरकारी सहायता लेने के लिए दोनों में से किसी एक की काफी जरुरत है.

वेदांता और होन हाई के पास एक्सपरटीज नहीं

वेदांता और होन, जो दुनिया का एक बड़ा आईफोन के असेंबलर हैं, के पास चिपमेकिंग का कोई अनुभव नहीं है. प्रोडक्शन रेडी टेक्नोलॉजी तलाशने में उनकी कठिनाई इस बात का सबूत है कि नए सेमीकंडक्टर प्लांट को स्थापित करना कितना कठिन है, बड़े कांप्लेक्स को तैयार करने में अरबों खर्च होते हैं और इसे चलाने के लिए स्पेशल एक्सपरटीज की जरुरत होती है. वेदांता के रिप्रेजेंटेटिव के अनुसार कंपनी सरकार से अपने आवेदन के नतीजे का इंतजार कर रही है. होन हाई, जिसे फॉक्सकॉन के नाम से जाना जाता है की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

सरकार की पीएलआई स्कीम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में चिपमेकर्स को लुभाने के लिए 10 अरब डॉलर देने का वादा किया है. साथ ही यह भी वादा किया है कि उनकी सरकार सभी सेमीकंडक्टर साइट्स को स्थापित करने की आधी लागत वहन करेगा. वेदांता ने पहले कहा था कि उसके पार्टनर होन हाई ने 28एनएम चिप्स के लिए “प्रोडक्शन-ग्रेड, हाई-वॉल्यूम” 40एनएम टेक्नोलॉजी और “डेवलपमेंट-ग्रेड” टेक्नोलॉजी हासिल की थी. जानकारों के अनुसार यह सरकार से फंड लेने के लिए काफी नहीं है. वैसे भी वेंचर ने 28nm चिप का प्रोडक्शन करने के लिए आवेदन किया था.

दोबारा हो सकता है आवेदन

सरकार जल्द ही वेदांता से 40 एनएम चिप्स बनाने के लिए नया आवेदन जमा करने और संशोधित कैपेक्स एस्टीमेट देने को कह सकती है. सरकार द्वारा इंसेंटिव के लिए आवेदन प्रक्रिया को फिर से खोलने के बाद इस तरह की बोली पर विचार किया जा सकता है, जो देश में संभावित चिप मेकर्स को लुभाने का हिस्सा है, जो अब सफल नहीं हो सका है. भारत के प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से कोई जवाब नहीं आया है. वेदांता ने पहले भारत सरकार के सामने को 10 अरब डॉलर कैपेक्स को सामने रखा था. अग्रवाल को सरकार से फाइनेंशियल हेल्प की काफी जरुरत है. वेदांता अप्रैल तक 6.8 अरब डॉलर के ग्रॉस डेट को कम करने के लिए काम कर रहा है.