अर्श से फर्श तक का है BYJU’s का सफर, सबसे ज्यादा वैल्यू वाला स्टार्टअप अब ED जांच के घेरे में
एजुटेक यूनिकॉर्न स्टार्टअप बायजूस अभी ईडी के छापे का सामना कर रही है. लेकिन एक वक्त था जब वह भारत के स्टार्टअप सेक्टर का चमकता सितारा था. इसकी मार्केट वैल्यूएशन करीब 22 अरब डॉलर थी, जो भारत में किसी भी स्टार्टअप के लिए सबसे अधिक थी. आखिर कैसे अर्श से फर्श पर आया बायजूस...
भारत में जब स्टार्टअप जैसा शब्द पॉपुलर भी नहीं हुआ था, तब एक शख्स था जो कुछ नया गढ़ने में लगा था. टेक बैकग्राउंड से आने वाले बायजू रविंद्रन देश के एजुकेशन सेक्टर को बदलने की चाहत रखते थे, इसलिए वो एक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म बनाने में लगे थे. उन्होंने 2011 में BYJU’s शुरू किया जो 2015 तक एक बड़ी कंपनी बन चुका था, और भारत में स्टार्टअप शब्द 2016 में जाकर लोगों की जुबान पर चढ़ना शुरू हुआ. आज जब बायजूस ईडी की जांच का सामना कर रहा है, तो ये जान लेना बेहद जरूरी है कि कंपनी से जुड़ा ये पहला विवाद नहीं है.
बताते चलें कि बायजूस के बेंगलुरू स्थित दो दफ्तर और कंपनी के फाउंडर एवं सीईओ बायजू रविंद्रन के घर पर ईडी ने शनिवार को छापामार कार्रवाई की है. कंपनी पर फेमा कानून के उल्लंघनों का आरोप है. ईडी का कहना है कि उसने तलाशी के दौरान इससे जुड़े कई दस्तावेज और डिजिटल डाटा जब्त किया है.
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कोविड में बायजूस की खिली बांछें
कोविड का टाइम दुनिया की कई टेक कंपनियों के लिए शानदार रहा. लॉकडाउन की वजह से दुनिया ऑनलाइन शिफ्ट हुई और बायजूस ने भी इसका फायदा उठाया. 2020 में कंपनी ने व्हाइट हैट जूनियर जैसे कोडिंग लर्निंग प्लेटफॉर्म को खरीदा. उसके बाद 2021 में उसने आकाश एजुकेशनल सर्विसेस को खरीद लिया, जो देश में मेडिकल परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाला सबसे बड़ा एजुकेशन सर्विस ब्रांड है. लेकिन 2022 आते-आते कंपनी का संकट शुरू हो गया, और ये बिलकुल भी आसानी से नहीं बीता.
कहां से शुरू हुआ बायजूस का स्ट्रेस?
साल 2018 में यूनिकॉर्न स्टेटस पाने वाली बायजूस के फाइनेंशियल स्ट्रेस की शुरूआत तब हुई जब कंपनी वित्त वर्ष 2020-21 के फाइनेंशियल रिजल्ट को समय से जारी नहीं कर सकी. कंपनी के ऑडिटेड रिजल्ट 18 महीने की देरी से जारी हुए. तब कंपनी ने अपना घाटा 4,588 करोड़ रुपये दिखाया. जबकि इससे ठीक पहले के वित्त वर्ष 2019-20 में ये महज 262 करोड़ रुपये था.
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कंपनी का 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्त वर्ष का रिजल्ट जारी करना अब भी बाकी है, जबकि इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 पूरा बीत चुका है. एक अप्रैल से देश में 1 अप्रैल 2023 से नया वित्त वर्ष चालू हो चुका है. वित्त वर्ष 2020-21 में बायजूस जीएसटी इंटेलीजेंस की जांच के दायरे में भी आ गया था. हालांकि तब कंपनी ने बकाया चुकाकर मामले को निपटा लिया था.
कंपनी के वित्तीय परिणामों में हो रही देरी से जहां उसके निवेशकों का भरोसा हिला है, वहीं कंपनी की वित्तीय कार्यप्रणाली पर पहले ही कई सवाल उठ चुके हैं. इन सब पर ‘कोढ़ में खाज’ का काम कंपनी से जुड़े विवादों ने कर दिया.
विवादों से रहा है बायजूस का नाता
बायजूस का प्रचार-प्रसार एक वक्त में शाहरुख खान किया करते थे. लेकिन जब उनके बेटे आर्यन खान का नाम ड्रग केस में फंसा तो बायजूस ने ये रिश्ता तोड़ लिया. इसके बाद बायजूस दूसरे और विवादों में फंसता चला गया. इसमें 2022 में कंपनी का लोगों की छंटनी करना हो या छंटनी के दौर में महंगे फुटबॉल खिलाड़ी लियोनेल मेसी को अपना नया ब्रांड एंबेसडर बनाना.
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इसे भी ज्यादा बड़ा विवाद बायजूस पर बच्चों और उनके पेरेंट्स के डेटाबेस को खरीदने के आरोप लगना रहा. बायजूस का सब्सिक्रिप्शन लेने के लिए अभिभावकों और बच्चों पर दबाव डालने के इस मामले ने जब तूल पकड़ा तो उसे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से समन तक किया गया. बाद में कंपनी ने इस पर अपनी सफाई भी दी, लेकिन वो कहते हैं ना कि ये महज एक डैमेज कंट्रोल था.
बायजूस से जुड़ा हालिया विवाद सरदार पटेल को लेकर रहा. जब कंपनी के स्टडी मैटेरियल में कश्मीर मुद्दे को लेकर सरदार पटेल के विचारों को लेकर छपी जानकारी पर बवाल हो गया.
ईडी क्यों पहुंची है बायजू रविंद्रन के घर?
बायजूस जब तरक्की की राह पर था, तब इसके फाउंडर बायजू रविंद्रन भी चमकता सितारा थे. साल 2020 में Forbes India’s Richest People लिस्ट में रविंद्रन भारत के सबसे युवा अरबपति थे. उनकी संपत्ति 3.05 अरब डॉलर आंकी गई थी. और महज 3 साल के वक्त में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनके घर और दफ्तर पर डेरा जमाए बैठी है.
ईडी ने अपने बयान में कहा है कि बायजूस ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. कंपनी ने 2011 से 2023 के बीच विदेशों से 28,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश जुटाया है. जबकि इसी दौरान 9,754 करोड़ रुपये विदेशी कंपनियों में ओवरसीज डायरेक्ट इंवेस्टमेंट के नाम पर ट्रांसफर किए हैं.
इतना ही नहीं ईडी का सबसे ज्यादा ध्यान 944 करोड़ रुपये के खर्च ने खींचा है. इसे कंपनी ने विज्ञापन और मार्केटिंग पर होने वाले खर्च के तौर पर अपने खातों में दिखाया है. बाकी ईडी की जांच अभी जारी है, इसलिए संभावना है कि इस मामले में और भी कुछ निकलकर सामने आए. वहीं कंपनी ने फिलहाल अपनी सफाई में एक ‘रूटीन इंक्वायरी’ करार दिया है.