Adani मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगा गया 6 महीने का समय, आखिर क्यों?

Adani मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगा गया 6 महीने का समय, आखिर क्यों?

सेबी ने कहा कि मामले को देखते हुए लेनदेन की जांच पूरी करने में कम से कम 15 महीने का समय लेगा, लेकिन छह महीने के भीतर इसे समाप्त करने के लिए सभी उचित प्रयास कर रहे हैं.

मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी ग्रुप के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच पूरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 6 महीने का और समय मांगा है. सहायक कंपनियों के साथ अडानी की सात लिस्टेड कंपनियां जांच के दायरे में हैं और उन्हें अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड, अडानी पावर लिमिटेड, अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड, अडानी टोटल गैस लिमिटेड और अडानी विल्मर लिमिटेड के दस्तावेज और जानकारी जमा करने के लिए कहा गया है.

सेबी ने एक बयान में कहा कि 12 संदिग्ध लेन-देन से संबंधित जांच के संबंध में यह नोट किया गया है कि ये लेन-देन जटिल हैं और इनमें कई उप-लेनदेन हैं और इन लेन-देन की एक कठोर जांच के लिए विभिन्न सोर्स से डेटा/सूचना के मिलान के साथ-साथ डिटेल्ड एनालिसिस की आवश्यकता है. सेबी ने कहा कि मामले को देखते हुए, लेनदेन की जांच पूरी करने में कम से कम 15 महीने का समय लेगा, लेकिन छह महीने के भीतर इसे समाप्त करने के लिए सभी उचित प्रयास कर रहा है.

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सेबी ने उल्लंघनों को लिस्टेड किया है जिन्हें जांच पूरी करने के लिए और समय की आवश्यकता हो सकती है:

  1. संबंधित पक्ष लेनदेन (RPT) प्रकटीकरण से संबंधित संभावित वॉयलेशन
  2. कॉरपोरेट गवर्नेंस संबंधी मामलों के संभावित उल्लंघन
  3. न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) मानदंडों का संभावित उल्लंघन
  4. संभावित शेयर की कीमत में हेरफेर का आरोप
  5. एफपीआई विनियमों का संभावित उल्लंघन
  6. ODI मानदंडों का संभावित उल्लंघन
  7. इनसाइडर ट्रेडिंग विनियमों/FUTP विनियमों का संभावित उल्लंघन
  8. शॉर्ट सेलिंग के नियमों का संभावित उल्लंघन
  9. इसके अतिरिक्त, जांच के निष्कर्ष से पहले प्रमुख प्रबंधकीय व्यक्तियों के बयान की आवश्यकता हो सकती है.

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अडानी ग्रुप ने आरोपों लगातार किया खंडन

सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को दो महीने के भीतर अपनी जांच “शीघ्रता से समाप्त” करने और 2 मई तक एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है. विशेषज्ञ पैनल को निर्देश दिया गया था कि वह दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपे. अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट से उत्पन्न विवाद के बीच अदालत ने 2 मार्च को विशेषज्ञ समिति की स्थापना की थी, जिसमें अडानी ग्रुप पर राजस्व और स्टॉक की कीमतों को बढ़ाने के लिए टैक्स हेवन में कंपनियों के नेटवर्क का उपयोग करने का आरोप लगाया गया था, लेकिन अडानी ग्रुप ने इन आरोपों का लगातार खंडन किया है.

सेबी को सुप्रीम कोर्ट ने यह जांच करने का निर्देश दिया था कि क्या सेबी के नियमों की धारा 19 का उल्लंघन किया गया था और अडानी ग्रुप द्वारा स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर किया गया था.