जल्द खत्म हो सकता है FD पर मिलने वाला ज्यादा ब्याज, 2000 का नोट बना कारण
जब बैंकों के पास लोन की डिमांड ज्यादा होती है तो इसे पूरा करने के लिए बैंकों को कैश की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जिसकी वजह से बैंक लोगों को Fixed Deposit पर ज्यादा ब्याज का लालच देते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा कस्टमर्स बैंकों में पैसा डिपॉजिट कराएं.
Fixed Deposit की बढ़ती ब्याज दरों का दौर जल्द ही खत्म हो सकता है. इसके पीछे का कारण 2000 रुपये के करेंसी नोटों के बाहर होने को बताया जा रहा है. जानकारों के अनुसार मौजूदा समय में एफडी रेट अपने पीक पर हैं. वहीं बैंकों का लिक्विडिटी क्राइसिस भी खत्म हो चुका है. ऐसे में बैंक जल्द ही एफडी की ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला ले सकते हैं. आपको बता दें कि मौजूदा समय में आरबीआई की रेपो रेट 6.50 फीसदी है और मई 2022 से फरवरी 2023 तक इसमें 2.50 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. जिस तरह से बैंकों ने होम लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरों में इजाफा किया है उसी तरह से एफडी रेट में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है. आइए आपको भी बताते हैं कि नियर फ्यूचर में बैंकों की ओर से एफडी रेट को लेकर किस तरह के कदम उठाए जा सकते हैं.
खत्म हो रही है ज्यादा ब्याज देने की वजह
जब बैंकों के पास लोन की डिमांड ज्यादा होती है तो इसे पूरा करने के लिए बैंकों को कैश की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जिसकी वजह से बैंक लोगों को Fixed Deposit पर ज्यादा ब्याज का लालच देते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा कस्टमर्स बैंकों में पैसा डिपॉजिट कराएं. अगर आप किसी भी बैंक की लिक्विडिटी का असेसमेंट करना चाहते हैं तो इंटरबैंक लोन देने में यूज होने वाले ओवरनाइट कॉल मनी रेट को देखना जरूरी है. कई महीनों से रेट बढ़े हुए हैं.
यह इस साल 29 मार्च और 27 अप्रैल को 6.90 फीसदी पर थे. उसके बाद 6 मई और फिर 12 मई को 7 फीसदी के हाई का लेवल पकड़ा. मई मिड के बाद यानी 19 मई को यह रेट 6.45 फीसदी पर आ गया. जब यह घोषणा की गई कि 2000 रुपये के नोट चलन से वापस लिए जा रहे हैं. तब से ओवरनाइट कॉल मनी रेट 6.45 फीसदी से 6.55 फीसदी के दायरे में है. जोकि रेपो रेट 6.50 फीसदी के आसपास है. जो इस बात की तस्दीक है कि बैंकों की लिक्विडिटी समस्या कम हो रही है.
बैंकों को अब ज्यादा डिपॉजिट मिलेगा
जैसे-जैसे बैंकों में 2000 रुपये के नोटों का अंबार लगना शुरू होगा बैंकों के डिपॉजिट में इजाफा देखने को मिलेगा. ईटी से बात करते हुए एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की की इकोनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा ने कहा कि 2000 रुपये के नोट को वापस लेने के फैसले के बाद से बैंकों के डिपॉजिट में इजाफा होगा और लिक्विडिटी में उछाल देखने को मिलेगा. आरबीएल बैंक की इकोनॉमिस्ट अचला जेठमलानी के अनुसार अगर इसका आधा पैसा एक साल तक बैंकों के पास रहता है, तो वे FD पर ब्याज दरों में इजाफा करने की कोई जल्दी नहीं करेंगे. वहीं बैंकों के पास 2000 रुपये के रूप में 1.5-1.6 लाख करोड़ रुपये डिपॉजिट हो सकता है.
एक्सिस एएमसी के एक नोट में कहा गया है बैंकों में आने वाले नोटों का एक बड़ा हिस्सा एक साल से अधिक समय तक उनके पास रहेगा. सितंबर तक बैंकों में 3 लाख करोड़ रुपये तक डिपॉजिट होने की संभावना है जिससे बैंकों की लिक्विडिटी की समस्या खत्म हो जाएगी. नोट में कहा गया है कि यह लिक्विडिटी अगले एक साल में खत्म हो जाएगी. यह भी उम्मीद करते हैं कि तरलता की निकासी अगले 3-4 तिमाहियों में समाप्त हो जाएगी. ऐसे में बैंकों की लिक्विडिटी में 1.5-2 लाख करोड़ रुपये का इजाफा देखने को मिल सकता है.
आने वाले महीनों नहीं होने वाला बदलाव
यूएस फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.0 फीसदी और 5.25 फीसदी के बीच करने का फैसला किया. हालांकि, आईसीआईसीआई डायरेक्ट की मासिक रिपोर्ट के अनुसार, फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया है कि अभी के लिए ब्याज दरों में वृद्धि की जा सकती है और क्रेडिट और अन्य आर्थिक जोखिमों पर ध्यान दिया जा सकता है. दरों में बढ़ोतरी के बाद यील्ड में गिरावट देखने को मिली है क्योंकि बाजार को उम्मीद है कि साल के अंत तक दरों में कटौती की जा सकती है.
खुदरा महंगाई भी कम हुई है, जिसकी वजह से ब्याज दरों में इजाफा देखने को मिला है. बीते दो महीनों से रिटेल इंफ्लेशन 6 फीसदी से नीचे रहा है. मार्च में यह आंकड़ा 5.66 फीसदी था और अप्रैल के महीने में घटकर 4.7 फीसदी पर आ गया. आईसीआईसीआई डायरेक्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई ने दर में वृद्धि को रोक दिया है. जिसकी वजह से 10 साल की गवर्नमेंट सिक्योरिटी रेट जो 3 अप्रैल को 7.31 फीसदी थे, 29 मई को गिरकर 7.01 फीसदी पर आ गए हैं. जिसके कुछ महीनों में 6.90-7.30 फीसदी पर रह सकते हैं.
इन एफडी की ब्याज दरों में आ सकती है गिरावट
2000 रुपये के नोट पर आरबीआई की कार्रवाई ने ब्याज दर को कम करने संकेत दे दिए हैं. जानकारों के अनुसार आने वाले दिनों में लिक्विडिटी में इजाफा देखने को मिल सकती हैं. जिसकी वजह से Fixed Deposit की ब्याज दरों में नरमी देखने को मिल सकती है. जानकार कहते हैं कि शॉर्ट और मिड टर्म डिपॉजिट की ब्याज दरों में गिरावट देखने को मिल सकती है, जो 0.20—0.30 फीसदी तक रह सकती है. इसके अलावा ओवरऑल कटौती साल के अंत में देखने को मिल सकती है.