New Parliament’s Symbols: नई संसद में दिखेगा मोदी सरकार की नीतियों का प्रतिबिंब, जीडीपी से आर्थिक सुधार तक की झलक

New Parliament’s Symbols: नई संसद में दिखेगा मोदी सरकार की नीतियों का प्रतिबिंब, जीडीपी से आर्थिक सुधार तक की झलक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नया संसद भवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया है. लेकिन अगर आप नई संसद के डिजाइन और थीम को ध्यान से देखेंगे तो उसमें मोदी सरकार की नीतियों का प्रतिबिंब दिखेगा. इसमें आर्थिक विकास से लेकर आर्थिक सुधार तक की झलक दिखेगी. चलिए समझते हैं पूरी बात...

देश को नया संसद भवन मिल चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई को इसे राष्ट्र को समर्पित किया. इसी के साथ नई पार्लियामेंट के डिजाइन, लोकसभा और राज्यसभा की थीम और इसमें दर्शाए गए प्रतीकों की चर्चा होने लगी. लेकिन अगर आप इन प्रतीकों को समझने की कोशिश करेंगे तो आपको इसमें मोदी सरकार की नीतियों की स्पष्ट झलक दिखेगी, जो सांस्कृतिक विरासत से लेकर आर्थिक विकास, आर्थिक सुधार और आंतरिक सुरक्षा तक को प्रतिबिंबित करता है.

नई संसद में सेंगोल को लोकसभा में स्थापित किया गया है. चोल साम्राज्य की संस्कृति से जुड़ा ये प्रतीक सत्ता के हस्तातंरण का प्रतीक है. वहीं नई संसद की दीवारों पर अखंड भारत से लेकर चाणक्य, समुद्र मंथन और भीमराव अंबेडकर तक के चित्रों को भी उकेरा गया है. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा लोकसभा की थीम ‘मोर’ और राज्य सभा की थीम ‘कमल’ की हो रही है. ये दोनों ही भारत के ‘राष्ट्रीय प्रतीक’ हैं. आखिर इन प्रतीकों के मायने क्या हो सकते हैं.

पढ़ें ये खबर: मोदी सरकार के 9 साल, गोल्ड के इंवेस्टर्स हुए मालामाल

क्या हैं ‘मोर’ थीम के मायने?

लोकसभा को मोर थीम के साथ डिजाइन किया गया है. मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है. अगर इसके प्रतीकात्मक महत्व को समझें तो भारतीय संस्कृति में मोर ‘सुंदरता’ का सिंबल है. लेकिन इसके दूसरे मायने भी हैं. मोर ‘साहस और वीरता’ का भी प्रतीक है. वहीं ये भगवान कार्तिकेय का वाहन भी है जो देवाताओं की सेना के सेनापति थे, यानी ये विजेता होने का सिंबल भी है. जबकि मोर का जुड़ाव भगवान कृष्ण से भी है जिन्हें हर तरह की राजनीति-कूटनीति में दक्ष माना गया है.

New Lok Sabha Twitter

लोकसभा का डिजाइन ‘मोर’ थीम पर आधारित है (Photo:Twitter)

अब अगर मोदी सरकार की नीतियों से इस प्रतीक क जोड़ा जाए, तो देशभर में केंद्र सरकार ‘स्वच्छ भारत’ अभियान चला रही है. कई धार्मिक स्थलों का कायाकल्प कर उन्हें सुंदर बनाया जा रहा है. देशभर में पर्यटन को बढ़ावा देने वाली नीतियां बनी हैं. जबकि मोदी सरकार लगातार आंतरिक सुरक्षा पर फोकस कर रही है. पाकिस्तान को लेकर भारत का अग्रेसिव रुख, सेना को आत्म निर्भर बनाने की कोशिश और एक के बाद एक नए रक्षा सौदे उसकी सुरक्षा नीति को दिखाते हैं. जबकि राजनीति के मामले में उसकी लगातार होती चुनावी जीत का प्रतिबिंब ‘मोर’ में झलकता है.

देखें इसे भी: इन कंपनियों की मेहनत से तैयार हुई देश की नई संसद

क्या हैं ‘कमल’ थीम के मायने?

दूसरी चर्चा राज्यसभा की ‘कमल’ थीम को लेकर भी हो रही है. विपक्षी दल इसे बीजेपी के चुनाव चिन्ह को थोपने की कोशिश बता रहे हैं, लेकिन ‘कमल’ भारत का राष्ट्रीय फूल है. भारतीय संस्कृति में कमल को लक्ष्मी और सरस्वती दोनों से ही जोड़ा गया है. ये मोदी सरकार के देश के अंदर वेल्थ क्रिएशन, इकोनॉमिक ग्रोथ और एएजुकेशन हब बनाने के लक्ष्य को दिखाता है. ये दिखाता है कि सरकार कैसे अगले 25 साल में देश को विकसित भारत बनाने की दिशा में काम कर रही है.

New Rajya Sabha Pti

‘कमल’ थीम के साथ डिजाइन की गई नई राज्यसभा (Photo : PTI)

वेल्थ क्रिएशन और इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए मोदी सरकार ने देश में जीएसटी, दिवाला कानून, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, मेक इन इंडिया, डिजिटल पेमेंट, लॉजिस्टिक, हाईवे और पोर्ट्स, सेमीकंडक्टर्स और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने जैसे कदम उठाए हैं. वहीं ‘कमल’ को नॉलेज और स्प्रिचुअलिटी का भी सिंबल माना जाता है, जिसके लिए मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति लाई है और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को भी पॉपुलराइज किया है. साथ ही देश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने पर भी सरकार काम कर रही है.

इसे भी पढ़े: मोदी के कार्यकाल में ऐसे बढ़ी सरकार की कमाई, घटा नुकसान

New Parliament Samudra Manthan Twitter

समुद्र मंथन की कलाकृति के साथ सांसद हेमामालिनी (Photo:Twitter)

समुद्र मंथन और चाणक्य क्यों हैं जरूरी?

नई संसद में ‘समुद्र मंथन’ की कलाकृति की बहुत चर्चा हो रही है. भारतीय संस्कृति में इसे लगातार प्रयास करके पर्याप्ता और प्रचुरता को प्राप्त करने और अच्छा फल ‘अमृत’ पाने का सिंबल माना गया है. यानी ये धन-धान्य से परिपूर्ण होने के लिए लगातार कोशिशें करते रहने का प्रतीक है. ये प्रतीक मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों को प्रतिबिंबित करता है.

मोदी सरकार ने कई मौकों पर बोल्ड निर्णय लिए हैं. इसमें आर्थिक और राजनीतिक दोनों तरह के फैसले शामिल हैं. कई बार सरकारें विपक्षी दलों के हंगामे के चलते सुधार कार्यक्रमों से हाथ पीछे खींच लेती हैं. लेकिन मोदी सरकार एक या दो मौके छोड़कर सुधारों पर टिकी रही है. वहीं उसने सभी स्टेक होल्डर्स को शामिल करके नीतयों को लागू करने की कोशिश की है.

जरूर पढ़ें: मोदी सरकार की इन 9 नीतियों ने बदल दिया करोड़ों लोगों का जीवन

जीएसटी और आईबीसी कानून के साथ कश्मीर मुद्दा, तीन तलाक बिल, सरकारी कंपनियों का प्राइवेटाइजेशन जहां सरकार की मजबूती के उदाहरण हैं. वहीं कृषि कानून, पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल से पीछे हटना समुद्र मंथन की असल भावना को दिखाते हैं. इतना ही नहीं मोदी सरकार ने विदेशों में भारत की चमक को बेहतर करने की भी कोशिश की है. रूस और यूक्रेन युद्ध के समय अपनी नीतियों और ‘इंडिया फर्स्ट’ को आगे रखना ‘चाणक्य’ की कूटनीति का सिंबल है, जो नई संसद में दिखाई देते हैं.