रोजमर्रा की चीजों की बढने लगी डिमांड, शहरों के मुकाबले गांवों में हो रही ज्यादा बिक्री

रोजमर्रा की चीजों की बढने लगी डिमांड, शहरों के मुकाबले गांवों में हो रही ज्यादा बिक्री

रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजें और सामान की डिमांड लगातार बढ़ती दिख रही है. मगर, शहर के मुकाबले गांवों में इसकी ज्यादा बिक्री हो रही है. अक्टूबर-दिसंबर तक में इन सामानों की खरीदारी में 2.4% की बढ़ोतरी हुई है. जिससे फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स ( एफएमसीजी ) सेगमेंट में पांच-तिमाही की गिरावट रुक गई. संचार और […]

रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजें और सामान की डिमांड लगातार बढ़ती दिख रही है. मगर, शहर के मुकाबले गांवों में इसकी ज्यादा बिक्री हो रही है. अक्टूबर-दिसंबर तक में इन सामानों की खरीदारी में 2.4% की बढ़ोतरी हुई है. जिससे फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स ( एफएमसीजी ) सेगमेंट में पांच-तिमाही की गिरावट रुक गई. संचार और विज्ञापन दिग्गज के स्वामित्व वाली एक वैश्विक उपभोक्ता अनुसंधान फर्म कंटार वर्ल्डपैनल के आंकड़ों के अनुसार, रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले सामानों की मात्रा , ग्रामीण बाजारों में 1.3% और शहरों में 3.6% हो गई है. ये 2020 की दिसंबर तिमाही की तुलना में बेहद कम है, उस समय शहर में 4.4% और गांवों में 6.6% की बढ़ोतरी देखी गई है. विप्रो के मुख्य कार्याधिकारी नीरज खत्री ने कहा, ‘इन आंकड़ों को देखकर ये पता लग रहा है कि गांवों में शहर के मुकाबले ज्यादा बिक्री बढ़ी है.’

बाजार में हो रही रिकवरी

अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में शुरू हुई बाजारों में दक्षिण और पश्चिम में रिकवरी बेहतर है. लेकिन हमें यह समझने के लिए मार्च तिमाही का इंतजार करना होगा कि क्या यह बरकरार है. कंतार, रोजमर्रा की जरुरत के सामने की बिक्री को ट्रैक करता है. वहीं, नीलसनआईक्यू कंपनियों की कमाई के आंकड़ों के विपरीत, खुदरा विक्रेताओं और वितरकों की बिक्री को ध्यान में रखता है.

कांतार के दक्षिण एशिया प्रबंध निदेशक के रामाकृष्णन ने कहा, ‘ये आंकड़े हमें संकेत देते हैं कि बदलाव हो रहा है.’ “शहरी वृहद स्तर पर किसी भी तरह के झटके को छोड़कर बदलाव के लिए तैयार है. 2023 में गेहूं की बंपर फसल की उम्मीद है, और इस तरह ग्रामीण भी अब तक की तुलना में बेहतर विकास दर देख सकते हैं.”

मरिको के प्रबंध निदेशक सौगात गुप्ता ने एक निवेशक से कॉल पर कहा कि दिसंबर तिमाही में, व्यापक एफएमसीजी बाजार में वृद्धि सभी श्रेणियों में हुई. व्यक्तिगत देखभाल में 4.8% का विस्तार हुआ और आटे में मंदी के बावजूद खाद्य और पेय F&B में 2.5% की वृद्धि हुई.

आगे वो कहते हैं, “अगर आप पिछले छह महीनों को देखें, तो हर महीने सीरीज में गिरावट दर्ज की गई है. हम इन्फ्लेशन के उस खराब दौर से उभर रहे हैं. एकदम से रिकवरी इम्पॉसिबल है, मगर धीरे-धीरे रिकवरी होगी.

ऐसे में पाम ऑयल जैसी कुछ प्रमुख वस्तुओं में नरमी आई है क्योंकि साल-दर-साल इन्फ्लेशन चरम से धीरे-धीरे कम हो रही है, लेकिन दूध, जौ और सोडा ऐश जैसी कुछ वस्तुओं की कीमतें फिर से बढ़ गई हैं. ऐसे में देखा गया कि लोग सस्ते प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल कर रहे हैं.