Tata-Bisleri Deal में आया बड़ा अपडेट, क्या ठंडे बस्ते में चली जाएगी डील?
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बात सामने आई है कि दोनों कंपनियों के बीच डील को लेकर बातचीत बंद हो गई है. इस पूरी डील के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार यह डील कंपनी की वैल्यूएशन को लेकर अटक गई है.
Tata and Bisleri Deal Update : देश की सबसे बड़ी मिनिरल वॉटर डील को बड़ा झटका लगता हुआ दिखाई दे रहा है. यह डील टाटा ग्रुप और बिस्लेरी इंटरनेशनल बीच चल रही थी, जो अब अटक गई है. देश की सबसे बड़ी बोतल बंद पाली बेचने वाली कंपनी बिस्लेरी को खरीदने के लिए टाटा ग्रुप सामने आया था. दोनों के बीच काफी एडवांस बातचीत हो गई थी. बिस्लेरी ने जितने पैसों का अनुमान लगाया था वो टाटा देने को तैयार नहीं हो रहा है. दोनों कंपनियों के बीच कंपनी की वैल्यूएशन को लेकर बात अटक गई है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इस डील में पेंच कहां पर अटक गया है.
क्या अटक गई डील
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बात सामने आई है कि दोनों कंपनियों के बीच डील को लेकर बातचीत बंद हो गई है. इस पूरी डील के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार यह डील कंपनी की वैल्यूएशन को लेकर अटक गई है. टाटा और बिस्लेरी के रिप्रेंजेटेटिव अपनी-अपनी वैल्यूएशन को लेकर अड़ गए हैं. ताज्जुब की बात तो ये है कि दोनों ही पक्षों की बातचीत काफी एडवांस लेवल पर पहुंच गई थी और ट्रांजेक्शन के स्ट्रक्चर पर बातचीत हो रही थी.
वैल्यूएशन पर अटकी बातचीत
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बिस्लेरी के प्रमोटर्स इस इस डील से एक अरब डॉलर मिलने की उम्मीद कर रहे थे. इस डील को तब झटका लगा जब दोनों ही कंपनियां वैल्यूएशन पर तैयार नहीं हुई. सूत्रों की मानें तो टाटा ग्रुप और बिस्लेरी के बीच फिर से बातचीत शुरू हो सकती है, वहीं बिस्लेरी को खरीदने के लिए दूसरी कंपनियां भी सामने आ सकती हैं. टाटा और बिस्लेरी दोनों की ओर से किसी तरह का कमेंट करने से इनकर कर दिया है.
60 फीसदी मार्केट पर है कब्जा
बोतलबंद मिनरल वॉटर पर बिस्लेरी का भारत की 60 फीसदी मार्केट का कब्जा है. बिस्लेरी की वेबसाइट के अनुसार जयंतीलाल चौहान ने 1949 में सॉफ्ट ड्रिंक्स मेकर पार्ले ग्रुप की स्थापना की थी. साल 1969 में इटली के कारोबारी से बिस्लेरी को खरीदा था.मौजूदा समय में कंपनी हैंड सैनिटाइजर भी तैयार करती है. बिस्लेरी के चेयरमैन रमेश चौहान ने नवंबर में एक इंटरव्यू में कहा था कि वो बिस्लेरी को टाटा को बेचने की तैयारी कर रहे हैं. इस डील से टाटा ग्रुप को भी काफी फायदा होने की उम्मीद थी. यह डील टाटा ग्रुप के बोतलबंद पानी के पोर्टफोलियो को और स्ट्रांग करती. ग्रुप के पास पहले से ही हिमालयन नेचुरल मिनरल वॉटर और टाटा वॉटर प्लस ब्रांड्स हैं.