2023 में तेल कंपनियों को मिलेगी राहत, जानिए क्रूड के भाव पर फिच का क्या है अनुमान
साल 2022 में कच्चे तेल में तेज उछाल के बाद अब कीमतों में नरमी देखने को मिल रही है और पिछले कुछ समय से ब्रेंट क्रूड की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे कारोबार कर रही हैं.
अगले साल तेल कंपनियों को महंगे क्रूड की कीमतों से राहत मिल जाएगा. दरअसल रेटिंग एजेंसी फिच ने अनुमान दिया है कि स्थितियों में सुधार के साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता आने लगेगी और भाव उन स्तरों पर आ जाएंगे जहां तेल कंपनियों को 2022 के घाटे से उबरने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही रेटिंग एजेंसी ने अनुमान दिया है कि अगले साल तेल पर लगने वाले विंडफाल टैक्स को खत्म किया जा सकता है और इसे चरण बद्ध तरीके से किया जाएगा.
कच्चे तेल की दिशा को लेकर फिच ने अनुमान जताया कि ब्रेंट कच्चे तेल के दाम 85 डॉलर प्रति बैरल हो जाएंगे जो 2022 में 100 डॉलर प्रति बैरल थे. उसने आगे कहा, हमें उम्मीद है कि पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों के मार्जिन में सुधार आएगा और 2022 में हुए घाटे की कुछ भरपाई हो सकेगी. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड को चालू वित्त वर्ष में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किए जाने के कारण तिमाही-दर तिमाही घाटा उठाना पड़ा है.
वहीं रेटिंग एजेंसी ने मंगलवार को कहा कि पेट्रोलियम कंपनियों पर लगाया गया अप्रत्याशित लाभ कर 2023 में कच्चे तेल के दामों में नरमी के बाद चरणबद्ध तरीके से खत्म कर दिया जाएगा. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ऊर्जा के दामों में वैश्विक स्तर पर हुई बढ़ोतरी से पेट्रोलियम कंपनियों को जो अप्रत्याशित लाभ हुआ है, उसपर सरकार ने एक जुलाई से नया कर लगा दिया था. यह कर घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल के साथ-साथ पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन एटीएफ के निर्यात पर भी लगाया गया था.
अंतरराष्ट्रीय कीमतों के हिसाब से कर की दरों में हर पखवाड़े संशोधन किया जाता है. हालांकि, पेट्रोल के निर्यात पर लगने वाला कर खत्म कर दिया गया है. फिच ने एपीएसी तेल एवं गैस परिदृश्य 2023 में कहा, हमारा ऐसा मानना है कि सरकार ने 2022 में घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर जो अप्रत्याशित कर लगाया है, वह कीमतों में नरमी आने के साथ ही 2023 में धीरे-धीरे खत्म कर दिया जाएगा.