Exclusive: लोकगीतों में बढ़ रही अश्लीलता पर सेंसर ज़रूरी- मालिनी अवस्थी

Exclusive: लोकगीतों में बढ़ रही अश्लीलता पर सेंसर ज़रूरी- मालिनी अवस्थी

Interview With Malini Awasthi: TV9 से बातचीत में पद्मश्री अवार्डी मालिनी अवस्थी गंगा की तलहटी में गाए जाने वाले लोकगीतों में छा रही अश्लीलता पर कहती हैं कि इसके दो रास्ते हैं. पहला, तो लोग सुनना बंद कर दें और दूसरा, कि इन पर भी फिल्मों की तरह सेंसर की कैंची चले.

एक शाम बनारस के संकटमोचन शास्त्रीय संगीत समारोह की में भारी संख्या में लोगों की जुटान हो रही होती है. मंदिर के सामने वाले चौराहे से गुजरता मुंह में पान घुलाए एक बनारसी ने भारी संख्या में लोगों की जुटान देख लोगों से पूछा…का बात हौ भईया…काहे एतना भीड़ लगल हौ.….पता चलता है कि आज लोकगायिका मालिनी अवस्थी का आज प्रोग्राम है. दूसरी तरफ मंदिर में खचाखच भीड़ के बीच मालिनी मंच से सांवरिया प्यारा रे मोरा गोइयां लोकगीत गाकर समा बांध देती हैं. मॉडर्न गानों के जमाने में लोकगीतों को मुकाम दिलाने वाली मालिनी अवस्थी से हमने बातचीत की और आपकी बोली में गाई जाने वाली इस संगीत के साथ मालिनी अवस्थी के कुछ अनछुए पहलुओं को समझने की कोशिश की.

संक्षेप में आपको बता दें कि मालिनी अवस्थी गंगा की तलहटी में बोली जाने वाली 3 लोकबोलियों में सक्रिय रूप से गाती हैं. कन्नौज में जन्म के बाद डॉक्टर पिता के साथ मिर्जापुर का सफर और फिर वहां से बिहार और उत्तर प्रदेश मध्यप्रदेश के गांवों तक में पहचान मिली. इस लोकगायिका के साथ एक और भी पहचान जुड़ी है वो है अपने बनारसी साड़ी के पहनावे की. आपको बता दें कि लोकगायन में रंगों का अपना एक महत्व है ये रंग जीवन के भरे पूरे होने की और मालिनी इन रंगों को संजोकर रखे हुई हैं.

लोकगीतों में अश्लीलता पर हो सेंसर

TV9 के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में मालिनी में कहती हैं कि लोकगायन और विधा के चलते वो जीवन को अलग ढंग से देखती हैं और काफी सुखी महसूस करती हैं. भोजपुरी अवधी, बुंदेली जैसी लोकल बोलियों के गानों मे बढ़ती अश्लीलता समस्या बनती जा रही है. आप अगर इन बोलियों के लेटेस्ट गानों को देखेंगे तो आपका दिमाग चक्कर खा जाएगा. अश्लील गानों पर मालिनी कहती हैं कि अच्छाई बुराई हर समय में रही है लेकिन कुछ लोग इन चीजों का फायदा उठा रहे हैं. इसे दो तरीके से रोका जा सकता है. पहला तो यह है कि लोग ही इन डबल मिनिंग गानों को सुनने से मना कर दें. या दूसरा रास्ता यह है कि ऐसे गानों को फिल्मों के तर्ज पर सेंसर करने की मांग हो.

लोकगीतों में अश्लीलता के लिए जिम्मेदार हैं कुछ शातिर लोग

पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित मालिनी ने TV9 से कहा कि लोकगीतों में अश्लीलता के लिए कुछ शातिर लोग जिम्मेदार हैं जो इस तरह से गाने लिखते हैं कि सुनने वाले को शिष्ट और अशिष्ट में अंतर करना मुश्किल हो जाएगा. इसका खराब असर इस लिए भी पड़ रहा है क्योंकि आजकल स्मार्टफोन बच्चों के हाथ में है. हालांकि ऐसे गानों की ना तो कोई इज्जत है और ना ही सभ्य समाज में इसे गाने वालों का कोई सम्मान है.

महिलाओं और लड़कियों की सोच बदलना जरूरी

मालिनी कहती हैं कि आज की लड़कियों और महिलाओं को अपने सोच को बदलना जरूरी है. समाज की बातों को नए नजरिए से देखिए. अगर आपको अपने पर आत्मविश्वास और प्रतिभा है तो निकलें और दुनिया में छा जाएं. दिमाग और सोच से हारना ठीक नहीं है.

क्या कर रही हैं मालिनी

लोकगायन आम लोगों को जागरूक करने का एक माध्यम हो सकता है. इसलिए मालिनी चुनाव जागरूकता से लेकर पोषण जैसी सरकार की योजनाओं को लोकगायन के मंच से लोगों तक पहुंचा रही हैं. सोनचिरईया संस्था के माध्यम से छोटे लोक कलाकारों को प्रोत्साहित कर रही हैं. मालिनी ने अपने मां के नाम से महिला कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए लोकनिर्मला पुरस्कार की शुरूआत की है.