Anirudh Singh Controversy: IPS के आदेश पर IPS के खिलाफ IPS करेंगे जांच…! Inside Story
Anirudh Singh: जिन अनिरुद्ध सिंह द्वारा रिश्वत की वसूली के कथित वायरल वीडियो को लेकर बवाल मचा है. यह वीडियो दो साल पुराना है. जिसकी जांच की जा रही है.
वर्दी में मौजूद आईपीएस ही खाकी की बदनामी की वजह बनें तो, उसकी जांच सोचिए कौन करेगा? सामान्य सा जवाब होगा… जंजाल या बवाल में फंसे आईपीएस अफसर से भी बड़ा कोई अफसर! सच तो यही है मगर अब इस सच के भीतर झांकने पर जो सवाल पैदा होता फिर उसे भी कोई आखिर झूठ कैसे करार दे सकता है? सवाल यह कि किसी आईपीएस (IPS)के खिलाफ दूसरा आईपीएस किसी अपने से बड़े आईपीएस अफसर के कहने पर आखिर कितनी ईमानदारी से शिकायत की जांच कर सकेगा?
बस सौ टके का यही सवाल रविवार यानी 12 मार्च 2023 से हर किसी आम-ओ-खास के दिल-ओ-जेहन में कौंध रहा है. दरअसल सवाल कौंधना तब शुरु हुआ जबसे, यूपी के 2018 बैच के विवादित आईपीएस अनिरुद्ध सिंह (IPS Anirudh Singh Viral Video Controversy) को लेकर बवाली वीडियो वायरल किया गया. जिसमें अनिरुद्ध सिंह 10 और 20 लाख की वसूली की कथित डील करते हुए बताए जा रहे हैं.
गले की फांस
रविवार को मामला जमाने की नजरों में आने के बाद गले की फांस बनता देख, घटना की जांच उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक आईपीएस डीएस चौहान ने कर दी, दूसरे आईपीएस और वाराणसी पुलिस आयुक्त के हवाले. यानी एक आईपीएस के आदेश पर (राज्य पुलिस महानिदेशक), दूसरे आईपीएस (वाराणसी के पुलिस आयुक्त) द्वारा, अपने मातहत तीसरे आईपीएस (अनिरुद्ध सिंह, वर्तमान में पुलिस अधीक्षक ग्रामीण मेरठ) के खिलाफ जांच की जानी है.
ऐसे में किसी के भी जेहन में सवाल कौंधना लाजिमी है कि आखिर किसी आईपीएस के आदेश पर अपने ही संदिग्ध मातहत के खिलाफ, उसके वरिष्ठ आईपीएस द्वारा की जाने वाली जांच पर क्या कोई शक की आंच आने से रोक पाएगा?
दो साल पुराना वीडियो
दरअसल, यह सवाल यूं ही नहीं उठ रहा है. इस सवाल के उठने के पीछे की भी अपनी वाजिब वजह है. वजह यह है कि जिन अनिरुद्ध सिंह द्वारा रिश्वत की वसूली के कथित वायरल वीडियो को लेकर बवाल मचा है, यह वीडियो दो साल पुराना है. तब अनिरुद्ध सिंह (Anirudh Singh) वाराणसी पुलिस आयुक्तालय में सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी चेतगंज) के पद पर तैनात थे. माना जा रहा है कि वीडियो भी उसी चेतगंज सब-डिवीजन के अंतर्गत स्थित थाना सिगरा में रेप के एक कथित मामले में दर्ज एफआईआर के बाद तैयार किया गया.
रेप का वो मामला एक नामी स्कूल कर्मचारी द्वारा एक बच्ची के साथ बलात्कार का था. कथित रूप से बाहर निकल कर आ रही खबरों के मुताबिक, रेप की उस एफआईआर में स्कूल प्रबंधन के आल नंबरदारों की भूमिका संदिग्ध न होने के बाद भी, उनमें से कुछ के नाम रेप की उस घटना के एफआईआर में जबरिया घुसा-भिड़ा दिए गए थे.
बाद में जब स्कूल प्रबंधन से जुड़े लोगों ने अपनी मिट्टी पलीद होने से बचाने की खातिर लेनदेन की कथित डील करके, अपने नाम एफआईआर से बचाने के भागीरथी प्रयास शुरु किए तो, बात लेनदेन की धनराशि पर आ गई. मीडिया खबरों के मुताबिक, लिहाजा इसी बीच जब लेनदेन की धनराशि तय करके, मुकदमे से बेकसूर बड़े लोगों के नाम बाहर कर दिए जाने की डील कंप्लीट हुई तो, तय यह भी हुआ था कि रकम किश्तों में अदा की जाएगी.
सपा सुप्रीमो ने ट्वीट किया वीडियो
उप्र में एक आईपीएस की वसूली के इस वीडियो के बाद क्या बुलडोज़र की दिशा उनकी तरफ़ बदलेगी या फिर फ़रार आईपीएस की सूची में एक नाम और जोड़कर संलिप्त भाजपा सरकार ये मामला भी रफ़ा-दफ़ा करवा देगी।
उप्र की जनता देख रही है कि ये है अपराध के प्रति भाजपा की झूठी ज़ीरो टालरेंस की सच्चाई। pic.twitter.com/JsMAhzRFPU
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 12, 2023
अब समाजवादी सुप्रीमो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav Politician) द्वारा रविवार को वायरल किया गया. वही कथित वीडियो माना जा रहा है, जिसमें आईपीएस अनिरुद्ध सिंह समझा-माना जा रहा शख्स, 10 नहीं पूरे 20 लाख देने की मांग कर रहा है. जबकि रकम देने वाला शख्स 10 लाख देने की बात करता सुनाई दे रहा है. बहरहाल, इस घटना में जितना बवाल वीडियो वायरल होने को लेकर मचा है. उससे भी ज्यादा बवाल की बात है कुछ और भी है.
यह चौंकाने वाली बात है कि एक आईपीएस (डीजीपी यूपी डीएस चौहान) द्वारा दूसरे आईपीएस (पुलिस कमिश्नर वाराणसी) के हवाले, संदिग्ध यानी तीसरे आईपीएस (वीडियो में बताए जा रहे आईपीएस और मेरठ के मौजूदा पुलिस अधीक्षक ग्रामीण) के खिलाफ मामले की जांच सौंप दिया जाना. गंभीर यह है कि इन्हीं आईपीएस अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ घटना के कुछ वक्त बाद ही यानी दो साल पहले मचे बवाल के बाद ही एक जांच बैठाई गई थी. वो जांच तब भी वाराणासी (Police Commissioner Varanasi) के पुलिस प्रमुख के हवाले की गई थी.
तब उस जांच के आधार पर इन्हीं अनिरुद्ध सिंह को इसी कथित लेन-देन के मामले में ट्रांसफर करके, लखनऊ में स्थित राज्य पुलिस इंटेलीजेंस मुख्यालय में एएसपी के पद पर भेज दिया गया था. धीरे-धीरे जब वो बात या बवाल ठंडे बस्ते में गया तो, इन्हीं अनिरुद्ध सिंह को भी इंटेलीजेंस मुख्यालय से धीरे से हटाकर, फतेहपुर का एडिश्नल एसपी बनाकर भेज दिया गया.
इसके बाद जब सूबे की सल्तनत और राज्य पुलिस मुख्यालय को लगा कि अब इन्हीं अनिरुद्ध सिंह का वाराणसी वाला बदनाम मामला, अब पूरी तरह फाइलों में दब चुका है, तो उन्हें पदोन्नत करके मेरठ में पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के पद पर भेज दिया गया.
यह है जांच का नियम
इस बारे में सोमवार को टीवी9 भारतवर्ष (डिजिटल) ने विशेष बातचीत की यूपी पुलिस के दबंग रिटायर्ड डिप्टी एसपी (पुलिस उपाधीक्षक) सुरेंद्र सिंह लौर से. पूर्व डिप्टी एसपी लौर ने कहा, “देखिए जांच तो आईपीएस (Indian Police Service) के खिलाफ आईपीएस को ही करनी होगी. क्योंकि पुलिस महकमे का यही सिस्टम और परिपाटी है. या फिर मामले की जांच सूबे की हुकूमत सीबीआई के हवाले कर दे. हां, मैं इतना जरूर कहूंगा कि आईपीएस (DGP UP IPS DS Chauhan)के खिलाफ आईपीएस ईमानदारी से जांच कर लेगा? इसकी गारंटी कौन लेगा? बस यही एक सवाल है जो जांच से पहले ही उस पर आंच की उंगली उठाने के लिए काफी है.
उन्होंने कहा, मैं तो यह कहूंगा कि वायरल वीडियो की जांच कराने वाले डीजीपी साहब (आईपीएस डीजीपी यूपी पुलिस डीएस चौहान) को पहले उस जांच की जांच करवा लेनी चाहिए, जो इस वीडियो और इन्हीं आईपीएस अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ अब से दो साल पहले वाराणसी के पुलिस कमिश्नर से कराई गई थी. उस जांच रिपोर्ट में इनके खिलाफ क्या एक्शन लिया गया था?
सन् 2004 में डिप्टी एसपी (पीएसी यूपी पुलिस) से रिटायर हो चुके सुरेंद्र सिंह लौर (Surendra Singh Laur Deputy SP) अपनी बात जारी रखते हुए कहते हैं, “मैं किसी पर आरोप नहीं लगाऊंगा. हां, सन् 2000 का एक उदाहरण मैं अपना बताता हूं.मैं तब डिप्टी एसपी इंटेलीजेंस राज्य पुलिस महानिदेशालय लखनऊ (UP POLICE HEADQUARTER) में तैनात था. मुझे उस दौरान डीआईजी के पद पर तैनात एक आईपीएस के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच दे दी गई. मैंने ठोककर वो जांच रिपोर्ट तैयार की. मुझ जैसे अदना से डिप्टी एसपी की जांच रिपोर्ट के आधार पर उस भ्रष्ट आईपीएस (डीआईजी) के खिलाफ सख्त विभागीय एक्शन भी हुआ. जांच अधिकारी जब तक खुद को अपने-पराए की सोच से बाहर रखकर जांच नहीं करेगा, तब तक सच सामने कैसे आ सकेगा? फिर चाहे वो कोई आईपीएस हो या फिर हमारे जैसा प्रमोटी अफसर.”