8वीं तक सबको पढ़नी होगी गुजराती! विधानसभा में विधेयक पारित

8वीं तक सबको पढ़नी होगी गुजराती! विधानसभा में विधेयक पारित

गुजरात में गुजराती भाषा को अनिवार्य करने के लिए विधेयक पेश किया गया था, जो कि पारित हो गया है. इसके तहत पहली से आठवीं तक के बच्चों के लिए गुजराती भाषा अनिवार्य है.

गुजरात के स्कूलों में गुजराती को अनिवार्य बनाने को लेकर गुजरात विधानसभा में विधेयक पारित हो गया है. Gujarat विधानसभा में इस विधेयक पर काफी समय तक चर्चा हुई. इस दौरान नेताओं ने स्वीकार किया कि गुजराती भाषा को बच्चों को सिखाया जाना जरूरी है. विधेयक पर बहस के दौरान एक कांग्रेस विधायक ने कहा कि मेरे बच्चे इंग्लिश मीडियम से पढ़े हैं, मगर वो गुजराती भाषा में लिखी चीजों को पढ़ नहीं सकते हैं.

विधेयक में कहा गया है कि अगर किसी स्कूल में गुजराती भाषा को नहीं पढ़ाया जाता है, तो उस स्कूल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस विधेयक के जरिए पहली से आठवीं क्लास तक के छात्रों को गुजराती भाषा की पढ़ाई करनी होगी. Gujarati Language को पढ़ना पूरी तरह से अनिवार्य होगा. यही वजह है कि अगर किसी स्कूल द्वारा इसे नहीं पढ़ाया जाता है, तो उसके खिलाफ जुर्माना भी लगाया जाएगा. गुजराती भाषा को लेकर लाए गए कानून को एकेडमिक ईयर 2023-24 से लागू कर दिया जाएगा.

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विधेयक की खास बात

इस बिल के तहत गुजरात में सभी बोर्ड के स्कूल इसके दायरे में होंगे. अगर कोई छात्र गुजरात से बाहर का है, तो उसे छूट दिया जा सकता है. इस संबंध में प्रावधान किया गया है. अगर किसी स्टूडेंट की तरफ से लिखित अनुरोध पर उचित कारण देते हुए छूट मांगी जाती है, तो उसे इसे देने का भी प्रावधान किया गया है. इस विधेयक को शिक्षा मंत्री कुबेर डिंडोर ने सदन में पेश किया. कांग्रेस के विधायक तुषार चौधरी ने इस विधेयक को स्वीकार किया है.

गुजराती को लेकर दायर हुई याचिका

सरकार की तरफ से गुजराती भाषा को लेकर विधेयक ऐसे समय पर जारी किया गया है. जब गुजरात हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार किस तरह से गुजराती भाषा को अपनी मातृभाषा के रूप में संरक्षित करने की योजना बना सकीत है, जब तक कि इसे स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता. दरअसल, हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर गुजराती भाषा को प्राइमरी एजुकेशन लेवल तक अनिवार्य करने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने पाया था कि सरकार के पास इसे लागू करने के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है.

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