भारत से हार के बाद ऑस्ट्रेलिया में हाहाकार, David Warner टीम से बाहर?
India vs Australia: बाएं हाथ के ओपनर डेविड वॉर्नर दिल्ली टेस्ट से बाहर हो सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रेविस हेड को मौका मिल सकता है.
भारत से करारी शिकस्त के बाद ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम में मानों हाहाकार मच गया है. नागपुर में मिली पारी और 132 रनों की हार के बाद अब ऑस्ट्रेलियाई टीम दिल्ली टेस्ट के लिए बड़े बदलाव के मूड में है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया अपने दिग्गज बल्लेबाज डेविड वॉर्नर को प्लेइंग इलेवन से बाहर करने वाली है. बता दें डेविड वॉर्नर नागपुर टेस्ट की दोनों पारियों में फ्लॉप रहे थे. पहली पारी में वो महज 1 रन बना पाए और दूसरी पारी में उनके बल्ले से 10 ही रन निकले. उनकी फॉर्म पर लगातार सवाल उठ रहे थे और अब नागपुर में उनके खराब प्रदर्शन ने आग में घी डालने का काम कर दिया है.
द एज अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक डेविड वॉर्नर को दिल्ली टेस्ट से बाहर किया जा सकता है. उनकी जगह बाएं हाथ के बल्लेबाज ट्रेविस हेड को प्लेइंग इलेवन में मौका मिलने वाला है. बता दें हेड को बेहतरीन फॉर्म में होने के बावजूद बेंच पर बैठा दिया गया था जिसके बाद टीम मैनेजमेंट पर काफी सवाल खड़े हुए थे.
वॉर्नर हैं भारत के खिलाफ लाचार
अब आप सोच रहे होंगे कि सिर्फ एक मैच के बाद ही वॉर्नर को बाहर करने की बातें क्यों हो रही हैं. दरअसल इस खिलाड़ी का टीम इंडिया के खिलाफ टेस्ट रिकॉर्ड बेहद खराब है. वो ऑस्ट्रेलिया हो या भारत दोनों ही जगहों पर खुद को साबित करने में नाकाम रहे हैं. भारत में वॉर्नर ने 9 टेस्ट में महज 22.16 की औसत से 399 रन ही बनाए हैं. भारत के खिलाफ उनका कुल टेस्ट औसत भी 32.19 है. एक ओपनर के लिए इस तरह का प्रदर्शन नाकाबिले बर्दाश्त माना जाता है. यही वजह है कि वॉर्नर की अब टीम से बाहर होने की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है.
ऑस्ट्रेलिया ने बुलाया एक्स्ट्रा स्पिनर
बता दें ऑस्ट्रेलियाई टीम ने नागपुर टेस्ट में हार के बाद ऑस्ट्रेलिया से एक और स्पिनर भारत बुलाया है. बाएं हाथ के स्पिनर Matthew Kuhnemann को स्क्वाड में शामिल किया गया है. बताया जा रहा है कि ये खिलाड़ी दिल्ली टेस्ट में डेब्यू कर सकता है. कुहेनमान ने हाल ही में बिग बैश लीग में अच्छा प्रदर्शन किया था और वो पिछले साल वनडे डेब्यू भी कर चुके हैं. दिल्ली टेस्ट में भी पिच पर टर्न मिलना तय माना जा रहा है और यही वजह है कि अब ऑस्ट्रेलिया अपने स्पिन अटैक को मजबूत करने की कोशिश में जुट चुकी है.