अस्पतालों में नहीं दी जा रही मुफ्त दवाईयां… चीफ सेक्रेटरी से बोले दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बुधवार को सरकार के चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार को पत्र लिखकर सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा नहीं देने का दावा किया है. पत्र में स्वास्थ्य मंत्री ने लिखा है कि सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिक में मुफ्त दवा नहीं दी जा रही है.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सरकार के चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने दावा किया है कि राजधानी के सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिक में मुफ्त दवा नहीं दी जा रही है. एक दिन पहले दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने राजधानी में पानी की किल्लतों को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को खुला पत्र लिखा था.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने नोट में लिखा है कि ग्राउंड रिपोर्ट स्पष्ट रूप से निशुल्क दवाओं की चिंताजनक कमी की ओर इशारा करती है हालांकि, मुख्य सचिव (सीएस) और सचिव (स्वास्थ्य) द्वारा यह दावा किया गया है कि प्रत्येक मरीज को वास्तव में सभी आवश्यक दवाएं या उपयुक्त विकल्प मिल रहे हैं. मंत्री ने मुख्य सचिव और सचिव (स्वास्थ्य) पर गुमराह करने का भी आरोप लगाया है.
मंत्री ने विधनासभा में झूठ बोलने का आरोप लगाया
भारद्वाज ने नोट में कहा है कि मुख्य सचिव और सचिव (स्वास्थ्य) ने दवाओं की उपलब्धता के बारे में सरकार और विधानसभा को खुलेआम गुमराह किया. विधानसभा में चर्चा के दौरान कई विधायकों ने मुख्य सचिव द्वारा किए गए झूठे दावों का जोरदार खंडन किया. उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव को दवाइयों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था, लेकिन मुख्य सचिव दिल्ली विधानसभा के रूल ऑफ़ बिजनेस की आड़ लेने की कोशिश कर रहे हैं.
‘मुख्य सचिव ने एक तुच्छ बहाना बना रहे’
स्वास्थ्य मंत्री कहा कि हर बार नए बहाने ढूंढने की बजाय सीएस को सरकार के निर्देशानुसार सकारात्मक कार्य करना चाहिए. बाद में मुख्य सचिव ने एक तुच्छ बहाना बनाया कि विभागों की सभी नियमित फाइलें मुख्य सचिव के माध्यम से नहीं भेजी जाती हैं, इसलिए वे दवाओं और अन्य सामग्रियों की उपलब्धता की निगरानी नहीं कर सकते.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए
स्वास्थ्य मंत्री ने निर्देश दिया कि दवाओं की उपलब्धता के संबंध में सीएस को दिए गए निर्देशों का, बिना किसी बहाने के अनुपालन किया जाना चाहिए. एस.के. श्रीवास्तव से लेकर विजय देव तक के मुख्य सचिवों के कार्यकाल के दौरान विभागों की नियमित फाइलें कभी भी मुख्य सचिव के माध्यम से नहीं भेजी जाती थीं. हालांकि, अन्य विभागों के सचिवों पर निगरानी हमेशा मुख्य सचिव की जिम्मेदारी होती है.
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव को दवाइयों की उपलब्धता के दावों की पुष्टि करने के लिए दिल्ली सरकार के अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों का प्रतिदिन दौरा करने का निर्देश दिया गया है. मुख्य सचिव को अपने दौरे का रोस्टर उपलब्ध कराने और दैनिक रिपोर्ट साझा करने का निर्देश दिया गया है.