AAP सांसद राघव चड्ढा को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत, नहीं खाली करना होगा टाइप-7 सरकारी बंगला
पटियाला हाउस कोर्ट ने राघव चड्ढा को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया था और निचली अदालत ने राज्यसभा सचिवालय के फैसले को सही माना था. दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान राघव चड्ढा ने कहा, मुझे आशंका है कि मेरी शादी के समय जानबूझ कर मुझे परेशान करने की नीयत से ऐसा किया गया है.
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद राघव चड्ढा अपने मौजूदा टाइप-7 सरकारी बंगले में रह सकेंगे. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अनुप जे. भंभानी ने कहा कि निचली अदालत की ओर से राज्यसभा सचिवालय के खिलाफ पारित स्थगन आदेश बहाल रहेगा. अपने फैसले के साथ कोर्ट ने साफ किया कि ये रोक तब तक लागू रहेगी जब तक ट्रायल कोर्ट अंतरिम राहत के लिए उनके आवदेन पर फैसला नहीं कर लेता है.
बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने राघव चड्ढा को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया था और निचली अदालत ने राज्यसभा सचिवालय के फैसले को सही माना था. दिल्ली हाई कोर्ट में आप नेता राघव चड्ढा के वकील ने कहा था कि पंजाब से उनको मिल रही धमकियों की वजह से z प्लस सुरक्षा मिली है, इसका ये मतलब कतई नहीं है कि दिल्ली में सुरक्षा में कमी कर दी जाए. दिल्ली में भी चड्ढा की जान को खतरा है. राघव चड्ढा ने कहा मुझे आशंका है कि मेरी शादी के समय जानबूझ कर मुझे परेशान करने की नीयत से ऐसा किया गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित
राघव चड्ढा की सुनवाई पर दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने राज्यसभा सचिवालय के वकील से कहा था कि हाई कोर्ट की ओर से फैसला सुनाए जाने तक इस मामले में किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.
चड्ढा ने निचली अदालत के फैसले को दी थी चुनौती
बता दें कि राघव चड्ढा ने निचली अदालत के पांच अक्टूबर के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि चड्ढा यह दावा नहीं कर सकते कि उन्हें सरकारी बंगले का आवंटन रद्द होने के बाद भी उसमें रहने का अधिकार है क्योंकि वह राज्यसभा सांसद हैं. चड्ढा ने कहा था कि वह क्योंकि राज्यसभा सांसद है इसलिए अपने पूरे कार्यकाल के दौरान वह सरकारी बंगले में रह सकते हैं. निचली अदालत ने 18 अप्रैल को पारित एक अंतरिम आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की थी.