तलाक दंपत्ति के बीच का मामला, तीसरे पक्ष का कोई सरोकार नहीं, HC का बड़ा फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला परिवार न्यायालय अलीगढ़ के उस आदेश के खिलाफ दिया है जिसमें तलाक के लिए तीसरे को पक्षकार बनाया गया है. वहीं. इसके विपरित हाईकोर्ट ने कहा कि वैवाहिक विवाद दंपत्ति के बीच का मामला है. इसमें कभी भी तीसरे पक्ष को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता है.
High Court On Marital Dispute: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को वैवाहिक विवाद जैसे तलाक के मामलों में बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि वैवाहिक विवाद दंपत्ति के बीच ही रहता है. इसमें तीसरे पक्ष का कोई सरोकार नहीं है. कोर्ट का कहना है कि आपसी सहमति से तलाक की कार्यवाही में कभी भी तीसरे पक्ष को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जज दोनादी रमेश की खंडपीठ ने कृति गोयल की अपील पर यह आदेश दिया है. खंडपीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी के तहत तलाक की कार्यवाही में किसी अन्य को पक्षकार बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती. तलाक की कार्यवाही विवाह के पक्षकारों के बीच ही होती है. इसके तहत कोई तीसरा पक्षकार बनने की मांग नहीं कर सकता है.
वैवाहिक विवाद दंपत्ति के बीच का मामला है- HC
इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कृति गोयल की अपील पर कहा कि वैवाहिक विवाद दंपत्ति के बीच का विवाद है, जो अपने वैवाहिक संबंधों में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. प्रतिवादियों, जो पक्षों (पति और पत्नी) के लेनदार थे, ने आपसी सहमति से तलाक के लिए दायर कार्यवाही में पक्षकार बनने की मांग की थी.
प्रतिवादियों ने कोर्ट में दलील दी कि चूंकि उन्हें पैसे मिलने थे, इसलिए उन्हें लगा कि पक्षों के बीच अलगाव से उनके अधिकार प्रभावित होंगे. वहीं, पत्नी ने मुख्य न्यायाधीश परिवार न्यायालय अलीगढ़ के उस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जिसमें तीसरे पक्ष को बनाने की अनुमति दी गई थी.
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वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि हालांकि तलाक के कारण पक्षों के कुछ नागरिक अधिकार बदल सकते हैं. लेकिन आपसी सहमति से तलाक की कार्यवाही में कभी भी तीसरे पक्ष को पक्ष नहीं बनाया जा सकता. साथ ही, हाईकोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए कहा कि तलाक के बाद भी प्रतिवादी अपने दावों के हकदार बने रहेंगे.