‘कार नहीं बैलगाड़ी दो’… दूल्हे ने कर दी अनोखी डिमांड, कहा- इसी से ले जाऊंगा अपनी दुल्हनियां

‘कार नहीं बैलगाड़ी दो’… दूल्हे ने कर दी अनोखी डिमांड, कहा- इसी से ले जाऊंगा अपनी दुल्हनियां

यूपी के हमीरपुर जिले में एक बेटे ने अपने किसान पिता की इच्छा को पूरा करते हुए न केवल शादी के मंडप में सात फेरे लिए, बल्कि बैलगाड़ी से दुल्हन की विदाई कराई. आधुनिकता के दौर में जहां लोग हेलिकॉप्टर से दुल्हन की विदाई करवाते हैं तो वहीं इस दूल्हे ने पुरानी परंपराओं को जीवित रखते हुए बैलगाड़ी से दुल्हन को घर लेकर आया.

यूपी के हमीरपुर जिले में एक बेटे ने अपने किसान पिता की इच्छा पूरी करने के लिए पुरानी परंपरा के अनुसार न केवल शादी के मंडप में सात फेरे लिए, बल्कि कार के बजाय बैलगाड़ी से दुल्हन की विदाई भी कराई. विदाई के बाद वह खुद बैलगाड़ी को हांकते हुए अपनी दुल्हन को घर लेकर पहुंचा.

हमीरपुर जिले के राठ कस्बे के चरखारी रोड निवासी राजीव द्विवेदी खेती-बाड़ी करते हैं और करीब 55 बीघे जमीन के काश्तकार हैं. उन्होंने अपने पुत्र विवेक द्विवेदी की शादी महोबा जिले के राकेश शुक्ला की पुत्री रोहिणी के साथ तय की थी. इस अनोखी शादी का नजारा देखने के लिए सैकड़ों लोग विदाई के समय मौजूद थे.

लड़की के परिजनों ने राठ कस्बे में स्थित एक गेस्ट हाउस में शादी की व्यवस्था की थी. समयानुसार बैंड बाजे के साथ बारात गेस्ट हाउस पहुंची, जहां बारातियों का स्वागत होने के बाद शादी की रस्में शुरू हुईं. दूल्हे ने दुल्हन के साथ सात फेरे लिए.

खुद बैलगाड़ी चलाकर दुल्हन को घर ले आया

पूरी शादी पुरानी वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार हुई, और जब विदाई का समय आया, तो दुल्हन के परिजनों ने विदाई के लिए गाड़ी बुलाने को कहा. लेकिन दूल्हे ने गाड़ी से विदाई कराने की बजाय बैलगाड़ी से विदाई करवाने की बात कही, जिससे दुल्हन पक्ष के लोग चौंक गए.

दूल्हे ने बताया कि यह उनके पिता की इच्छा थी, और वे पुरानी परंपरा के तहत बैलगाड़ी से ही दुल्हन को विदा कराना चाहते थे. इसके बाद आनन-फानन में बैलगाड़ी का इंतजाम किया गया, बैलगाड़ी को सुंदर तरीके से सजाया गया और फिर उसी बैलगाड़ी से दुल्हन को विदा किया गया.

पुरानी परंपराओं को निभाना भी जरूरी है

बैलगाड़ी से दुल्हन की विदाई का नजारा देखने के लिए लोगों का तांता लग गया. बाराती राम सिंह का कहना है कि आधुनिकता के इस दौर में अपनी आने वाली पीढ़ी को पुरानी परंपराओं को याद रखना जरूरी है, वरना हमारी संस्कृति अपना इतिहास भूल जाएगी.

आजकल लोग हेलिकॉप्टर से दुल्हन विदा करने का दिखावा करते हैं, लेकिन दूल्हे ने बैलगाड़ी से दुल्हन विदा करवा कर लोगों को अपने पुराने रीति-रिवाजों का पालन करने की नसीहत दी है.

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