वो 5 सवाल, जिनकी वजह से उलझती जा रही है कन्नौज रेप केस की गुत्थी
कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या से पूरे देश में उबाल है... तो वहीं कन्नौज में समाजवादी पार्टी (सपा) के कथित नेता पर लगे नाबालिग से रेप के प्रयास के मामले में अब कई सवाल उठने लगे हैं. शुरुआत में आरोपी से सपा ने पल्ला तो झाड़ लिया था, लेकिन अब सपा के सीनियर नेताओं ने पूरे केस पर ही सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं.
उत्तर प्रदेश का कन्नौज एक बार फिर सुर्खियों में है. दो महीने पहले ही कन्नौज से समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सांसद बने हैं, तब भी कन्नौज ने खूब सुर्खियां बंटोरी थी… लेकिन इस बार कन्नौज जिस वजह से चर्चा में है, उसने अखिलेश यादव की पार्टी सपा को मुश्किलों में ला दिया है. दरअसल, सपा के एक कथित नेता पर नाबालिग ने रेप के प्रयास का मामला दर्ज कराया है. पुलिस ने आरोप लगते ही नेता को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन यह मामला शुरुआत में जितना सुलझा हुआ लग रहा था, वह हर दिन उलझता ही जा रहा है. जिस वजह से पूरा केस ही सवालों के घेरे में है.
सबसे पहले जानते हैं कि पूरा मामला क्या है?
15 साल की पीड़िता की ओर से दी गई तहरीर के मुताबिक, सपा के कथित नेता नवाब सिंह यादव ने उसे मेडिकल कॉलेज तिर्वा में नौकरी दिलाने के बहाने चौधरी चंदन सिंह महाविद्यालय बुलाया था. पीड़िता अपनी बुआ के साथ रात 11 बजे कॉलेज पहुंची थी. बातचीत के दौरान ही उसकी बुआ बाहर गईं तो नवाब सिंह ने पीड़िता के साथ अश्लील हरकत शुरू की, फिर जैसे ही बुआ आई तो नवाब सिंह रूक गया… लड़की ने बुआ के फोन से पुलिस को सूचना दी और तुरंत पुलिस आ गई. पुलिस की ओर से रिकॉर्ड वीडियो में नवाब सिंह बेड पर लेटा हुआ नजर आ रहा है.
सवाल नंबर-1
पीड़िता की तहरीर सामने आने के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. इसमें सबसे अहम सवाल है कि 15 साल की लड़की को मेडिकल कॉलेज में नौकरी कैसे मिलती? और पीड़िता अपनी बुआ के साथ रात के 11 बजे करीब 20 किलोमीटर दूर नवाब सिंह यादव के ही कॉलेज चौधरी चंदन सिंह महाविद्यालय क्यों गई थी? ऐसे ही कई सवाल पूछते हुए सपा महिला सभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष जूही सिंह ने कहा कि अगर बच्ची नाबालिग थी तो वो क्यों नौकरी के लिए नवाब सिंह के पास गई थी? इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और न्याय मिलना चाहिए.
सवाल नंबर-2
15 साल की पीड़िता अपनी बुआ के साथ रात 11 बजे नवाब सिंह यादव से मिलने गई थी. पीड़िता की कॉल पर जब पुलिस मौके पर पहुंची तो वहां उसकी बुआ भी मौजूद थी, लेकिन पुलिस ने बुआ को हिरासत में लेने की बजाय उसे छोड़ दिया. सपा नेताओं का कहना है कि पुलिस को बुआ से पूछताछ करना चाहिए था. गौर फरमाने वाली बात है कि पीड़िता की बुआ पहले सपा से जुड़ी हुई थी, लेकिन हाल के दिनों में उसे कन्नौज के बीजेपी दफ्तर में देखा गया था. उसकी कई तस्वीर भी सामने आई है, जिसमें वह पूर्व सांसद सुब्रत पाठक और मंत्री असीम अरुण के साथ नजर आ रही है.
सवाल नंबर-3
पीड़िता ने 112 पर जैसे ही कॉल किया, वैसे ही बड़ी संख्या में पुलिस मौके पर पहुंच गई. यहां पुलिस की तत्परता की तारीफ तो बनती ही है… लेकिन सवाल उठता है कि पीड़िता ने अपना मेडिकल क्यों नहीं कराया? दरअसल, पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद पीड़िता का मेडिकल कराने के लिए उसे अस्पताल भेजा था. 6 घंटे की जद्दोजहद के बाद पीड़िता ने अपना मेडिकल कराने से इनकार कर दिया. उसका कहना था कि सिर्फ ओरल मेडिकल किया जाए. मौके पर मौजूद उसकी दादी का कहना था कि कोई बात हो तब ना मेडिकल कराएं.
सवाल नंबर-4
बीते 4 अगस्त को ही कन्नौज के एसपी अमित कुमार आनंद ने आरोपी पूर्व ब्लॉक प्रमुख नवाब सिंह यादव को सम्मानित किया था. यह कार्यक्रम एक संस्था की ओर से कराया गया था, जहां पर नवाब सिंह यादव को उसके समाजसेवा के कारण एसपी ने प्रशस्ति पत्र दिया था… जबकि नवाब सिंह यादव पर रेप के प्रयास के मुकदमे से पहले 15 केस दर्ज थे. आरोपी पर कन्नौज की शहर कोतवाली और तिर्वा थाने में 3 बार गुंडा एक्ट समेत हत्या के प्रयास जैसी धाराओं में मामलेदर्ज हैं. फिर क्या एसपी साहब को पता नहीं था कि जिसे वह सम्मानित कर रहे हैं, वह इतने मामलों में आरोपी है?
सवाल नंबर-5
इस केस में पुलिस की जल्दबाजी पर भी सवाल उठ रहा है. दरअसल, जब पीड़िता ने रात को 1:30 बजे पुलिस को कॉल किया तो पुलिस थोड़ी ही देर में मौके पर पहुंच गई. इस दौरान एक वीडियो रिकॉर्ड किया गया, जिसमें पीड़िता और आरोपी के साथ उसकी बुआ दिखाई दे रही है… सवाल उठता है कि अगर पुलिस ने यह वीडियो रिकॉर्ड किया तो वायरल किसने किया? दूसरी जल्दबाजी इस घटना को लेकर उस वक्त दिखाई दी, जब पुलिस ने वॉट्सऐप ग्रुप में जो प्रेस विज्ञप्ति शेयर किया, उसमें पीड़िता का नाम व पता और उसकी बुआ का नाम सार्वजनिक कर दिया था. बाद में इसे डिलिट कर दिया गया था.
कौन है आरोपी नवाब सिंह यादव?
कन्नौज के अडंगापुर गांव के रहने वाले नवाब सिंह यादव को एक वक्त ‘मिनी सीएम’ कहा जाता था. दरअसल, नवाब सिंह यादव ने अपने राजनीतिक करिअर की शुरुआत सपा की लोहिया वाहिनी से की थी. वह लोहिया वाहिनी का जिलाध्यक्ष था. इसी दौरान वह अखिलेश यादव के संपर्क में आया और उसकी घनिष्ठता काफी बढ़ गई. 2012 की अखिलेश सरकार में उसे ‘मिनी सीएम’ भी कहा जाता था, क्योंकि वह अखिलेश का करीबी होने के साथ ही डिंपल यादव का सांसद प्रतिनिधि भी था, लेकिन 2022 में टिकट की चाहत में वह अखिलेश से दूर हो गया था. फिर 2024 में अखिलेश जब सांसदी का चुनाव लड़ने कन्नौज पहुंचे तो वह फिर करीब आ गया. हालांकि, सपा का कहना है कि नवाब सिंह पार्टी से जुड़ा नहीं है.