10 महीने के ‘फिरोज’ की मौत, ईरान में एशियाई चीतों का था आखिरी ‘चिराग’
'फिरोज' ईरान में बचा आखिरी एशियाई चीता था. मात्र 10 महीने के फिरोज को बचाने के लिए डॉक्टरों की टीम रात-दिन जी-तोड़ मेहनत कर रही थी लेकिन बचा नहीं पाई. ईरान में चीतों की संख्या में काफी गिरावट देखने को मिली है.
ईरान के इकलौते एशिआई चीता शावक की मंगलवार को मौत हो गई. गुर्दा खराब होने के बाद चीता शावक का कई दिनों से इलाज चल रहा था लेकिन डॉक्टर उसे बचा नहीं पाए. चीता शाव का नाम ‘फिरोज’ था. जिसकी उम्र मात्र 10 महीने थी और वह अपने तीन लुप्तप्राय एशियाई चीतों में से आखिरी था.
ईरान की समाचार एजेंसी तस्नीम ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में बताया कि कई दिनों के इलाज के बाज उसे बचाया नहीं जा सका. एजेंसी ने तेहरान के पशु अस्पताल के प्रमुख ओमिद मोरादी के हवाले से कहा, ‘मैं टीम की ओर से माफी मांगता हूं क्योंकि हम उसकी जान बचाने में नाकाम रहे’.
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ईरान में जन्मा पहला एशियाई चीता था
फिरोज और बाकी चीते ईरान में जन्मे पहले एशियाई चीते थे. इनका जन्म ईरान की पर्यावरण एजेंसी की कड़ी निगरानी में सेमन प्रांत के टूरान वन्यजीव आश्रय में हुआ था. ईरान ने दुनिया की गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों में से एक एशियाई चीते को बचाने की काफी कोशिश की.
पिछले 30 सालों अचानक से कम हुई संख्या
संयुक्त राष्ट्र भी प्रजातियों को बचाने के लिए सरकार के प्रयासों में मदद दे रहा है. ईरान में इनकी संख्या में पिछली शताब्दी में कमी आई है और अब यह अनुमानित 50 से 70 ही बचे हैं. यह 1990 के दशक में करीब 400 थे. अवैध शिकार और आवासीय क्षेत्र में अतिक्रमण के कारण इनकी संख्या घटी है.
(इनपुट-एपी)