माधोपट्टी गांव: 75 परिवारों वाले गांव से निकले 47 IAS-IPS, कहलाता है अफसरों की फैक्ट्री

माधोपट्टी गांव: 75 परिवारों वाले गांव से निकले 47 IAS-IPS, कहलाता है अफसरों की फैक्ट्री

माधोपट्टी गांव, जिला जौनपुर, उत्तर प्रदेश को अफसरों की फैक्ट्री कहा जाता है. यहां से सबसे ज्यादा लोग सिविल सर्विसेज में जाते हैं और सफल भी होते हैं. जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव तब चर्चा में आया था जब एक ही परिवार के 5 लोग आईएएस ऑफिसर बने थे.

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के माधोपट्टी गांव को आईएएस और आईपीएस अफसरों की फैक्ट्री कहा जाता है. 75 परिवारों वाले इस गांव में के 47 लोग आईएएस, आईपीएस और आईआरएस जैसे पदों पर हैं. माधोपट्टी गांव से सबसे ज्यादा लोग सिविल सर्विसेज में जाते हैं और सफल भी होते हैं. यही वजह है कि इस गांव को अफसरों का गांव भी कहा जाता है. जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव तब चर्चा में आया था जब एक ही परिवार के 5 लोग आईएएस ऑफिसर बने थे.

1995 में इस गांव के विनय सिंह आईएएस ऑफिसर बने थे. कुछ सालों बाद इसी परिवार के 4 लोगों ने आईएएस ऑफिसर बनकर रिकॉर्ड बनाया था. कई मौकों पर यह गांव चर्चा की वजह भी बन चुका है.

1952 में निकला पहला आईएएस, महिलाएं भी पीछे नहीं

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पहली बार 1952 में इस गांव से डॉ. इंदुप्रकाश आईएएस बने और यूपीएससी में दूसरी रैंक हासिल करके गांव का नाम रोशन किया. 1995 में विनय सिंह ने परीक्षा को 13वीं रैंक मिली और बिहार के मुख्य सचिव बनकर गांव का मान बढ़ाया. इसके अलावा 1964 में छत्रसाल सिंह ने आईएएस परीक्षा पास और तमिलनाडु के मुख्य सचिव बने. साल 1964 में ही अजय सिंह और 1968 में शशिकांत सिंह ने आईएएस अधिकारी बनकर गांव की विरासत को आगे बढ़ाया. ये चारों यहां के सबसे पहले आईएएस अधिकारी डॉ. इंदुप्रकाश के भाई हैं.

चौंकाने वाली बात है कि यहां सिर्फ पुरुष ही नहीं, महिलाओं का चयन भी सिविल सर्विसेज में हुआ है. वो भी बिना किसी कोचिंग या ट्रेनिंग के. 1980 में आशा सिंह, 1982 में ऊषा सिंह और 1983 में इंदु सिंह ने अधिकारी बनकर इस गांव का रोशन किया. यही वजह है कि माधाेपट्टी गांव को आईएएस और आइपीएस की फैक्ट्री कहा जाता है.

1,174 आबादी वाले गांव में 737 शिक्षित

1,174 लोगों की आबादी वाले गांव मेंं 736 लोग शिक्षित हैं. गांव में 599 पुरुष और 575 महिलाएं हैं. गांव में शिक्षित पुरुष 421 और महिलाएं 315 हैं. यह गांव जाफराबाद विधानसभा सीट के तहत आता है. इस गांव से जुड़े राहुल सिंह का कहना है कि माधोपट्टी में लोगों का फोकस खेती-किसानी में कम और पढ़ाई-लिखाई में ज्यादा रहता है.

इस गांव में एक बात सबसे ज्यादा प्रचलित है- ‘अदब से यहां सचमुच विराजती हैं वीणा वादिनी’ यानी विद्या की देवी मां सरस्वती स्वयं इस गांव में बसती हैं. गांव में चली आ रही विरासत को नई पीढ़ी आगे बढ़ा रही है. यहां के बच्चों से जब भी यह सवाल किया जाता है कि वो बड़े होकर क्या बनेंगे तो जवाब मिलता है कि आईएएस या आईपीएस.

वर्ल्ड बैंक और इसरों में तैनाती

मीडिया रिपोर्ट में गांव से राहुल का कहना है कि यहां 75 घर हैं. यहां के 51 लोग बड़े पदों पर तैनात हैं. 45 से अधिक लोग आईएएस और पीसीएस जैसे पदों पर हैं. इसके अलावा गांव के जन्मेजय सिंह वर्ल्ड बैंक में काम कर रहे हैं. सिर्फ आईएएस-पीसीएस ही नहीं, इस गांव ने देश को वैज्ञानिक भी दिए हैं. माधोपट्टी के डॉ. ज्ञानू मिश्रा इसरो में वैज्ञानिक हैं और देवेंद्र नाथ सिंह गुजरात के सूचना निदेशक के पद पर रहे हैं.