MP: सरकार ने बदला 130 साल पुराना जेल कानून, कैदियों को मिलेंगी खास सुविधाएं
नए विदेयक के मुताबिक कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान किया जाना सुनिश्चित किया गया है. जेलों के विकास तथा ओव्हरक्राउर्डिंग इत्यादि पर नियंत्रण के लिए जेल विकास बोर्ड के गठन का विशेष प्रावधान किया गया है. अंडर ट्रायल बंदियों के प्रकरणों की समीक्षा के लिए रिव्यू कमेटी का गठन भी किया गया है.
मध्य प्रदेश विधानसभा में सरकार ने ‘मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक 2024 पेश किया. बता दें कि मोहन यादव सरकार ने प्रिजन एक्ट 1894 में बड़ा बदलाव करते हुए इसे मध्य प्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक 2024 नाम दिया है. इसमें पुराने जेल अधिनियम, बंदी अधिनियम और बंदी स्थानांतरण की जगह अब एक ही अधिनियम लागू कर दिया गया है.
इस विधेयक में महिलाओं और ट्रांसजेंडर और खतरनाक गैंगस्टर कैदियों पर नियंत्रण के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. इसमें कुल 18 अध्याय रखे गए हैं. इनमें कई तरह के प्रावधान हैं.
130 साल बाद लाया गया नया कानून
वर्तमान प्रिजन एक्ट 1894 ब्रिटिशकाल से प्रचलित है. वर्तमान में जेलों की व्यवस्था कारागार अधिनियम 1894, बंदी अधिनियम 1900 और बंदी स्थानांतरण अधिनियम 1950 के तहत चल रही है. अब इन तीनों अधिनियमों को एक करके यह नया विधेयक तैयार किया गया है. नए विधेयक में कई बड़े बदलाव किए गए हैं.
तीन साल की जेल और 5 लाख का जुर्माना
इसके तहत अगर जेल में कैदी मोबाइल या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल करते पकड़ा गया तो उसे तीन साल की जेल और 5 लाख का जुर्माना अलग से देना होगा. विधेयक में जेलों के संचालन में आधुनिक तकनीक का प्रयोग करने के संबंध में विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिससे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेशी, मोबाइल डिएक्टिवेटर, वायर कम्युनिकेशन, ई-मुलाकात के क्रियान्वयन में काफी सुविधा होगी.
इसके साथ ही प्रदेश की जेलों में कैदियों को सुधारने के लिए खुली जेल का निर्माण किया जाएगा. साथ ही जेल विकास बोर्ड का भी गठन होगा. वहीं इस विधेयक में पहली बार कैदियों के लिए प्रिजनर्स वेलफेयर फंड का भी प्रावधान किया गया है.
आतंकवादियों पर खास निगरानी
नए विधेयक के अनुसार राज्य की जेलों में बंद सिमी आतंकी और खतरनाक गैंगस्टरों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी. उन्हें अंडाकार सेल बनाए जाएंगे.
जेलों के नाम बदले जाएंगे
इसके अलावा मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य होगा जहां जेलों के नाम बदले जाएंगे. यहां जेलों को अब बंदीगृह और सुधारात्मक संस्था कहा जाएगा. बंदियों का व्यवहार बदलने के लिए कार्यक्रम चलाए जाएंगे.
ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए होगी खास व्यवस्था
इस विधेयक में ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए खास प्रावधान किए गए हैं. इनको लिए जेल में अलग रखने की व्यवस्था की जाएगी. वहीं आदतन अपराधियों को भी सामान्य कैदियों से अलग रखा जाएगा.