मुर्शिदाबाद से लौटते ही बीमार पड़े राज्यपाल, मिलने पहुंचीं ममता, बोलीं- उनकी तबीयत ठीक नहीं

मुर्शिदाबाद से लौटते ही बीमार पड़े राज्यपाल, मिलने पहुंचीं ममता, बोलीं- उनकी तबीयत ठीक नहीं

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस से मुलाकात के बाद सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि मैं राज्यपाल से मिलने गई थी. उनकी तबीयत ठीक नहीं है. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

मुर्शिदाबाद से लौटते ही पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस बीमार पड़ गए. सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें तुरंत कोलकाता के कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनसे मिलने पहुंची. राज्यपाल से मुलाकात के बाद ममता ने कहा कि मैं राज्यपाल से मिलने गई थी. उनकी तबीयत ठीक नहीं है. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने 18 अप्रैल को मालदा के बैष्णबनगर के राहत शिविरों में मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित लोगों मुलाकात की थी. उनका हाल जाना था. इस दौरान उन्होंने पीड़ितों से कहा कि वह राज्य सरकार और केंद्र सरकार के समक्ष उनका मामला उठाएंगे. वक्फ संशोधन कानून के विरोध बंगाल के कुछ जिले पिछले कुछ दिनों से हिंसा से प्रभावित है.

राज्यपाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल में जो कुछ हुआ वो शर्मनाक है. इस तरह की हिंसा को कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. हमें हिंसा के रास्ते को खत्म होगा और ताबूत में आखिरी कील ठोकनी होगी.

NCW की अध्यक्ष ने भी किया था दौरा

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने 18-19 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद का दौरा किया था, जहां पर हिंसा हुई थी. उन्होंने पीड़ित महिलाओं और परिवारों से मुलाकात की और उनके दर्द को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि यह मानवीय मुद्दा है, राजनीति से ऊपर उठकर पीड़ितों को न्याय और सुरक्षा देना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. रहाटकर ने राहत शिविरों में महिलाओं की आपबीती सुनी और राज्य महिला आयोग से भी पीड़ितों के साथ खड़े होने की अपील की.

मुर्शिदाबाद हिंसा में 3 लोगों की मौत

वक्फ कानून के विरोध में मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज, सुती, धुलियान और जंगीपुर जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में फैली हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई लोग घायल हो गए थे. कई परिवार पलायन कर मालदा चले गए और अब अस्थायी राहत शिविरों में रह रहे हैं. पीड़ितों का कहना है कि उन्हें जान का डर सता रहा है. ऐसे में उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचा है.