भारत के पड़ोस में ‘नई बंदूक नीति’; लोगों को हथियार रखने की अनुमति, पूरी करनी होंगी ये शर्तें

भारत के पड़ोस में ‘नई बंदूक नीति’; लोगों को हथियार रखने की अनुमति, पूरी करनी होंगी ये शर्तें

भारत के पड़ोसी देश ने अपने यहां नई बंदूक नीति लागू की है. सरकार की ओर से इस नीति को लेकर कहा जा रहा है कि लंबे समय से लोगों की मांग के आधार पर यह फैसला लिया गया है.

म्यांमार की सैन्य सरकार अपने समर्थकों के लिए बड़ा बदलाव करने जा रही है, लेकिन नई बंदूक नीति के जरिए इस बदलाव के बाद कई तरह के नए संकट उभरकर सामने आने का डर है. सैन्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और पूर्व सैन्य कर्मियों सहित अपने समर्थकों को लाइसेंस वाली गन रखने की अनुमति देने की योजना बनाई है, लेकिन उन्हें सुरक्षा एवं कानून प्रवर्तन गतिविधियों में भाग लेने के लिए स्थानीय प्रशासन के आदेशों का पालन करना होगा. सैन्य और मीडिया की खबरों से इस बात की जानकारी मिली.

हालांकि भारत के पड़ोसी देश में सैन्य सरकार की ओर से की गई इस घोषणा से म्यांमार में और भी अधिक हिंसा होने की आशंका बढ़ गई है. देश जिस स्थिति से गुजरा है, उसे संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेषज्ञ गृह युद्ध करार दे चुके हैं.

15 पेजों वाली नई बंदूक नीति

सेना ने दो साल पहले निर्वाचित आंग सान सू की की सरकार से सत्ता हथिया ली थी, जिसके बाद देश में व्यापक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था. लेकिन सुरक्षा बलों द्वारा विरोध को दबाने के लिए घातक बल का इस्तेमाल करने के बाद यह प्रदर्शन सशस्त्र प्रतिरोध में बदल गया था.

नई बंदूक नीति (New Gun Policy) पर 15 पेज वाला एक दस्तावेज सबसे पहले सैन्य समर्थक फेसबुक एकाउंट एवं टेलीग्राम चैनलों पर सामने आया. यह दस्तावेज बाद में सैन्य समर्थक सैन्य एवं स्वतंत्र समाचार संगठनों ने भी प्रकाशित किया. स्थानीय खबरों में कहा गया है कि दिसंबर में मंत्रिमंडल की एक बैठक में मंजूरी मिलने के बाद 31 जनवरी को उसे जारी किया गया था.

हथियार के लिए ये रहेंगी कुछ शर्तें

दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि बंदूक रखने अनुमति प्राप्त करने वालों को राष्ट्र के प्रति वफादार होना चाहिए, अच्छे नैतिक चरित्र का होना चाहिए और देश की सुरक्षा में गड़बड़ी में शामिल नहीं होना चाहिए.

सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने रविवार को बीबीसी बर्मी-भाषा सेवा को इस नीति की पुष्टि करते हुए बताया कि इसे (योजना) जारी करने की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ लोग सैन्य-विरोधी समूहों द्वारा हमलों से बचाने के लिए हथियार रखने की मांग कर रहे थे.

इनपुट- एजेंसी/ भाषा