कोई लड़की फर्जी रेप केस नहीं लगाती क्योंकि फिर योग्य वर मिलने में दिक्कत आती है: कोर्ट

कोई लड़की फर्जी रेप केस नहीं लगाती क्योंकि फिर योग्य वर मिलने में दिक्कत आती है: कोर्ट

रेप के मामले में मुंबई की विशेष पॉक्सो कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि कोई भी लड़की झूठा रेप का आरोप नहीं लगाती है. यह उसके लिए बहुत मुश्किल होता है. वहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि पीड़िता के लिए झूठी गवाही देने का कोई कारण नहीं है. कोर्ट ने 16 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न करने पर 10 साल की सजा और जुर्माना लगाया है. मामला 2021 का है.

कोई भी लड़की फर्जी रेप केस नहीं लगाती है. यह कहना है विशेष पॉक्सो अदालत का. कोर्ट ने कहा कि कोई भी भारतीय लड़की रेप का झूठा आरोप नहीं लगाएगी, क्योंकि यदि वह झूठी साबित हुई तो उसे जीवनभर उसे तिरस्कार की नजर से देखा जाएगा और खासकर अविवाहित लड़की के मामले में विवाह में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. 2021 में अपने पड़ोस की 16 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न करने के मामले में 21 वर्षीय लड़के को 10 साल की सजा सुनाई गई है.

विशेष न्यायाधीश विशेष न्यायाधीश एस एम ताकलीकर ने कहा कि अगर वह झूठी पाई गई, तो उसे जीवन भर समाज द्वारा तिरस्कार की दृष्टि से देखा जाएगा. विशेष रूप से, अविवाहित लड़की के लिए उपयुक्त वर ढूंढना मुश्किल होगा. इसलिए जब तक कि वास्तव में कोई अपराध न किया गया हो, एक लड़की यह स्वीकार करने में भी बेहद अनिच्छुक होगी कि वास्तव में ऐसी कोई घटना घटी है, जिससे उसकी पवित्रता पर असर पड़ने की संभावना है. वह समाज द्वारा बहिष्कृत होने के खतरे के प्रति सचेत होगी. लड़की विशेष लोक अभियोजक गीता मलंकर द्वारा जांचे गए गवाहों में से एक थी.

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झूठी गवाही देने का कोई कारण नहीं

न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता के पास झूठी गवाही देने और आरोपी को फंसाने का कोई कारण नहीं है. यह देखा गया कि इसके विपरीत आरोपी पीड़िता का अच्छा दोस्त था. न्यायाधीश ने कहा कि इसके अलावा पीड़िता की आरोपी के साथ कोई दुश्मनी नहीं है. इस बारे में कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया है कि वह आरोपी के खिलाफ गवाही क्यों दे रही है. इसलिए पीड़िता का यह सबूत कि आरोपी ने उसके साथ रेप किया था. विश्वसनीय लगता है और आत्मविश्वास जगाता है.

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि भले ही बहस के लिए यह मान लिया जाए कि आरोपी और लड़की के बीच प्रेम संबंध है, तो क्या इससे लड़के को लड़की का यौन उत्पीड़न करने का अधिकार नहीं मिल जाता. न्यायाधीश ने कहा कि यह आरोपी का मामला नहीं है कि संबंध सहमति से था. इसलिए केवल यह तथ्य कि पीड़िता ने प्रेम संबंध से इनकार किया है. उसके साक्ष्य को गलत साबित नहीं करता है.

क्या था मामला?

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि उसके साक्ष्य की चिकित्सा साक्ष्य से भी पुष्टि होती है. आरोपी पर 16 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. जुर्माने की रकम वसूल होने पर लड़की को मुआवजे के तौर पर 10,000 रुपये देने होंगे. घटना 10-11 मई 2021 की मध्यरात्रि को हुई, जब लड़की अपनी दादी के घर पर सोने के लिए चली गई, जो उसी पड़ोस में थी. हालांकि, जब लड़की वहां नहीं आई, तो उसके परिवार ने उसकी तलाश शुरू की. अगली सुबह लड़की रोती हुई घर लौटी. उसने अपनी मां को बताया कि आरोपी ने उसे घर बुलाया और उसका यौन उत्पीड़न किया.