चिदंबरम की ‘इकोनॉमी क्लास’, फाइनेंस सेक्रेटरी को समझाया ‘क्यों सेविंग है Home Loan’

चिदंबरम की ‘इकोनॉमी क्लास’, फाइनेंस सेक्रेटरी को समझाया ‘क्यों सेविंग है Home Loan’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने देश के वित्त सचिव टी. वी. सोमनाथन को उनकी 'होम लोन सेविंग नहीं' की थ्योरी पर फिर से गौर करने के लिए कहा है. साथ ही उन्हें समझाया है कि कैसे होम लोन खर्च नहीं बल्कि सेविंग ही है. पढ़ें ये खबर...

देश के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के सीनियर लीडर पी. चिंदबरम ने रविवार को वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन को ‘इकोनॉमी की क्लास’ देने का काम किया. सोमनाथन की थ्योरी ‘होम लोन सेविंग नहीं’ पर उन्हें आड़े हाथों लेते हुए चिदंबरम ने उन्हें पूरा गणित समझाया कि कैसे होम लोन सेविंग है. साथ ही उन्हें अपनी थ्योरी पर फिर से विचार करने की सलाह भी दे दी.

दरअसल हाल में एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में टी.वी. सोमनाथन ने ‘होम लोन’ को एक खर्च बताया था, ना कि सेविंग. उन्होंने पुराने टैक्स सिस्टम के बारे में बातचीत करते हुए कहा था कि यदि कोई टैक्स छूट के ढांचे को देखे तो उसमें आधी छूट ‘सेविंग स्कीम्स’ के लिए है और आधी छूट ‘नॉन-सेविंग स्कीम्स’ के लिए जैसे कि होम लोन और उस पर लगने वाला ब्याज, क्या सही में होम लोन एक सेविंग टूल है?

चिदंबरम ने दिया अर्थशास्त्र का ज्ञान

इस पर पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ”वित्त सचिव पूछ रहे हैं कि क्या होन लोन बचत है? इस पर उनका जवाब ‘नहीं’ है. पता नहीं कितने लोग वित्त सचिव से सहमत होंगे.?”

उन्होंने आगे समझाया कि होम लोन के ब्याज का भुगतान और ऋण की किस्त वास्तव में एक खर्च है, लेकिन यह ऐसा खर्च है जो आगे चलकर एक संपत्ति (एसेट) में बदल जाता है. इसलिए ये एक बचत है.

उन्होंने उदाहरण के माध्यम से समझाया कि अगर होम लोन की इंस्टालमेंट और ब्याज पर होने वाला खर्च आप छुट्टियों या रेसकोर्स में खर्च कर दें, तो इससे कोई संपत्ति नहीं बनती, इसलिए ये बचत नहीं है. वित्त सचिव को अपने इस सिद्धांत पर नए सिरे से विचार करना चाहिए.

पुरानी कर व्यवस्था सेविंग नहीं बढ़ाती

वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन ने जिस इंटरव्यू में ये बात कही, उस दौरान वह इनकम टैक्स की पुरानी कर व्यवस्था को लेकर अपनी बात रख रहे थे. उन्होंने कहा था कि पुराना टैक्स सिस्टम बचत को प्रोत्साहित करता है, इस मत से वो सहमत नहीं है. भारत सरकार चाहती है कि देश में लोग बीमा, पेंशन और आवास के सपने पूरे करें. लेकिन निश्चित तौर पर इन बातों को देश में बचत दरों पर असर नहीं डालना चाहिए.

(भाषा के इनपुट के साथ)