हमारे लिए सेंसेटिव… भारत की UNGA में वोटिंग से दूरी पर यूक्रेन के मंत्री हुए इमोशनल
युनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने रूस यूक्रेन युद्ध पर एक प्रस्ताव पास किया है, जिसमें 32 देशों के साथ भारत ने भी वोटिंग नहीं की. इसपर यूक्रेन के एक मंत्री ने कहा कि यह उनके लिए एक संवेदनशील मामला है.
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर युनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने एक रिजॉल्यूशन पारित किया है, जहां भारत वोटिंग से दूर रहा. इसको लेकर यूक्रेन के एक मंत्री ने कहा कि वोटिंग से भारत का दूर रहना एक ‘संवेदनशील मामला’ है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच पूर्व में विश्वसनीय संबंध रहे हैं और हमें उम्मीद है कि भविष्य में भारत हमारी मदद करेगा. रिजॉल्यूशन पर वोटिंग से दूर रहने वाले 32 देशों में भारत भी शामिल था. यूएनजीए में भारत की तरफ से रुचिरा कंबोज ने कहा कि ‘हम यूक्रेन की स्थिति से चिंतित’ हैं.
एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में यूक्रेन के एक मंत्री इवान कोनोवालोव ने कहा, “रिजॉल्यूशन पारित किया गया और इसमें वोटिंग से भारत का दूर रहने वाकई हमारे लिए एक संवेदनशील मामला है. हम भारत के समर्थन की उम्मीद करते हैं और हमारे संबंध विश्वसनीय रहे हैं और यह उम्मीद भी है कि भारत हमारी भविष्य में मदद करेगा. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस से यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने और अपनी सेना को वापस बुलाने की मांग करने वाला गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव पारित किया है, जहां भारत वोटिंग से दूर रहा.
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32 देशों ने रिजॉल्यूशन पर नहीं किया मतदान
इस प्रस्ताव में व्यापक, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति तक पहुंचने की जरूरतों पर जोर दिया गया है. भारत ने सवाल किया कि क्या युद्ध के एक साल बाद भी दुनिया ऐसे संभावित समाधान के थोड़ा भी करीब पहुंची जो रूस और यूक्रेन दोनों को स्वीकार्य होता. भारत उन 32 देशों में शामिल रहा, जिन्होंने 193 सदस्यीय महासभा में प्रस्ताव पर मतदान नहीं किया. महासभा ने यूक्रेन और उसके समर्थकों द्वारा पेश किए गए यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति को रेखांकित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांत के प्रस्ताव को अपनाया.
प्रस्ताव के पक्ष में 141 और विरोध में सात मत पड़े। प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के अनुरूप यूक्रेन में जल्द से जल्द, एक व्यापक, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति तक पहुंचने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया. प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने के बाद वोट की व्याख्या के दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि महासभा यूक्रेन संघर्ष के एक वर्ष को रेखांकित करती है, तो यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम खुद से कुछ प्रासंगिक प्रश्न पूछें.
यूक्रेन की स्थिति से भारत चिंतित है
कंबोज ने कहा, क्या हम दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य संभावित समाधान के करीब हैं? क्या कोई भी ऐसी प्रक्रिया कभी एक विश्वसनीय और सार्थक समाधान की ओर ले जाती है, जिसमें दोनों पक्षों में से कोई भी शामिल नहीं है? क्या संयुक्त राष्ट्र प्रणाली और विशेष रूप से इसका प्रमुख अंग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए समकालीन चुनौतियों का समाधान करने में अप्रभावी नहीं हो गया है?
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत यूक्रेन की स्थिति पर चिंतित है. उन्होंने कहा कि संघर्ष के परिणामस्वरूप अनगिनत लोगों की जान गई है, लाखों लोग बेघर हो गए हैं और पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हैं. कंबोज ने कहा कि आम नागरिकों और असैन्य बुनियादी ढांचे पर हमलों की खबरें भी बहुत चिंताजनक हैं. प्रस्ताव ने सदस्य राष्ट्रों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से चार्टर के अनुरूप यूक्रेन में एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए राजनयिक प्रयासों के लिए समर्थन को दोगुना करने का आह्वान किया.
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(भाषा इनपुट के साथ)