कुछ नियम विरोधाभासी… IOA के संविधान मसौदे पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा
केंद्रीय खेल और युवा मामलों के मंत्रालय ने आईओए द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया है. इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जस्टिस नागेश्वर राव की समिति द्वारा तैयार किए गए संविधान के मसौदे पर केंद्र ने अपनी टिप्पणियां और आपत्तियां दर्ज कराई हैं.
केंद्र सरकार महिला पदाधिकारियों की अनिवार्यता को लेकर भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के लिए तैयार संविधान के उस मसौदे से इत्तिफाक नहीं रखती, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जस्टिस एल नागेश्वर राव द्वारा तैयार किया गया है. जस्टिस नागेश्वर राव ने आईओए के पदाधिकारियों की सात श्रेणियों में से पांच में अनिवार्य तौर पर महिलाओं को प्रतिनिधित्व देना तय किया है, जबकि केंद्र का कहना है कि एग्जीक्यूटिव काउंसिल में महिला प्रतिनिधियों का कोई विशिष्ट निर्धारण नहीं है. ऐसे में उचित प्रतिनिधित्व का स्वागत किया जाना चाहिए.
केंद्रीय खेल और युवा मामलों के मंत्रालय ने आईओए द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया है. इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जस्टिस नागेश्वर राव की समिति द्वारा तैयार किए गए संविधान के मसौदे पर केंद्र ने अपनी टिप्पणियां और आपत्तियां दर्ज कराई हैं. हलफनामे में कहा गया है कि मसौदे के कुछ प्रावधान ऐसे हैं, जो खेल संहिता का हिस्सा नहीं हैं या फिर विरोधाभासी हैं.
‘महिला प्रतिनिधियों कोई विशिष्ट निर्धारण नहीं है’
इसमें एग्जीक्यूटिव कमेटी में बेहतरीन योग्यता रखने वाले प्रमुख खिलाड़ियों के प्रतिनिधित्व के प्रतिशत, आपराधिक मामले में चार्ज फ्रेम होने और दोषी करार दिए जाने, पदाधिकारियों की उम्र सीमा, कार्यकाल की अवधि और दोबारा चुनाव कराने समेत विभिन्न पहलुओं पर केंद्रीय मंत्रालय ने अपनी टिप्पणियां हलफनामे में स्पष्ट की हैं.
ये भी पढ़ें
हलफनामे में जस्टिस नागेश्वर राव के मसौदे के एग्जीक्यूटिव काउंसिल में तय किए गए पदाधिकारियों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को अनिवार्यता दी गई है. कुल सात पद हों, जिसमें अध्यक्ष, एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष (एक महिला-एक पुरुष), कोषाध्यक्ष, दो संयुक्त सचिव (एक महिला-एक पुरुष), 6 कार्यकारी संघ सदस्य और एथलीट कमीशन में महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया गया है.
जबकि केंद्र ने अपनी टिप्पणी में साफ कर दिया है कि महिला प्रतिनिधियों कोई विशिष्ट निर्धारण नहीं है. उचित प्रतिनिधित्व का स्वागत किया जाना चाहिए. याद रहे कि बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एल नागेश्वर राव द्वारा तैयार किए गए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के संविधान के मसौदे पर आपत्तियां दर्ज करने के लिए समय दिया था.
प्रशासकों की समिति आईओए को नहीं संभालेगी
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने केंद्र सरकार को आपत्तियों और सुझावों का मिलान करने और इन्हें मामले से संबंधित पक्षों को देने को कहा था. सर्वोच्च अदालत ने 10 अक्टूबर, 2022 को एल नागेश्वर राव को खेल निकाय के संविधान संशोधन करने और उसकी मतदाता सूची तैयार करने और आईओए के कार्यकारी निकाय के चुनाव कराने की प्रक्रिया को संभालने के लिए नियुक्त किया था.
आईओए ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाईकोर्ट के 16 अगस्त, 2022 में दिए गए फैसले को चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने आईओए और अन्य संबंधित मामलों को तीन सदस्यीयय प्रशासकों की एक समिति के हाथों में सौंपने का आदेश दिया था. इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त, 2022 में आईओए की याचिका पर यथा-स्थिति कायम रखने का आदेश दिया था. साथ ही कहा था कि प्रशासकों की समिति आईओए को नहीं संभालेगी.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आईओए को कहा था कि वह सर्वोच्च अदालत और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) की देखरेख में तैयार किए गए संविधान के मसौदे का तब तक पालन करने के लिए बाध्य है, जब तक इसे अंतिम रूप नहीं दिया जाता है.